Desi Gay Sex Story: दिल्ली की नौकरी : 2

Desi Gay Sex Story: दिल्ली की नौकरी : 2

Desi Gay Sex Story: हेलो दोस्तों, जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, , में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू….!! आप सबने पिछली कहानी दिल्ली की नौकरी : 1 में पढ़ा के कैसे मुझे दिल्ली जैसे शहर मैं एक नौकरी मिल गई, खैर, नौकरी तो मिल गई, लेकिन दिल्ली में रहने की जगह ढूँढना और बाकी सारे इंतज़ाम कैसे करता? मैंने फिर विनोद का रुख किया , उसे पिछली मदद का थैंक्स भी तो कहना था, अपॉइंटमेंट लेटर लेने के बाद मैंने वैसे भी सभी इंतज़ाम करने के लिए 4 दिन का वक़्त मांग लिया था. उसी दिन मैं विनोद को लेकर पास वाले रेस्टॉरेंट मैं गया.

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जाने क्यों मैं विनोद की और स्वाभाविक आकर्षित था. लंच करते वक़्त मैंने उसे अपनी समस्या बताई, तो है कर बोला ” बस भाई इतनी सी बात” .. मैं हैरान था, उसकी हसी देखकर, मैंने पुछा के ये सब कैसे होगा… ?? वो बोला जहाँ मैं किराए पर रहता हुईं , वहां एक रूम खाली है, शाम को छुट्टी के वक़्त दिखा देता हूं. मैंने कहा भाई आप बस फाइनल करो, तो वो बोला अब घर जाओ कल सामान ले आना, मैं तुम्हे बस स्टैंड से ले लूंगा.

मैं विनोद को अगले दिन शाम को बस स्टैंड मिला और हम उसके मकान मालिक के पास पहुंचे , काफी सुलझा हुआ आदमी था, करीब 58 साल का रहा होगा. वक़्त गुज़रता गया, हम दोनों ऑफिस साथ जाते और शाम को वो अपना काम करता और मैं अगले टेस्ट्स की तैयारी . इस बीच एक दिन क्या हुआ कि… मैंने देखा प्रदीप विनोद के रूम पर आया हुआ है, मुझे लगा दोनों मिल कर पी रहे होंगे मैं पीता नहीं, सो मेरा वहां क्या काम. पर हाथ मिलाने के इरादे से चला गया

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मैंने यूँ ही एक बार खिड़की से उसके कमरे में झाँका। विनोद और प्रदीप नीचे बैठे दारू पी रहे थे। सामने टीवी चल रहा था। अचानक मैं चौंक गया । प्रदीप का हाथ धीरे से विनोदकी जाँघ पर आया और धीरे से उसके लण्ड की तरफ़ आ गया। विनोद ने तिरछी नज़रों से उसके हाथ को देखा, पर कहा कुछ नहीं। अब प्रदीप का हाथ उसके लण्ड पर था। विनोद के जिस्म में थोड़ी कसमसाहट हुई। प्रदीप ने अब उसका लण्ड अपने हाथों से दबा दिया। विनोद ने उसकी कलाईयाँ पकड़ लीं पर लण्ड नही छुड़ाया। तभी प्रदीप ने पाजामे का नाड़ा खोल दिया और विनोदका लण्ड बाहर निकाल लिया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।

प्रदीप ने धीरे से विनोदके सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी। विनोद भी उसके पाजामे के अन्दर हाथ डाल कर कुछ कर रहा था। कुछ ही देर में वो नंगे हो गये। दोनों शरीर से सुन्दर थे, बलिष्ठ थे, चिकना जिस्म था। मेरी भी इच्छा होने लगी कि अन्दर जा कर मैं भी मज़े करूँ। वो दोनों एक-दूसरे से लिपट गये और कमर हिला हिला कर लण्ड से लण्ड टकराने लगे। दोनों ही बिस्तर पर लेट गये और और करवट लेकर उल्टे-सुल्टे हो गये। अब दोनों का लण्ड एक-दूसरे के मुँह के सामने थे। दोनों ने एक दूसरे का लण्ड अपने-अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मन में मीठी सी चुभन होने लगी थी।

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दोनों की कमर ऐसे चल रही थी जैसे एक दूसरे के मुँह चोद रहे हों। दोनों ने एक-दूसरे के गोल-गोल चूतड़ों को दबा रखा था। पर विनोदने अब प्रदीप की गाँड में अपनी ऊँगली घुसा डाली। और थूक लगा कर बार-बार ऊँगली को गाँड में डाल रहा था। अचानक विनोद उठा और प्रदीप की गाँड पलट कर उस पर सवार हो गया। उसने प्रदीप की चूतड़ों को चीर कर अलग किया और अपना लण्ड उसकी गाँड में घुसाने लगा। मुझे लगा कि उसका लण्ड अन्दर घुस गया था। प्रदीप ने अपनी टाँगें फ़ैला दी थीं। विनोदके बलिष्ठ शरीर के मसल्स उभर रहे थे। कमर ऊपर-नीचे चल रही थी। प्रदीप की गाँड़ चुद रही थी।

अब विनोदने प्रदीप को उठा कर घोड़ी बना दिया और उसका लम्बा और मोटा लण्ड अपने हाथ में भर लिया। अब उसे शायद धक्के मारने में और सहूलियत हो रही थी। उसका लण्ड विनोदकी मुठ्ठी में भिंचा हुआ था। वह उसकी गाँड़ मारने के साथ-साथ उसके लण्ड पर मुठ्ठ भी मार रहा था। दोनों सिसकियाँ भर रहे थे। इतने में विनोदने जोर लगाया और उसका वीर्य छूट पड़ा। विनोदने उसे जकड़ लिया और मुठ्ठ कस-कस के मारने लगा। इससे प्रदीप का वीर्य भी जोर से पिचकारी बन कर निकल पड़ा। दोनों के मुख से सिसकारियाँ फूट रही थीं… पूरा वीर्य निकल जाने के बाद वो वहीं बैठ गये और सुस्ताने लगे।

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शो समाप्त हो गया था सो मैं धीरे से वहाँ से हट गया । मैं अपने कमरे मैं वापिस आ गया । दोनो के शरीर मेरे मन में बस गये थे। मेरी इच्छा अब हो रही थी। चाहे विनोद हो या प्रदीप… दोनों ही मस्त चिकने थे…। मैंने फ़ैसला किया कि चूँकि विनोद यहीं रहता है, इसलिये उसे पटाना ज्यादा सरल है, फिर प्रदीप से तो वैसे भी सब कुछ हो ही चूका… कहीं वो मुझे गलत न समझने लगे । यही सोच मैं सो गया । दूसरे दिन विनोदकहीं बाहर से घूम कर आया तो मैंने उसे अपने प्लान के हिसाब से रोक लिया। कहानी जारी रहेगी !!

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अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

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