हिंदी सम्भोग कहानी जवान समलैंगिक दोस्तों की: 4

Horny Indian fuckers enjoying a BJ and banging hard

हिंदी गे सेक्स कहानी: मैं- क्या बात है जान, गांड रेडी कर के घूम रही है, या चुदवा के आ रही है ??
आशु- आह,, क्या कह रहे हो, आपके अलावा किसी और से कैसे सोच सकता हूँ??

कहानी का पहला अध्याय यहाँ पढ़ें!

मैं- लंड बहार निकाल के फिर एक शॉट में अंदर डालते हुए , सोच नहीं सकती पर चुदवा सकती है तू रांड।। हैं ना ??

आशु- आह ,, क्या हो गया है आपको आज , दर्द हो रहा है मुझे,
मैं- हाहाहा दर्द ?? रंडी साली।। कल दो लंड लेकर दर्द नहीं हुआ?? आज भी चुदवा के आ रही है और अब बड़ी पति व्रता बन रही है ??
आशु- धीरे करो यार ,, आप तो मेरी फतांसी पूरी करने में बड़ा रही रोले प्ले कर रे हो।। आह मेरे मालिक।

मैं- अबे रांड रोल प्ले नहीं सच बोल रहा हु, तुझे इतना छोड़ लिया है अब तक की पहचान सकता हु की थोड़ी देर पहले चुदी है तेरी गांड। अकेला ही मजे कर रहा है कभी हमे भी बुफे खिला दे, हम बी चख लें नए लड़के।।। साथ मिल के करेंगे मजे।

आशु- आप मजाक कर रहे हो ना ??
मैं- नहीं रे , चला ना करते हैं ना ३ सम या ग्रुप।।
आशु- किसके साथ करोगे ?

मैं- तू, मैं , कल वाले दोनों और आकाश या किसी और को बुला ले।।।
आशु- फ्लो में ,,, कल वाले मे एक टॉप और एक वर्स था , आकाश फ़क नहीं करवाता सिर्फ ओरल करता है, आज वाला भी वर्स था कहो तो आकाश की जगह उसे और लेता हु,,, २ टॉप २ वर्स और एक बॉट, मस्त ग्रुप बनेगा।

मैं- साली रंडी अभी थोड़ी देर पहले तक तो बोल रहा था की मेरे अलावा किसी से नहीं चुदी तू।

आशु- अरे यार मुझे क्या पता था आप ओपन माइंडेड हो, कल जब आप आये तो एक लंड मेरी गांड में और दूसरा मेरे मुँह में था, पता होता आप मान जाओगे तो आपको भी शामिल कर लेता।

मैं वहीँ रुक गया और आशु को धक्का देकर अलग कर दिया,
मैं(जो अब तक गुस्सा रोके हुए था) – वाह री बाजारू रांड कितनी आग है रे तुझमे ?? साले हरामजादे शर्म नहीं आयी मेरे साथ खेलते हुए??
आशु- अब क्या हुआ आपको?

मैं- क्या हुआ ??? ये तू पूछ रहा है ?? मुझे कल ही पता था की क्या हो रहा था पर मुझे तेरे मुँह से सुनना था प्रशांत से भी चुद कर आया था ना तू, अरे कुछ तो ख्याल करता, प्यार करता था मैं तुझसे और तू,
हट, छी!

आशु – यार आप वररेक्ट कर रे हो, सुनो तो, प्यार तो मैं आपसे ही करता हूँ वो तो बाकी सब ऐसे ही टाइमपास हैं!

मैं- टाइमपास।। हाहाहा वाह गुरु
आशु- यार प्लीज आप ऐसे रियेक्ट ना करो।

मैं- आशु इससे पहले की मैं मार मार के तेरा भूत बना दूँ मेरे सामने से चला जा,
मेरी आँखों मैं खून देखकर वो चुपचाप अपने कपडे लेकर अपने कमरे मैं चला गया,
आंटी जब शाम को आयी तो हमे चुप देखकर पूछने लगी , अवि बेटा कुछ हुआ क्या ?

