ससुरजी की साड़ी

सुहाग रात की बात है. शादी के समय से ही मेरा लंड हुमचने लगा था. मैं शर्मा रहा था की पैंट में तंबू ना बन जाए. मेरा लंड इतना कड़ा हो गया था की अब लगता था की पैंट की ज़िप फाड़ कर बाहर ना निकल जाए. सुहाग रात को मैं अपने बिस्तर पे गया. मेरी पत्नी लाल साड़ी में मूँह छुपाए लेटी हुई थी. मैने धीरे से उसका घूँघट उठाया. उस चाँद से मुखड़े को देखते ही मेरी वासना की आग और भड़क गयी. मैने धीरे से उसे चूमा, फिर हम लबों पर किस करने लगे. किस करते-करते ही मैं उसके कपड़े धीरे से उसके बदन से सरकने लगा. उसकी भारी भारी चुचियाँ हाथ में आते ही धीरे धीरे मसलने लगा. फिर मैने अपना हाथ उसकी साड़ी के नीचे से उसके पेंटी पर रखा और उपर से ही सहलाने लगा. थोड़ी देर उपर से रगड़ने के बाद मैने उसकी बुर में उंगली डाली, वो चुदासी होने लगी. एक झटके में मैने उसके साए का नाड़ा खींच कर उसे नंगा कर दिया. बस वो पेंटी में थी. उसे भी मैने सरका दिया. फिर वो मुझे नंगा करने लगी. मेरे लन्ड़ को उसने पूरा का पूरा मूँह में ले लिया. मैं 69 पोज़िशन में आ गया. अब वो मेरा लंड चूस रही थी मैं उसकी बुर. थोड़ी देर में मैं उसकी चुदाई करने लगा. वो पागल होने लगी. हम तरह-तरह के पोज़िशन में आनंद लेने के बाद दोनो तृप्त हो गये थे. अब मैने उसे कपड़े पहनने को कहा. वो साड़ी की तरफ बढ़ी मैंने उसे रोका. मैंने उसे कहा की वो मेरे कपड़े पहने—कोट, शर्ट, पैंट और मैं उसके कपड़े पहनूंगा. उसने तो झट से मेरे कपड़े पहन लिए और तय्यार हो गयी. मुझे दिक्कत हो रही थी, मैं ब्रा और पेंटी से आगे ही नहीं बढ़ पाया. उसने मुझे साया पहनाया फिर ब्लाउज. साड़ी कैसे पहनी जाती है ये सिखाया. फिर पूरा श्रृंगार किया, लिपस्टिक, नेल पोलिश, बिंदी, चूड़ियाँ, हार—मेकप सब कुछ. दुल्हन की लाल जोड़ी में मैं बहुत खूबसूरत दिख रहा था. इतनी देर में हम दोनो फिर से गरम हो गये थे. अब मैं लेट गया, वो मेरे उपर चढ़ बैठी. उसने पहने अपने पैंट की ज़िप खोली और फिर मेरी साड़ी उठाई. उसने मेरे तने लंड को अपनी ज़िप से लेकर अपने बुर में डाल लिया. अब मैं खुद साड़ी पहन कर उसकी चुदाई कर रहा था. मैं अपने बूब्स की जगह उसके बूब्स मसल रहा था. मैने उसकी शर्ट खोली और उसके मुम्मो को चूसने लगा. इस नये सेक्स में हमें बहुत आनंद आया. झड़ जाने के बाद हम दोनो बिना कपड़े बदले ऐसे ही सो गये.

अगले दिन मेरी पत्नी शशि ने बताया की उसके लिए कपड़े बदल कर चुदाई नयी बात नहीं है, ये और बात है की कल चुदाई का ये उसका पहला अनुभव है. उसने बताया की उसके पापा यानी की मेरे ससुरजी भी साड़ी में ही सासू मा को चोदते हैं. आपको तो पता ही है की मेरे पापा भी साड़ी में ही हस्तमैथुन करते हैं. और मेरी ये आदत भी मेरे चाचा की बनाई हुई है. एक तरफ मेरा पूरा खानदान ही ऐसा है और दूसरी तरफ मेरे ससुर जी भी ही ऐसे हैं, ये जान कर मज़ा आ गया. अब मैं ससुर जी के साथ सेक्स करने का प्लान बनाने लगा. मुझे लगा इस में मेरे पापा मेरी सहायता कर सकते हैं. ये बात मैने अपने पापा को बताई और अगले दिन सामूहिक चुदाई के बाद दादा, चाचा और मामाजी को भी पता चल गयी. सबने मिलके मेरे ससुर जी को इस मनोरंजक समारोह में शामिल करने की सोची. आख़िर हम सब एक ही परिवार के सदस्य हैं तो ये ससुरजी की वेलकम पार्टी होनी थी.

