हिन्दी गे सेक्स स्टोरी – लौण्डेबाज बिहारी – २

दो और अधिक मर्दों के बीच गाण्ड मारने-मराने वाले हिन्दी गे सेक्स स्टोरी का दूसरा भाग

मैंने टाँगें उठाईं और उसने जल्दी से लंड को ठिकाने पर रख कर एक तगड़ा झटका मारा..

‘पादुक.. पडुच..’ करता हुआ उसका हलब्बी लवड़ा मेरी गाण्ड में समाने लगा।

वो ज़ोर-ज़ोर से रह-रह कर मेरी गाण्ड फोड़ रहा था। मैं उसके प्रत्येक झटके का लुत्फ उठा रहा था।

उसको उकसाने के लिए मादक और कामुक सिसकियाँ भर रहा था।

‘और चोद.. ज़ोर से चोद.. लंड बहुत बड़ा है..’

उसने मुझे घोड़ी बनाया और तेज़-तेज़ धक्के देने लगा।

हाय क्या दम था बन्दे में..

उसने अपनी सुडौल जाँघों की ताकत से मुझे फाड़ डाला था और फिर उसने मुझे औरत की तरह नीचे डाल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदा और सारा माल मेरी गाण्ड में निकाल कर सांसें भरने लगा।
थोड़ा माल उसने मेरे गोरे मम्मों पर गिराया।

हम दोनों नंगे पड़े थे कि उसका दूसरा साथी अपने काम से वहाँ लौटा।

मुझे देख कर बोला- सालों.. यह क्या लगे हुए हो.. और ये कौन है लौंडा?

फिर वो मेरे नजदीक आया और उसने मेरे दायें मम्मे को पहले दबाया और फिर चूसते हुए मेरी गाण्ड थपथपाई- वाह.. कितनी गोल गाण्ड है.. पर है बहुत मस्त और नाज़ुक.. मेरा लंड भी खड़ा होने लगा है।

मैंने उसकी तरफ नशीली मुस्कान बिखेरी और होंठ चबाते हुए होंठों पर जुबान फेरते हुए आँखों से उसको भी बुला लिया।

उसने पजामा उतार कर अंडरवियर उतार दिया।

हाय.. उसका बड़ा लंड मुँह में डाल कर चूसना चालू किया.. उसका काफी लम्बा था।
इसलिए पूरा मुँह में नहीं समा रहा था।
मैं उसको चुसाई का मजा दे रहा था कि तभी किसी ने गेट खोल दिए।

दो हट्टे-कट्टे जवान ब्राउन कलर की निक्कर और बनियान में हाथों में बाल्टी पकड़े हुए कमरे के अन्दर घुसे।

उनको देख हमारे होश उड़ने लगे।

‘वाह..वाह.. रामेश्वर.. तुम तो छुपे रुस्तम हो.. अकेले-अकेले ही इस चिकने गांडू के साथ मजे ले रहे हो..’

रामेश्वर- आ..आप कैसे?

‘अरे मोटर ठीक नहीं हुई.. सुबह होगी इसलिए.. जरा पानी लेना था।’

मैंने रामेश्वर से पूछा- ये लाग कौन हैं?

मुझे रामेश्वर ने बताया कि यह लोग सीआरपी वाले हैं और किराए पर साथ वाले घर में रहते हैं।

मैं सोचने लगा- ओह.. ये कमीने तो मेरी फाड़ डालेंगे.. मैं अब निकलता हूँ..

मैंने जल्दी से खड़े होकर लोअर पहना टी-शर्ट डाली और निकलने लगा।

तभी फ़ोर्स का जवान सामने से आया और उसने मुझे खींच लिया।

फिर अन्दर ले जाकर.. वहीं ला फेंका, जहाँ से मैं उठा था।

उसने अपना लंड निकाल लिया और मेरे मुँह में घुसाने लगा।

अब कभी मैं रामेश्वर का लंड चूसता.. कभी उसका।

‘वाह.. तुम कमाल के गांडू रंडी हो.. आज तेरी प्यास इधर से पूरी बुझेगी..

