हिंदी समलैंगिक कहानी: अजनबी मेहरबान: 3

हिंदी समलैंगिक कहानी: अजनबी मेहरबान: 3

हिंदी समलैंगिक कहानी: हेलो दोस्तों, जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, , में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू….!! अभी तक आपने पढ़ा के दो पुलिस वालों ने मुझे लिफ्ट तो दी… पर एक पर पहले मेरी नियत खराब थी.. फिर उसकी भी होने लगी .. और फिर वो मुझे झाड़ियों में एक खाली झोंपड़ी में ले गए… और फिर शुरू हुआ वो जो होना तय था …

आरम्भ से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

शुभ बोला- यार, मन्नै बी चुसवान लेण दे थोडा!

तो राज ने मुझे शुभ की तरफ धकेल दिया और शुभ ने जिप में लटक रहा लंड मेरे मुंह में दे दिया। मैं उसके लंड को जीभ लगा लगाकर चूसने लगा और राज घुटनों तक पैंट सरकाए हुए और जांघों में फंसी फ्रेंची के साथ चलता हुआ सामने जाकर बैठ गया और झोंपड़ी की दीवार से कमर लगाकर हमें देखता हुआ लंड को हाथ में हिलाने लगा।

इस वक्त बहुत ही सेक्सी लग रहा था वो.. मन कर रहा था जाकर उसके लंड पर बैठ जाऊँ… और चुद लूं उससे!

2 मिनट बाद शुभ को लगा कि वो होने वाला है तो उसने मेरे मुंह से लंड निकाल दिया और मुझे राज के पास धक्का दे दिया। मैं जाकर सीधा उसकी जांघों में फंसी फ्रेंची के बीच में जाकर गिरा जहाँ उसके लौड़े का कामरस लगा हुआ था।

वो बोला – चाट ले मेरी जान इसे.. सबको नसीब नहीं होता ये!

मैंने उसकी फ्रेंची में लगे उसके प्रीकम को चाट लिया। अब उसने मेरा मुँह अपने लौड़े के नीचे लटके आंडों में दे दिया जहाँ जांघों पर हल्के बाल भी थे। मैं उसके आंडों को चूसने लगा.. वो भी आनन्द में डूब गया और उसकी आंखें आनन्द के मारे बंद हो गई और लाल होंठ खुल गए.. वो अपने आंडों को चुसवाने का मजा ले रहा था।

तभी बाहर से किसी आदमी की आवाज़ आई- अरै कुनसा है भीतर? (अरे कौन है अंदर)

हम तीनों एक बार के लिए सहम गए, जब तक हम संभल पाते एक 50-52 साल का आदमी झोपड़ी के अंदर दाखिल हुआ.. होंठों पर बड़ी बड़ी मूंछें, हल्की फीके हरे रंग की पूरी बाजू की शर्ट जो उसने अपने डोलों तक ऊपर कसी हुई थी और नीचे एक नीले रंग का टी.टी. का अंडरवियर पहना हुआ था जिसमें से उसके लंड का उभार हिलता हुआ हमारे सामने आकर थम गया था.. उसने कंधे पर फावड़ा डाल रखा था और घुटनों तक के पैर पानी में भीगे हुए थे…

हम समझ गए कि यह खेत का किसान है..

हम तीनों कुछ देर तो हक्के बक्के उसको देखते रहे, फिर राज कुछ संभलते हुए बोला- ना दादा.. हम तो बस यूं ही थोड़ा दिल बहला रहे थे इसके साथ… लेकिन ये तो लड़की से भी ज्यादा मजा़ दे रहा है.. यकीन ना हो तो आप भी ट्राई कर लो!

वो बोला- ना भाई.. तुम ही कर लो.. जब हो जाए तो बता दियो, मैं बाहर ही बैठा हूँ..
यह कहकर वो झोपड़ी के बाहर निकल गया। अब तक राज और शुभ दोनों के ही लंड आधे सो चुके थे लेकिन तुरंत ही राज ने शुभ को बोला- आ जा तू भी चुसवा ले अब..