एक दिन हम सब मर्दों ने दार्जीलिंग जाने का प्लान बनाया. मेरे ससुर जी राज़ी नहीं थे फिर भी उन्हे किसी तरह माना कर हम लोग चले. दार्जीलिंग में मेरे चाचा का घर है. चुदाई मचाने में कोई दिक्कत ही नहीं थी. चाचा का घर बहुत ही आलीशान था. ठंड का मौसम था, तो शाम में हम सब बैठक में बैठे हुए थे. फिर साड़ी की बात चलनी शुरू हुई. बनारसी साड़ी , सिल्क साड़ी , शिफ्फॉन साड़ी —कौन सी अच्छी होती है. फिर बात हुई की क्या किसी ने साड़ी पहनी भी है? मेरे ससुरजी बोलने में हिचक रहे थे, फिर मैने बता दिया की मेरे ससुरजी साड़ी भी पहनते हैं. ये सुनते ही सबने कहा की अरे सुमन, हमें भी साड़ी पहन कर दिखाओ. ससुरजी शरमाने लगे. हमने कहा शरमाने की कोई बात नहीं सब मर्द ही हैं, कोई किसी कोई कुछ नहीं बोलेगा. उन्हे ले कर हम बेड रूम में गये. ससुरजी तय्यार नहीं हो रहे थे. तो पापा ने ससुरजी को पीछे से पकड़ा और मामा जी ने उनकी पैंट उतरनी शुरू की. मेरे चाचा और दादा साड़ी का सेट ले कर आ गये और मैं वीडियो बनाना लगा. चड्डी उतार कर मामा ने उनके लंड को रगड़ा जो अभी सोया हुआ था, रगड़ने से ससुरजी का खड़ा होने लगा. मामा ने फिर उनका लंड मुँह में लिया और चूसने लगे. इस पर पापा ने कहा की अरे साली, लंड ही चूसती रहेगी या कपड़े भी पहनाएगी.

मामा ने ससुरजी की टांग पकड़ी और पापा ने उनकी शर्ट उतार कर पूरा नंगा कर दिया. फिर दादा और चाचा की मदद से उन्हे ब्रा, ब्लाउज पहनाई. उनके ब्रा को खूब भर कर फूला दिया. फिर पेंटी पहनाई और फिर साया पहनाया. ससुरजी मारे शरम और गुस्से के लाल हो रहे थे. फिर सबने उन्हे साड़ी पहनाई. इतना करने के बाद, अब मेरे मामा की बारी थी. वो भी अपने गेट-उप में आ गये. उनकी पीली साड़ी ममाजी पर फब रही थी. ये देख कर मेरे ससुरजी हैरान रह गये की कोई और भी साड़ी पहनता है. इतने देर में सब मर्द साड़ी पहन कर औरतों की ड्रेस में आ गये. सबको अपने जैसा जान कर ससुरजी खुल गये और उनका गुस्सा भी शांत हो गया. लेकिन वासना की आग सब की और भड़क गयी थी. हमें मालूम था की ससुरजी का ये पहला अनुभव है तो उन्होने गांड नहीं मराई होगी और हमारा आज का यही काम था की उन्हे गांड चुदाई का आनंद दिया जाए. जैसा की अक्सर होता है की सब को अपनी गांड देने में फॅट जाती है तो ये काम भी मुश्किल ही था. सबसे छोटा लंड ममाजी का होने के कारण उन्हे पहले मौका मिलना तय था. मैने ससुरजी की साड़ी के अंदर हाथ डाल कर उनका लंड सहलाने लगा. उनका इतना कड़ा था की कहीं छलक ना जाए यही डर था. मैं उनके लंड को चूसने लगा, मेरे मामा उनकी गांड चाटने लगे. मेरे पापा, चाचा और दादा आपस में झगड़ रहे थे की पहले अपना लंड कौन चुस्वाएगा. ससुरजी तो लेने से माना कर रहे थे लेकिन दादाजी माने नहीं. बड़े होने के कारण पहला हक़ उनका बना. अपनी साड़ी उठाई और पूरा उनके गले तक डाल दिया. ससुरजी चिल्ला तक नहीं पाए. कंठ तक लंड घूसा हुआ था. और नीचे उनके लंड को मैं गांद को मामा चाट रहे थे. पापा चाचा फ्रेंच किस में मशगूल थे. ससुरजी को कुतिया वाली पोज़िशन में कर के ममाजी ने ढेर सारी वॅसलीन उनकी गांडमें लगाई और अपना लंड उनकी गांद में दे दिया. ससुरजी की क्या हालत होगी ये तो वही जाने. ना मूह से चिल्ला पाए ना ही गांद से लंड निकल पाए. दादाजी ने कासके सर पाकर रखा था और ममाजी ने कमर. थोड़ी देर में उन्हे मज़ा आने लगा जो चेहरे से झलकती थी. अब मेरी बारी थी. मैं उन्हे ब्लो जॉब देने लगा. तभी मेरे गांद दर्द करने लगी, क्यों ना हो, आख़िर मेरे चाचा ने अपना लंड जो दे रखा था. चाचा पापा का लंड चूसने के साथ साथ मेरी गांद भी मार रहे थे.