मैं- नहीं तो आंटी!
आंटी- कुछ तो ?? तू इतना चुप मेने कभी नहीं देखा,
मैं- कुछ नहीं आंटी , बस थोड़ा मन ख़राब है,
आंटी- कोई परेशानी है तो बता,

मैं- नहीं आंटी ऐसा कुछ नहीं, अच्छा आंटी मैं सुबह घर जाऊंगा
आंटी- मुझे तो लगा रुकेगा कुछ दिन,, इतनी जल्दी ?
मैं- बस आंटी मन नहीं लग रहा, घर की याद आ रही है,

आंटी- इधर आ मेरे पास, और बता क्या हुआ? आंटी ने इतना कहकर मेरे सर पर हाथ फेरा।
आंटी का इतना कहना था की मैं बच्चो की तरह रोने लगा और आंटी के गले लग गया!

आंटी- रोने से दिल हल्का होता है बच्चे, रो ले और बता क्या हुआ ? माँ हूँ ना तेरी ??
मैं- आंटी मैं किसी से प्यार करता था उसने मुझे धोखा दे दिया, मुझे लगा मैं उसका पहला ना सही आखिरी प्यार हूँ पर मुझे नहीं पता था की मैं सिर्फ एक ऑप्शन हूँ, टाइम पास हूँ ,आखिर किसी कितना चाहना पड़ता है की वो सिर्फ हमारा होकर रहे।

(बैकग्रॉउंड में आशु मुझे इशारे से माफ़ी मांगता हुआ दर रहा था की मैं कहीं आंटी को उसके बारे में बता ना दूँ)

आंटी- चुप चुप चुप। उसकी सजा खुद को क्यों दे रहा था वो शायद तेरी थी ही नहीं, कुछ लोग हमारी ज़िंदगी में सिर्फ सबक देने आते हैं और चले जाते हैं।

मैं- आंटी सबक नहीं उसने तो मुझे मौत सी दे दी,शारीरिक भूक के लिए किसी के ज़ज़्बात से खेलना कहाँ तक सही है ? जिसे मैंने प्यार किया वो तो हर सप्ताह या हर घंटे नए शरीर से प्यार कर जाये तो भी उसे कम है। मैं कैसे जियूँगा इसके बाद।

आंटी- अरे पागल, चार फिल्मे देख कर आया बड़ा मजनू बनने, उम्र ही क्या है तेरी ? २०-२१ ?? इस उम्र में ऐसे बातें, पागल,
ज़िंदगी रूकती नहीं किसी के होने या ना होने से, वक़्त हर जख्म भर देता है बेटा।

हिंदी गे सेक्स कहानी दोस्त से आशिक बनने की

और हाँ कोठे की चादर से मंदिर के परदे नहीं बनाये जाते अच्छा है ना तुझे वक़्त रहते पता चल गया की जिस कपडे से तू अपने मंदिर जैसे जीवन के परदे बनाने के सपने देख रहा है वो असल में कोठे बी चादर है।

चल अब चुप हो जा, वक़्त को थोड़ा वक़्त दे।

मैंने आंटी की गोदी में सर रखा और ना जाने कब सो गया, अगली सुबह उठा और आंटी से विदा लेकर आशु से औपचारिकता निभा कर चुपचाप वापस आ गया।

कैसे बताता आंटी को की कौन है वो जिसने मेरा ये हाल किया।।।
काफी बार आशु ने मुझे कांटेक्ट करने की कोशिश की पर मेने उससे नाता तोड़ लिया। धीरे धीरे ज़िंदगी ने कुछ घाव भर दिए और मेरा पहला प्यार मुझे सबक दे गया।

आज वो कहाँ है कैसा है पता नहीं, पर हाँ आंटी की बहुत याद आती है।

Comments