कहते ही शुभ राज की जगह उसी अवस्था में बैठकर लंड चुसवाने लगा और राज ने अपनी पैंट पूरी निकाल कर फ्रेंची और बनियान भी निकाल दी। अब वो पूरा नंगा होकर मेरे पीछे खड़ा हो गया.. मैं शुभ का लौड़ा मस्ती से चूसे जा रहा था।

इतने में राज ने अपने मजबूत हाथों से मेरी गांड को ऊपर किया और मेरी पैंट के हुक को खोलने लगा। मैंने मदद करते हुए हुक खोला और पैंट नीचे कर दी, मैंने गहरे नीले रंग की फ्रेंची पहनी थी जिसमें मेरी गोरी जांघें बिल्कुल लड़कियों जैसी लग रही थीं।

राज ने अपने सीधे हाथ से मेरी जांघिया को नीचे खींच दिया और मेरी गांड का छेद उसकी आखों के सामने आ गया। वो मेरे नर्म मुलायम चूतड़ों को हाथों से दबाता हुआ इस्स इस्स करने लगा और अपनी उंगली मेरी गांड में डाल दी। मुझे हल्का सा दर्द हुआ.. उसकी उंगली बहुत ही मोटी और सख्त थी।
अब उसने उंगली मेरी गांड में अंदर बाहर करनी शुरु की और मेरी गांड में लंड लेने के लिए खुजली बढ़ने लगी.. एक तरफ मैं शुभ का लौड़ा चूस रहा था दूसरी तरफ गांड हिला हिलाकर राज उंगली से चुद रहा था।

अब राज घुटनों पर बैठता हुआ अपने मोटे लंड का सुपाड़ा मेरी गांड पर लाकर रगड़ने लगा.. उसका लौड़ा फिर से उफान पर आ गया और देर न करते हुए उसने अपने लंड की टोपी मेरी गांड के बंद गोल छेद पर ऱखी और मेरी गांड को दबोचते हुए इतनी जोर का धक्का मारा कि एक ही झटके में उसका लंड मेरी गांड में अंदर तक जा फंसा।

दर्द के मारे मैंने शुभ के लंड पर दांत गड़ा दिए… दांत उसको चुभ गया तो उसने ज़ोर का तमाचा मेरे मुंह पर जड़ दिया, बोला- साले आराम से देख कर चूस.. खाएगा क्या लौड़े को..

अब राज ने मेरे चूतड़ों को दोनों हाथों से पकडते हुए चोदना शुरु किया। दो मिनट बाद मेरी गांड उसके लंड के नशे में डूब गई और हम तीनों की सिसकारियों से झोंपड़ी गूंजने लगी.. माहौल कामवासना से भर गया, शुभ की आंखें बंद हो गईं और उसका लंड अकड़ता हुआ मेरे मुंह में दूध की पिचकारी मारने लगा..

लेकिन राज अभी भी मेरी गांड को गचा गच पेल रहा था.. शुभ ने आंख खोलकर सामने देखा तो वो किसान दरवाजे में खड़ा हुआ सब देख रहा था।

शुभ ने कहा- अरे दादा, ले लो मज़े.. लुगाई भी नहीं देती होगी इतने.. जितने ये दे देगा…

वो कुछ सेकेंड्स तक सोचता रहा और फिर बोला- हरामखोरो, मेरा जी (मन) तो नहीं कर रहा था लेकिन तुमको देखकर घने (काफी) दिन बाद लंड मैं (में ) इतना जोश आया है.. कहकर उसने फावड़ा नीचे पटक दिया और शुभ को हटने के लिए बोला।

शुभ के उठते ही वो मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। नीले टी.टी के अंडरवियर में उसका लंड मेरी आंखों के सामने तना हुआ मचल रहा था.. किसी छेद में जाने के लिए.. और वो थे मेरे होंठ.. जब उसने अंडरवियर नीचे किया तो उसका काले रंग का मोटा लंड जिसका गहरा गुलाबी सुपारा था, मेरी नाक के सामने लटक गया।