‘देखो तुम दोनों आज ले लो.. उन दोनों को कल शाम को आकर मजे दे दूँगा..’

इतने में वो दोनों भी अन्दर आ गए और अपने-अपने लंड निकाल लिए और वो सूर्य जिसने.. पहले मुझे चोदा था.. फिर से तैयार था।

अब हालत ये थी कि उन सब ने एक गोला बना लिया था।
गोले के बीच में मैं था और चारों तरफ उनके लंड.. बड़े-बड़े काले.. सब चोटी के लंड थे।

‘चल साली.. बारी-बारी सब के चूस.. आज से हमारी रंडी है तू..’

मैं घोड़ी की तरह बन कर गाण्ड उठा कर सामने खड़ा हुआ ही था कि रामेश्वर ने पूरा लंड मेरी गाण्ड में पेल दिया और झटके पर झटका देने लगा।

आठ मिनट के करीब उसने मुझे जमकर भोगा और फिर शांत हुआ और मैं औरत की तरह सीधा लेट कर उनके सामने अपने दोनों मम्मे पकड़-पकड़ दबाने लग गया।

उनमें से एक ने आकर टांगें उठाईं और दो ने अपने लंड मेरे मुँह में लगा दिए और चुसवाते रहे।

उसने मुझे छह-सात मिनट पेला होगा.. वो भरपूर आनन्द से सराबोर हो रहा था।

मैं भी ग्रुप सेक्स का पूरा-पूरा मजा ले रहा था।

फिर दूसरे ने मुझे अपने लंड पर राइड करवाया।

मैं उछल-उछल कर उसका लंड लेने लगा।

उसका काफी आकर्षक और मोटा लंड था..

वो भी जैसे ही झड़ने लगा.. पूरा माल मेरे मम्मों पर.. और मेरे पेट पर निकाल दिया।

फिर उसने माल को लंड से भिड़ा कर मेरे मम्मों की मसाज कर डाली।

फिर तीसरे ने अपना लंड घुसाया ओह्ह.. उसका बहुत बड़ा था..
उस साले ने बारह मिनट तक दो तरीकों से मेरी गाण्ड का अपने लौड़े से भोग लगाया और पूरा माल मेरे पेट पर.. गले पर.. गालों पर बिखेर दिया और लंड से माल लगा कर मुझे अपना लंड चटवाने लगा।

मैंने सब के लौड़े साफ़ कर दिए।
उसका लंड लिया और सोचा काम खत्म हो गया है।

पर सूर्य फिर रेडी था.. उसने मुझे वापस खींच लिया और लंड डाल कर चोदने लगा।

हाय वो दूसरी बार था.. इसलिए पन्द्रह मिनट तक चुदाई करता रहा।

वैसे तो बाकी भी मुझे एक-एक बार और फोड़ना चाहते थे.. सभी मेरी गाण्ड का भोसड़ा बनाने का पूरा इरादा पाले हुए थे.. मगर मैंने अगले दिन आने का कह कर उनको रोक दिया।

चुदवा तो मैं लेता.. लेकिन साला घर भी जाना था मुझे..

उस रात मुझे बहुत झक्कास नींद आई।
इसी रात में मुझे एक बार ये भी लगा था कि कहीं मैं आज इन फ़ोर्स के आदमियों में फंस तो नहीं गया हूँ।

सभी के भुजंगी लौड़े मेरी आँखों के आगे घूमने लगे.. पांच मर्दों ने मुझे एक साथ एक दिन में पेल-पेल कर निहाल कर डाला था।

उसके बाद मैं कभी-कभी उनके पास चला जाता हूँ।

अभी के लिए इतना ही.. जैसे ही मैं फिर किसी मस्त लंड से चुदवाऊँगा तब वो दास्तान ज़रूर लिख कर हाजिर होऊँगा।
आपका प्यारा सनी गांडू

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