हिंदी सेक्स कहानी समलैंगिक मर्दों से चुदाई की

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हिंदी सेक्स कहानी: आज चाचाजी क साथ मै बैंक गया हुआ था वहा एक 38 – 40 साल का एक अदमी खडा था, लगभग 5,11 inc हाइट का पुरे बदन में काले-सफेद बाल मुच्छे भी हल्की सफेद मतलब अलसी मर्द पुरा भालू के जैसा।

मैने उसे देखा और देखता ही रह गया मैने पुरा बदन देखा उस ka ठोस मर्द जैसे और एका एक मेरी नज़र उस के जीन्स पर गई उस का समान भर से ही उठा दिख रहा था, मेरी गांड में चदाई कि खुजली होने लगी कि इस का लण्ड तो आज पक्के से लूगा मै।

मै उस के पास गया और पैन माग लिया लिख्ने को उसने मीठी सी मुस्कान के साथ पेन दे दिया फिर मेरे दिमाग मे एक आइडिया आया मैने अपना फ़ोन निकला और झुठा कॉल कर के सेक्सी गे वली बताए करने लगा वो यह सब सुन रहा था उसने मेरे तरफ देखा मैने उसे पेन वापिस किया मैने उस का हाथ पेन के साथ पकड के दबा दिया उसने मुस्करा के मेरे हाथ पकड़ा लिया तो मै सम्झा गया कि आज चुदूगा तो पक्के से!

मैने भी अपना हथ उस के लण्ड के पास रख के हल्का सा दबा दिया उस ने मुझे एक जलद जैसे देख्ता है उसने मुझे उसी नज़रो से देखा और बोला -” चलो चल्ते है कही अक्ले मे” मै तो चह्ता ही था एसा हो सो हो गया। मैने चाचाजी से बोला मुझे कॉलेज जान है मै निक्ल्ता हू।

रास्ते मे उसने मुझे अपना नाम मुकेश बतया, मुकेश ने मुझे सुनसान जगह का बोल के बाइक स्टार्ट कर दी मैं भी बेठ गया की आज तो अच्छी चुदाई होगी। वो एक रामजी चौक में रूखा और मुझे बोला रूखों यही मैं कंडोम ले के अता हूँ मैने भी हा बोल दिया ।

वो मेडिकल की तरफ़ गया और वहाँ से कण्डोम् लिया और एक किसी को कॉल करने लगा मैने सोचा बोवी को बोल रहा होगा लेट हो आऊगा ।
वो आया और बाइक स्टार्ट कर कि बोला बैठो मैं भी बैठ गया । हम लोग एक सिटी के बाहर खेतों कि साइड एक घर में रूखे वहाँ गेट पे खड़े हो के उसने संदीप संदीप कर कि आवाज़ लगाई वहाँ घर से एक 6 feet का अच्छा हटा काटा अदमी आहा और गेट खोला मैने सोचा होगा कोई ।

मैं घर कि अंदर गया वहाँ दिखा की वहाँ और कोई दूसरा रूम नहीं था जो खुला हो सब बंद थे बस जहां मैं बैठा था वही एक था मुझे अजीब लगा उतने में मुकेश और संदीप दोनों आ गये हस्ते हुए मुझे से बोले – “कुछ पियगा खाये गा, मैने बोला नहीं कुछ नहीं बस पानी” सन्दीप बोला हम दोनों दारू पिये गे तू पिये गा मैने बोला नहीं ।

दोनों बैठ गये और दारू पीने लगे कुछ आधे घंटे बाद मुझे बाथरूम जाना था तो मैं बाथरूम का पूछ कि मुकेश से पूछ के चला गया।

मै बाथरूम मे गया और अच्छे से क्लीन किया अपनी गांड को और निकला बाथरूम से तो देखा की सन्दीप और मुकेश दोनों नागे हो गए है और दोनों का लंड पुरा तो नहीं पर खड़ा है संदीप का 7inc लंबा और 5 inc मोटा था और मुकेश का भी 6 inc लंबा और 5 inc मोटा था मैं समझ गया था कि अब जो होगा वो बहुत ख़तरनाक होगा।

