हिन्दी गे सेक्स स्टोरी – लौण्डेबाज बिहारी – १

दो और अधिक मर्दों के बीच गाण्ड मारने-मराने वाले हिन्दी गे सेक्स स्टोरी

प्रणाम दोस्तो.. मैं आपका सनी गांडू आपके लिए अपनी लेटेस्ट गाण्ड चुदाई लेकर फिर से हाज़िर हूँ।

आप लोग मेरे ईमेल पर मुझे जो प्यार दे रहे हो और कुछ मतवाले तो मुझे अन्तर्वासना के ज़रिए ही अपनी कलम से चोद चुके हैं और हो सकता है उनके बड़े लंड भी मुझे असल में चोद डालेंगे।

अपने बड़े लंड मेरी चिकनी गाण्ड में डालेंगे और मुझे और लंड डलवा कर मजा आएगा।

खैर.. मेरी एक और लेटेस्ट चुदाई आपके सामने पेश है।

उस शाम एक बार मैं बहुत डर सा भी गया था कि मैं कहीं गाण्ड चुदाई के चक्कर पकड़ा तो नहीं गया।

पूरी घटना सुना रहा हूँ।

पहले आपको बता दूँ मैं कई दिनों से ऑफिस से उस शॉर्टकट रास्ते से आता था।
रास्ते में एक घर बन रहा था.. वहाँ मुझे एक बन्दा खड़ा मिलता था।

एक दिन वो सारे दिन का थका हुआ ताजे पानी से नहा रहा था।

मेरी नज़र उसके कपड़े से चिपके उसके लंड पर थी।

क्या मस्त लंड था.. साला सोई हुई अवस्था में भी कितना ज़ालिम लग रहा था।

‘पानी पिला दो जरा..’

मैं उसके करीब गया.. थोड़ा पीछे सरका और झुक कर नल से पानी पीने के बहाने बेहद करीब से उसका लुल्ला देखा..

सच में बड़ा ज़ालिम लुल्ला था.. मैं खड़ा होकर मुस्कुराया.. उसको धन्यवाद किया और मेरी नज़र फिर से फिसल कर वहीं टिक गई।
शायद उसने भी मुझे समझ लिया था..

मैंने सोचा.. साला आज कंडोम नहीं था वरना अभी इसको पटा डालता।

मैंने नशीली नज़रों से उसको देखा.. मुस्कुराया.. अपने होंठ को हल्के से काटते हुए.. अपनी गाण्ड को मटकाते हुए वहाँ से चल पड़ा।

आगे जाकर मुड़कर देखा तो उसने भी जवाबी हमला किया।

उसने अपना हाथ अंडरवियर में घुसा लिया और लौड़े में साबुन लगाने लगाने के बहाने से उसने अंडरवियर खिसका दिया।

उसका काला लटकता हुआ लुल्ला देख कर मेरी गाण्ड में पसीना आने लगा था।
मेरा दिल तो किया कि मुड़ कर वापस चला जाता हूँ लेकिन फिर सोचा कि लोहे को कल तक और गरम होने दो.. तभी चोट अच्छी मारेगा।

पूरी रात उसके लंड की याद सताती रही.. वैसे वहाँ से मेरे कमरे तक दस मिनट का ही रास्ता था।

एक बार सोचा रात को उसको यहीं बुला लाता हूँ.. फिर सोचा कल लूँगा।

अगले दिन शाम मुझे आवश्यक काम की वजह से लेट होना पड़ा..
सोचा आज वो नहा-धो कर अन्दर चला गया होगा।

जब मैं वापस आया तब तक आठ बज चुके थे.. अँधेरा हो गया था।

उस रास्ते पर सुनसान रहता है.. लेकिन शायद उसको भी मेरा इंतज़ार था।

उधर एक बल्ब जल रहा था.. मुझे आते देख उसने नल खोला और नहाने लगा।

उसने आज अंडरवियर नहीं पहना था.. उसकी जगह छोटा सा कपडा बाँध कर नहा रहा था।

वो साबुन लगाने लगा।

‘पानी पिला दो.. थोड़ा..’

‘हाँ.. हाँ.. किस नल का पानी पीना है?’

मैंने मुस्कुरा कर कहा- एक ही नल चल रहा है.. उसी का पियूँगा।

मैं नल के करीब गया.. झुक कर पानी पीना चालू किया.. उसने कपड़ा खींच दिया.. और लंड पकड़ कर मेरे मुँह के करीब लाकर सहलाने लगा।

‘एक यह नल भी तो है मेरी जान.. रानी लो इसका पानी पी लो..’

