Desi Gay Sex Story: दिल्ली की नौकरी : 5

Desi Gay Sex Story: दिल्ली की नौकरी : 5

Desi Gay Sex Story: हेलो दोस्तों, जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, , में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू….!! आप सबने पिछली कहानी दिल्ली की नौकरी: 4 में पढ़ा के कैसे विनोद ने कुछ हद तक जबरदस्ती लेकिन मुझे उस सीमा तक दर्द और आनद का अनुभव करवाया के जो मैंने सोचा भी नहीं था… फिर एक दिन कुछ यूँ हुआ के…

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विनोद कुछ दिनों के लिए कोई ट्रेनिंग करने बैंगलोर चला गया और मुझे चंडीगढ़ भेज दिया गया. सच पूछो तो मैं विनोद को बहुत मिस कर रहा था. लेकिन वासना की आग आदमी को कितने दिन जीने देती है? मैंने फेसबुक पर एक फेक प्रोफाइल बनाया verma aarav के नाम से. जिस लड़के से मेरी कुछ दिनों से बात हो रही थी वो कंपनी के गेस्ट हाउस से थोड़ी दूरी पर रहता था.. नाम था सचिन . हमारा 2-3 बार मिलने का प्लान बना , क्यूंकि मेरे पास गेस्ट हाउस में पर्सनल AC रूम था, सो जगह की कोई दिक्कत नहीं थी. उसकी एक बड़ी फन्तासी थी, ग्रुप सेक्स करने की ! लेकिन मैं यह सोच कर मैं डर जाता था और टाल देता था।

लेकिन एक दिन उसने मुझे मना ही लिया, यह कह कर कि यदि मुझे तकलीफ हुई तो वह सब नहीं करेंगे। मैं मान गया। उसने दो लोगों को बुला लिया था, उनमें से एक टॉप जिसका नाम आरिफ था, और एक वर्सेटाइल निखिल नाम का लड़का था। मेरा दोस्त सचिन टॉप था, और मैं आशु, वर्सेटाइल बॉटम. वे सब पहले ही मेरे दोस्त के घर पर पहुँच गए थे। जब मैं पहुँचा तो सबने कहा- थोड़ी थोड़ी पी लेते हैं, तब मज़ा आएगा।

मैंने भी सोचा ठीक है। अब में तो पीता नहीं था.. तो मैंने सॉफ्ट ड्रिंक उठा ली…

एक एक बीयर पी, फिर उसके एक दोस्त ने एक सिगरेट जलाई और सब बारी बारी पीने लगे। उन्होंने आपस में कुछ बात की और कहा- बाकी की सिगरेट तू ही ख़त्म कर दे !

सो मैंने कर दी।

फिर हम सब कपड़े उतार कर चड्डी में आ गए।

सचिन 27 साल का, 5’10” ऊँचा, हट्टा कट्टा और काफी सांवला था। उसकी विशाल भरी छाती, कड़क सपाट पेट, बलिष्ठ हाथ और तगड़े पैर थे और बालों से भरे थे, एकदम मुझसे उलट, इसीलिए वो मुझे बहुत आकर्षक लगता था।

आरिफ था तो 5’7″ लम्बा, पर हट्टा कट्टा ! वो काफी हद तक चिकना ही था, उसकी उम्र 25 थी।

निखिल की काया मेरी जैसी ही थी, कद कुछ 5 फुट 8 इंच और कुछ कुछ बाल थे जिस्म पर, जिसे उसने उस्तरे से साफ़ किया हुआ था। वो 28 साल का था।

मैं 5’6″ कद का, 28 साल का, वजन 70 kg, गोरा, और छोटे छोटे से हल्के भूरे निप्पल हैं, ठीक ठाक भरी हुई चिकनी गोरी गांड है, 5″ का गोरा लंड !