उसने हवस भरे अंदाज में अपना लंड मेरे गालों पर और होठों के आस पास फिराया और इस्स इस्स करता हुआ मेरे होंठों पर रगड़ने लगा। उसका लंड 5 इंच से थोड़ा ज्यादा लंबा था लेकिन मोटा बहुत था इसलिए उसको मुंह में भरने के लिए मैं भी बेताब था। अब उसने मेरा मुंह खुलवाया और अपना मोटा लंड मेरे मुंह में देकर गांड को आगे पीछे हिलाता हुआ चुसवाने लगा। पीछे से राज मेरी गांड के अंदर घुसने को हो रहा था.. उसके लंड के धक्के मुझे आगे धकेल रहे थे जिससे उस किसान का लंड मेरे गले तक चला जाता था और मेरा मुंह उसके आंडों में जाकर लग रहा था, दोनों ही अपने जोश में मेरा मुख और गांड चोदन कर रहे थे और मैं आगे और पीछे से मोटे लौड़े लेता हुआ आनन्द विभोर हो रहा था।

पीछे से जवान जाट राज का मोटा लंड और आगे से मजबूत शरीर वाले किसान का लौड़ा.. मेरी वासना तृप्त हो रही थी.. फिर एकाएक राज मेरी कमर पर झुक गया और बालों भरी छाती से मेरी कमर को कंधे तक कवर करते हुए मुझ पर अपना भार डालते हुए तेज तेज लंड को गांड में घुसाने और निकालने लगा जैसे कोई कुत्ता एक कुतिया को चोदता है।

उसकी इस क्रिया से मैं जन्नत की सैर करने लगा और किसान के लंड को होठों से भींचते हुए जोर जोर से चूसने लगा, उसके हाथ भी मेरे सिर पर आकर मेरा मुंह लंड में घुसाने लगे और दो मिनट बाद राज जोर जोर से आह.. आह.. करते हुए अपने थन के दूध की धार मेरी गांड में छोडता हुआ मेरी पीठ पर पसर गया जिसके भार से मेरा मुंह भी नीचे बैठे किसान की जांघों के बीच में जाकर फंस गया और उसके लंड को पूरा गले तक निगल गया जिससे मिले आनन्द के कारण उसने भी मेरे मुंह में अपने वीर्य की धार मार दी और मेरा सिर जांघों में दबोचकर मुझे अपना गर्म गर्म वीर्य पिला दिया।

आह.. क्या अहसास था वो.. इतना मज़ा कि मैं भी लंड को हिलाए बिना ही वहीं घास फूस पर झड़ गया..

किसान थक कर झोपड़ी की दीवार के सहारे लग गया और राज अपना लंड मेरी गांड से निकालता हुआ उठ कर अपने कपड़े उठाकर पहनने लगा.. उसने शुभ को चलने के लिए कहा जो पहले से ही संभल चुका था..

राज ने फ्रेंची से अपने सोये हुए लंड को ढका, पैंट पहनकर सैंडो बनियान पहन ली और शर्ट को कंधे पर डालते हुए निकलने लगा तो नीचे अध नंगा पड़ा किसान बोला- भाईयों इसनै तो सच में ही लुगाई से ज्यादा मजा दे दिया..

ठंडी के मौसम में हम लेकर आए हैं एक गरमा-गरम हिंदी समलैंगिक कहानी जिसमें रात के वक्त एक लौंडा दो हरियाणवी मर्दों की रात गर्म करता है।

यह सुनकर दोनों पुलिस वाले हंसने लगे और बोले- कोई बात नहीं दादा.. फिर कभी चक्कर लगाएँगे आपकी झोंपड़ी का.. कहकर दोनों निकलने लगे और बोले- चल भाई आशु तू भी उठ ले.. तुझे 52 में पटक देंगे..

मैं भी कपड़े पहनकर उनके साथ निकल चला और 2-3 मिनट बाद उन्होंने मेरी दुखती हुई गांड के साथ मुझे मेरे फ्लैट तक छोड़ दिया। उसके बाद हम तीनो ने फ्लैट पर चाय पी… बिस्कुट खाये… जब तक में चंडीगढ़ में रहा वो मेरे खूब अच्छे दोस्त रहे और कई बार मददगार साबित हुए…!!!

अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

Comments