सेक्स गे कहानी एक ज्योतिषी और लड़के की

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सेक्स गे कहानी: हाय दोस्तों! मैं कुनाल, उम्र २०, ६ फुट लंबा, दिखने में क्यूट और एक दम सूडोल गान्ड है।

मुझे हमेशा से अपने से बड़े मर्द पसंद थे पर मैं डर के मारे कभी किसी‌ के साथ सोया नहीं। मैं था भी कोमल सा तो कई बार लड़के मुझे झेड़ते थे तो उनके सामने मैं नाराज़ होता था पर अंदर ही अंदर मुझे बहुत मज़ा आता था।

कहानी शुरू होती है जब मुझे कॉलेज के लिए मुझे घर से दूर जाने का मौका मिला। मैं खुश था कि आखिरकार मुझे आजादी मिलेगी और मैं लड़कों के साथ कुछ कर पाऊंगा।

पर कॉलेज जाते ही समझ आया कि यहां तो सारे लड़के लड़कियों के पीछे ही पागल हैं और मुझे कोई भाव ही नहीं दे रहा। इस वजह से मैं बोहोत दुखी रहने लगा। और अपने आप को सबसे दूर कर लिया।

एक दिन मैंने पेपर मैं एक ज्योतिष का इश्तहार देखा। वैसे तो मैं इन सब बातों मैं विश्वास नहीं करता पर वो ज्योतिष दिखने मैं एकदम गबरू मर्द था और मेरा मन मैं उनको ले कर सेक्सी खयाल आने लगे। मैंने सोचा भले ही कुछ हो ना हो कम से कम मिल के मैं अपने ख्यालों में मजे ले लूंगा।

यह सोच कर मैंने उन्हें कॉल लगाया और अपॉइंटमेंट ले लिया। मुझे 8.30pm तक पहुंचना था। अब मेरे पेट मैं गुदगुदी होने लगी। डर भी था और रोमांचक भी लग रहा था। जैसे जैसे टाइम पास आता गया मेरे मन मैं डर बढ़ने लगा।

एक पल को मैंने सोचा कि नही जाता हूं। लेकिन उस ज्योतिष की फोटो देख के मैंने मन पक्का कर लिया। पहुंचने मैं मुझे देर हो गई। मैं 8.50pm तक पहुंचा। उनका ऑफिस एक पुरानी बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर पे था। उस टाइम तक वहां के सारे दुकान बंद हो गए थे।

एक कोने के ऑफिस से लाइट आ रही थी तो मैं उस तरफ बढ़ गया। जैसे ही मैं दरवाजे के अंदर मुड़ा तो मैंने देखा कि सामने पेपर मैं जिसको देख के मैं खयाली पुलाव पका रहा था वो बैठे थे। उनकी हाइट 6’2″, किसी पहलवान सी चट्टान जैसा बदन, घनी मूछ, सर पे बड़ा सा टीका और बालों भरे छाती पे झूलती रुद्राक्ष की माला।

उनको देखते ही मेरे पूरे बदन मैं करेंट लग गया। मुझे ऐसा पहले कभी महसूस नहीं हुआ।

मुझे दरवाजे पे खड़ा देख वो बोले ” तुम कुणाल हो?”
उनकी आवाज भी इतनी मर्दानी थी की मेरा लन्ड टाइट हो गया।

मैंने धीमे आवाज मैं बोला “जी… मेरी ही बात हुई थी फोन पे। ”
वो हल्का सा मुस्कुराए और बोले ” सही टाइम पे आ गया नहीं तो मैं बस निकलने वाला था। इतना लेट हो गया की आस पास के सारे लोग भी निकल गए। खैर आ ही गए हो तो बताओ। फोन पे काफी डरे हुए लग रहे थे।”

मैं जा कर उनके सामने वाले चेयर पे बैठ गया। समझ नहीं आ रहा था की कहा से बात चालू करु।

” दरअसल बात ये है की मैं पिछले कुछ समय से बोहोत अकेला हो गया हूं। समझ नहीं आ रहा की जीवन कहां जा रहा है। सोचा आप शायद कुछ बता पाए।”

मेरी नजर झुकी हुई थी। कुछ आहट हुई तो मैंने देखा के वो उठ के मेरी तरफ आ रहे हैं।

वो मेरे पास बैठे और भारी आवाज मैं बोले ” अपना हाथ दिखाओ। ”
ये बोल के उन्होंने मेरे कोमल हाथ अपने बड़े बलशाली हाथों मैं ले लिए और अपने मुंह के पास ले जा कर देखने लगे। उनकी गरम सांसें मेरे हाथों पे पड़ी तब मुझे एहसास हुआ की मैं एक खाली बिल्डिंग के तीसरे माले पे एक अनजान आदमी के साथ हूं जो चाहे तो मेरे साथ कुछ भी कर सकता है।