अब सचिन ने मुझे अपने सीने से लगा कर चूमना शुरू कर दिया, मेरे हाथ उसकी भरी भरी छाती के बालों से खेलने लगे, उसका एक हाथ मेरे चूतड़ों पर फिर रहा था और दूसरे हाथ से मेरे निप्पल मसल रहा था।

वहाँ आरिफ और निखिल भी एक दूसरे को चूमने चाटने लगे थे।

धीरे धीरे सचिन के होंठ मेरे होठों से अलग होकर, मेरे गले से होते हुए मेरे निप्पल पर पहुँच गए, वह बारी बारी से एक एक निप्पल को चूमता, चूसता, और कभी कभी हल्के से काट लेता। जब जब वह काटता मेरे मुँह से आह निकल जाती।

तब आरिफ ने निखिल को छोड़ मुझे चूमना शुरू कर दिया, अब मेरे एक निप्पल से सचिन खेल रहा था, और दूसरे पर निखिल लगा पड़ा था। यह सब करते करते पांच मिनट हो गए।

एकाएक मेरा बदन हल्का सा पड़ने लगा, सर कुछ कुछ घूमने सा लगा। जब मैंने उन्हें यह बताया तो वे हंस कर बोले- तूने जो सिगरेट पी थी, वह स्पेशल थी, ताकि तू एक रात में तीन न सही, दो लंड तो ले ही ले।

मैं कुछ कुछ घबरा गया, पर तब तक मैं भी गर्म हो गया था, मैंने सोचा जो होगा देखा जायेगा।

हम फिर शुरू हो गए। मैं बीच में एक मूर्ति की तरह खड़ा कर दिया गया और वो तीनों मुझे जगह जगह चूमने चाटने लगे, कभी कोई होंटों पर चूमता, तो कोई निप्पल चूस रहा था, तो कोई मेरी कमर पर हल्के हल्के काट रहा था। नशे के मारे मेरी आँखें नहीं खुल रही थी, कब कौन कहाँ मुँह मार रहा है, पता नहीं चल रहा था।

पता नहीं कब मेरे जिस्म से मेरी चड्डी भी गायब हो गई।

कुछ मिनट बाद सचिन ने दुबारा मुझे चूमना शुरू किया और कहा- आँखें खोल ले, तुझे कुछ नहीं होने दूंगा।

अपने जाने पहचाने यार की आवाज़ सुन कर मेरी आँखें खुली।

उसने मुस्कुरा कर आँख मारते हुए कहा- बहुत मजे ले लिए तूने, अब हमें भी कुछ दे दे।

यह कह कर उसने मुझे घुटनों के बल बिठा दिया और मेरे सामने आकर खड़ा हो गया। उसकी बालों भरी जांघों पर कुछ कुछ पसीना आ गया था जिसे देख कर मैं और जोश में आ गया। मैं बेतहाशा उसकी जांघों को चूमने चाटने लगा, जैसे मैं प्यासा, और उसकी जांघें बर्फ की सिल्ली ! उसके बदन की खुशबू और पसीने की मिलीजुली गंध मुझे मदहोश कर रही थी। अब तक मेरा आधा खड़ा लंड अकड़ कर खड़ा हो गया।

फिर मुझे से रहा न गया और मैंने उसकी चड्डी उतार दी। उसका 8 इंच का लंड मेरे मुँह के आगे सर उठाये खड़ा था। हल्की रोशनी में उसका सांवला लंड किसी चोकलेट की तरह लग रहा था।

उसके सुपारे की नोक पर लिसलिसी बूंदें चमक रही थी।

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मैंने अपनी जीभ की नोक से उन बूंदों को चखा, वे कुछ कुछ नमकीन सी थी। फिर मैंने उसका सुपारा मुंह में भर लिया और पागलों के जैसे चूसने लगा।

मैंने सुपारे पर चढ़ी चमड़ी पीछे तक खींच कर जोर शोर से चूसना शुरू किया।

इस पर उसके मुँह से आह निकल पड़ी- आह… आह… आह मेरी जान, बस ऐसे ही, और जोर से चूस, समझ तुझे जिंदगी भर अब लंड नहीं मिलेगा, ऐसा सोच कर चूस !

कहानी जारी रहेगी….!!

अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

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