मैने थोडा मज़ाक मे बोला नहीं नहीं मै बस एक के ही साथ कारूगा दोनो के साथ नहीं ।

मुकेश ने मुझे एक थपढ़ मारा और बोला “मादरचोद साले तू आज फास गया है हम दोनों जानवर है और हमे हमाहरा गन्डू सिकार कई दिनों से नही मिल रहा था पर आज तू ख़ुद सीकर बान के ख़ुद आ गया” बस फिर दोनों ने मुझे उठा के सोफ़े पे पटक दिया और दोनों अपना मोटा लंबा लंड ले कि मेरी मुँह कि पास का के मुझे थपड़ मार मार कि लंड चुसवाया ।

फिर संदीप ने अपना लंड मेरी गंद के छेद में रख कि डालने लगा मैं झटपटा रहा था जाने दो जाने दो चिल्ला रहा था पर मुकेश का लंड मेरे मुँह में था मेरी दोनों हाथ संदीप ने पीछे पकड़ के रखे थे।

मेरी हालत उस मुर्गी जैसे थी जैसे का गाला कसाई के हथों में रहता है और वो चुरा मारता रहा है और मुर्गी झटपटाती रहती है खून से लातपात।

कभी सन्दीप कभी मुकेश मेरी गंद में अपना अपना लंड दल कि ढके मारते मेरी गंद में चाहते मारते कभी मेरा गाला दबाते और मेरे दूधो को तो उन ने दबा दबा कि लाल कर दिया था मैं इतना थक चुका था की मैं उठ नहीं पा रहा था पर दारू का नशा और जानवर की भूक उन दोनों पे इसी चढ़ी थी की 1 घंटे थक मेरी गंद फड्ड चुदाई चलती रही ।

मुकेश ने मेरी जिस्म में और संदीप ने मेरी गंद में ही अपना अपना पानी निकल दिया और थक के लेट गए ।

मैं कुछ देर एसा ही डाला रहा फिर हिमत कर उठा और बाथरूम में गया और अपनी गंद धोने लगा मेरी गांड मे से खून और सफेद लण्ड से निकला हुआ आमृत निकल रहा था पर लगातार संदीप का सफ़ेद पानी मेरी गंद से निकल ही रहा था जैसे मानो उसने एक दो ग्लास निकल दिया हो ।

खेर मैं साफ़ कर ही रहा था की सन्दीप आहा और पीछे से मुकेश भी आ गया मुझे एक थपड़ लगा कि बोले की “मादरचोद रण्डी साली हम लोग का लंड कोन साफ़ करेगा और इतना बोल के मुकेश ने मेरे बल पकड़ कि नीचे गिरा दिया और फिर जो मैंने नहीं सोचा था वो हुआ ।

हिंदी सेक्स कहानी देशी गे चुदाई की

संदीप और मुकेश ने मेरे ऊपर ही पेशाब करने लगे, दारू कि करण पेशन से मेहम आ रही थी पर पेशाब बहुत गर्म थी जैसे मानो किसी ने बहुत गरम पानी आग से सीधे उठार कि डाल दिया हो जिस्म में ।
मैने सब किया जो जो उन ने बोला वो सब क्यूकी मेरे पस और कोई चारा नहीं था।

बाहर आने के बाद मैने दिखा दोनों सोफ़े में डाले है आखे बंद किए मैने सुकर माना की अब चलो कुछ नहीं होगा अब पर मेरी यह गल्टफ़ेमी थी। संदीप मुझे चिल्ला कि अपने पास बुलाया और बोला चल लण्ड चूस मैं क्या करता मैंने चूसना चालू कर दिया फिर से उस का खड़ा हो गया मुजेश का लण्डभी तैयार हो गया ।

जो सोचा था वही हुआ फिर से दोनों ने मुझे चोदा।

अखरी में मैने दिखा मेरी गंद से खून निकल रहा था गंद कि छेद की स्किन फट गई थी और गंद फुल गई थी ।

उस दिन मै गांड से गले तक चुदा।

अब मैं चाहता हूँ की मेरी एशे ही चुदाई हो इसलिए हर संडे को मै ऊन के उसी खेत वाले घर जता हू और एसे ही चुदता हूँ।

12-12-2022 कि कहनी फिर कभी सुनाऊगा जब मै एक बस बोत्तोम और चार टॉप।

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