‘यह सब क्या कर रहे हो?’

‘अभी बन मत.. पकड़ ले..’

मैं झुक हुआ था.. उसने मेरी गाण्ड पर हाथ फेरते हुए कहा- पकड़ ले.. वरना बाद में तड़पना मत..

मैंने धीरे से लंड अपने हाथों में लिया और सहलाने लगा।

उसका खड़ा होता गया भयंकर लंड था.. धांसू से भी धांसू था।

उसका लीची सा लाल सुपारा देख रहा था। जब नहीं रहा गया.. तो मैंने उसका चुम्मा ले डाला और सुपारे को चाटने लगा।

वो ‘आहें’ भरने लगा.. ‘सी.. सी..’ करने लगा।

‘आह्ह.. मेरे गांडू.. बहुत मस्त माल हो..’

मैं वहीं घुटनों के बल बैठ गया… और उसके लुल्ले को खुलकर चाटने लगा।

बोला- कसम से चुसवाने में कितना मजा है।

मैंने भी खुश कर दिया.. वो अकड़ने लगा।

मुझे मालूम हो गया कि उसका छूटने वाला है.. वो पीछे से मेरे सर को दबाव दे रहा था।

वो लौड़े को मेरे मुँह से निकालना नहीं चाहता था।

बोला- पी ले.. मेरा माल..

मैंने सर हिलाया ‘नहीं’..
लेकिन उसने मेरा पूरा मुँह अपने माल से भर दिया।

मैं बहुत कम ही किसी का माल निगलता हूँ पर मुझे उसका माल निगलना पड़ा।

अब वो हाँफने लगा..

मैंने कहा- अब मेरी गाण्ड का क्या होगा?

बोला- दुबारा खड़ा कर दे..

मैंने उसके लंड से खेलना चालू कर दिया.. मजे दे दे कर उसको उकसा-उकसा कर.. चूस-चूस कर उसका सुपारा चाट-चाट कर उसको खुश करने लगा।

धीरे-धीरे उसका लंड आकार लेने लगा और खड़ी अवस्था में आता देख मेरी गाण्ड में खुजली मचने लगी कि अभी यह लुल्ला मेरे अन्दर घुसने वाला है।

उसने मुझे पकड़ा अपने कमरे में ले गया और बिछे बिस्तर में डाल दिया।

फिर मुझे नंगा करके मेरे मम्मे देखे तो हैरान भी हुआ और मस्त भी हो गया।
उसने मेरे मम्मों को जम कर चूसा.. वो मेरे ऐसे चूचे देख कर हैरान था.. साथ-साथ उसने मेरी जांघें सहला रहा था।

‘साली बोल… डाल दूँ क्या?’

‘और क्या.. अब क्या नारियल फोड़ना है।’

मैंने टाँगें उठाईं और उसने जल्दी से लंड को ठिकाने पर रख कर एक तगड़ा झटका मारा..

‘पादुक.. पडुच..’ करता हुआ उसका हलब्बी लवड़ा मेरी गाण्ड में समाने लगा।

वो ज़ोर-ज़ोर से रह-रह कर मेरी गाण्ड फोड़ रहा था।
मैं उसके प्रत्येक झटके का लुत्फ उठा रहा था।

उसको उकसाने के लिए मादक और कामुक सिसकियाँ भर रहा था।

‘और चोद.. ज़ोर से चोद.. लंड बहुत बड़ा है..’

उसने मुझे घोड़ी बनाया और तेज़-तेज़ धक्के देने लगा।

हाय क्या दम था बन्दे में..

उसने अपनी सुडौल जाँघों की ताकत से मुझे फाड़ डाला था और फिर उसने मुझे औरत की तरह नीचे डाल कर ज़ोर-ज़ोर से चोदा और सारा माल मेरी गाण्ड में निकाल कर सांसें भरने लगा।

थोड़ा माल उसने मेरे गोरे मम्मों पर गिराया।

हम दोनों नंगे पड़े थे कि उसका दूसरा साथी अपने काम से वहाँ लौटा।

मुझे देख कर बोला- सालों.. यह क्या लगे हुए हो.. और यह कौन है लौंडा?

कहानी ज़ारी रहेगी।

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