ये घबराहट शायद मेरे हाथों मैं तनाव कर रही थी तो वो मेरी तरफ देखे और बोले ” घबराओ नहीं। तुम्हारे हाथों से समझ आता है की तुम काफी साफ दिल के नादान हो। तुम्हारा अकेलापन है क्युकी तुम कभी अपने दिल की बात नहीं सुनते। अगर सुनते तो आज ना जाने कितने संबंध बन चुके होते। लेकिन रेखाओं से समझ आता है की तुम अब भी वर्जिन हो। और शायद अपनी उमर के लड़कों से थोड़े अलग भी हो। अच्छा ये बताओ कि तुम्हारे शरीर मैं तिल कहा कहा है?”

इस सवाल से मैं चौक गया पर मैंने बताया ” हाथ और पैर मैं दो दो है। मेरी छाती पे है और पीठ पे भी है।”

वो सोचे और बोल” किसी और जगह भी होगा।”
उनकी बात से लगा जैसे वो पक्का जानते हैं।
मैंने कहा ” और कही का मुझे नही पता।”

वो फिर बोले ” तुम्हारी गान्ड पे है क्या?”
इस बात से मैं शर्मा गया और बोला ” वहां तो मैंने कभी ध्यान नही दिया।”

उनकी भारी आवाज अब और भारी हो गई और वो पूछे ” अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो मैं देख लूं, उससे मुझे समझने मैं आसानी होगी।”
मैं हिचकिचा रहा था। पर ये सोच के की मेरी गांड़ उनके सामने नंगी होगी बोहोत उत्तेजना जाग रही थी।

वो बोल उठे “घबराओ नहीं। काफी लेट हो गया है। अभी कोई आएगा नही”

मैंने धीरे से गर्दन हिला के हामी भरी। उन्होंने मुझे खड़ा कर के उल्टा घुमाया और धीरे से मेरी पैंट नीचे खिसका दी। उनके मरदाने विशाल हाथ अब मेरी गांड़ को छू रहे थे और उनकी उंगलियां फिर रही थी। बीच बीच मैं वो ढूंढते ढूंढते मेरी गांड़ दबा रहे थे और उससे ऊपर उठा रहे थे। मेरा लन्ड अब एकदम खड़ा था और मुझे डर थे के कही वो ये देख न ले।

कुछ देर तहकीकात के बाद उन्होंने मेरी पैंट ऊपर खींच दी और बोले ” तुम्हारे गांड़ पे भी तिल है। इस वजह से तुम्हे कभी लड़कियों जैसे खयाल आते होंगे और इस वजह से तुम रिश्ते नही बना पा रहे।”

ये सुन के मैं आशार्यचकित हो गया। मैंने पूछा ” क्या मेरा जीवन ऐसा ही रहेगा या इसका कोई इलाज है?”

तो काफी गहरी सोच मैं चले गए और कुछ 5 मिनट बाद बोले “इसका एक तरीका है। एक विधि है जो पूर्णिमा की रात होती है। 3 दिन बाद उससे किया जा सकता है। मैंने पहले भी किया है। अगर तुम चाहो तो तुम्हारे लिए भी कर दूंगा।”

मेरा मन विचलित था और ये सब सुन के मुझे बस इससे छुटकारा चाहिए था। मैंने बोला ” प्लीज आप मेरी मदद कर दीजिए। मुझे ये विधि करनी है। इसके लिए क्या करना पड़ेगा?”

सेक्स गे कहानी एक ज्योतिषी के साथ

उनके चेहरे पे एक हल्की से हसी थी। वो बोले ” मैं तुम्हे एक एड्रेस दे रहा हु। तुम यहा 3 दिन बाद इसी टाइम तक आ जाना। विधि रात 12 बजे चालू होगी तो तुम्हारा वही रुकने का इंतजाम मैं कर दूंगा। परेशान मत हो। एक बार ये विधि हो गई फिर तुम देखोगे की तुम्हारे जीवन से सारे कलेश खतम हो जायेंगे।”

उन्होंने एक पेपर पे मुझे एड्रेस लिख के दिया और मैं जाने लगा।
मैंने निकलने से पहले पूछा ” आपकी दक्षिणा?”

वो बोले “तुमसे नही लूंगा। बस विधि के लिए समय से आ जाना।”
मैं शुक्रिया कर निकलने लगा तो पीछे से आवाज आई
“और सुनो! एक नई चड्डी जरूर लेते आना।”

अगला पार्ट कुछ समय मैं लिखूंगा।
अगर आपको पसंद आए या आपके कुछ टिप्पणी हो तो मुझे [email protected] पर जरूर लिखे

By: Lost_soul

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