सारे झाड़ जाने के बाद लेट गये. थोड़ी देर में सब नॉर्मल हो गये. तभी मामा ने कहा “सुमन, अपनी बेटी छोड़ोगे?”, ये सुनते ही मैं चौंक गया, आख़िर मेरी बीवी की चुदाई की बात हो रही थी. पापा ने भी कहा, “हन सुमन, मेरी बहू का नंबर सब मर्दों के साथ लगना है, तुम चाहो तो जाय्न कर सकते हो”. “पापा, ये आप क्या बोल रहे हैं?” “बेटा, ये तो तुम्हारे घर की रीत है, तुम्हारी मम्मी तो दादा से चूड़ी थी, तुम्हारी चाची मुझसे और दादा से चूड़ी, अब तुम्हारी बीवी की बारी है.” “ये तो ग़लत है. मुझे भी तो मौका मिलना चाहिए.” “तो तुम्हे क्या चाहिए?””मामी की तो मैं ले चक्का हून. चाची, मम्मी और सास की भी तो मिलनी चाहिए.” “तो बêते, मा और चाची तो मिल जाएगी, अगर सास चाहिए तो ससुर को राज़ी करो.” “ससुर जी को तो मैं बीवी क्या अपनी गांद दे सकता हून.” ये सुनते ही ससुरजी खुश होगआय. “बेटे तुम्हारी भारी गांद देख कर तो मेरा लंड खड़ा होने ही लगता है. तुम ससुमा की चिंता ना करो. वो तो तुम्हे ऐसे ही मिलने वाली थी. मुझे बताए या बिना बताए वो तुझसे छुड़वा ही लेती.”

“तो फिर बीवियों की अदला-बदली कब होगी?” “आपकी बहू आपको पहुँचते ही मिल जाएगी, मेरी अम्मा का इंतेज़ां कर दो.” “तो फिर सोचने की क्या बात है, आज ही बुलवा लेते हैं.”

तार मिलते ही घर की सारी औरतें आ गयी. सब को लाने के लिए मैं स्टेशन गया. सबने पूचछा की बाकी मर्द कहाँ हैं. मैने कहा “आपका इंतेज़ार हो रहा है घर पर, सर्प्राइज़ मिलेगा.” घर की सारी औरतें अपने मर्दों के सारी पहनने के बारे में जानती हैं. लेकिन घर के सब मर्द औरत बनने के शौकीन हैं ये नहीं जानती थी. घर को मैने बाहर से लॉक कर दिया था. औतिए को लगा की घर पर कोई नहीं हैं. वो सब की सब उपर कमरे में गयी. कमरे में घुसते ही सब मर्दों को सारी में देखते ही चौंक गयी. फिर मारे खुशी के चिल्लाने लगी. मैं जो की नीचे था, झट से मैं डोर लॉक कर के उपर आ गया. फिर कहा, “क्यों आंटी, कैसा लगा सर्प्राइज़?” “बहुत अच्च्छा, लेकिन तुम तो अभी भी मर्दों के कपड़े में हो?” “तो फिर आप ही मेरा श्रीनगर कर दो.” सुनना ही बाकी था की सब औरतें मुझे नंगा करने में जुट गयी. मेरी बीवी अपने साथ मेरे लिए नयी सारियाँ ले कर आई थी.

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