हिंदी गे सेक्स कहानी: चौकीदार से गांड मरवाई: 1

हिंदी गे सेक्स कहानी: चौकीदार से गांड मरवाई: 1

हिंदी गे सेक्स कहानी: हेलो दोस्तों, जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, , में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू! अभी तक आपने मेरे दिल्ली की नौकरी से जुड़े अनुभव पढ़े…

आज में आपको बताता हूं के चंडीगढ़ से ट्रेनिंग करने के बाद मुझे ये शहर बहुत पसंद आया. और उस पर ये की चंडीगढ़ मेरे शहर से ज़्यादा दूर नहीं था. काफी जुगाड़ लगाने के बाद आखिर मेरा तबादला चंडीगढ़ के पास जीरकपुर वाले ऑफिस में हो गया!अब मुझे रहने के लिए एक फ्लैट किराए पर मिल तो गया लेकिन सेक्टर 52 में… लगभग चंडीगढ़ और मोहाली के बीच का हिस्सा… ज़्यादातर खाली और सुनसान था उस वक़्त.. इसीलिए शायद सस्ता भी था! एक दो घरों के अलावा किसी को नहीं जानता और न ही कोई मुझे जानता है।

मुझे लोगों के हाव-भाव अच्छी तरह से पता हैं, कौन कैसे हैं और कैसे बात की जानी चाहिए। मैं किसी काम से आउट ऑफ चंडीगढ़ गया था एक हफ़्ते के लिए। मैं फिर भी लोगों से कम ही मिलता हूँ।

रात के 09.30 हो चुके थे, थोड़ी देर पैदल चल के देखा कोई ऑटो नहीं था। मैं धीरे धीरे बस स्टैंड की तरफ जा ही रहा था कि एक ऑटो वाला रुक गया, पूछा- कहा जाओगे?

मैंने उसे देखा, एक 40-45 साल का बंदा… मैंने अपनी जगह बताया तो उसने बोला 200 रुपए लूँगा। मैंने मना कर दिया और आगे बढ़ने लगा।

वो फिर आ गया और पूछा कि मैं कितना दूँगा। मैंने मीटर ओन करने को कहा तो वो मान गया।
मुझे वैसे भी बंदा अच्छा लगा था तो मैं ज़्यादा भाव नहीं खाते हुए ऑटो में बैठ गया।

हम चल रहे थे और ऑटो वाला चला रहा था। थोड़ी देर बाद मैं अपने रूम पे पहुँच गया… करीब १० बजे थे. तो बाहर एक लड़का 24-25 साल का होगा घूमता दिखा. नया चौकीदार था. हालांकि मैंने उसे पहले भी कई बार देखा था. लेकिन ज़्यादा नोट नहीं किया. मुझे बहुत आकर्षक लगा. कद काठी… बढ़िया… और मज़बूत शरीर… मैंने सोचा कि मैं ही बात शुरू करता हूँ,

मैंने पूछा कि वो कहाँ रहता है।

उसने बोला- यहीं पास में।

मैंने पूछा- शादी हो गई?

उसने बोला- अभी हुई नहीं है लेकिन 1- 2 साल में हो जाएगी।

मैं सोच रहा था कि कैसे उसको पटाया जाए। फिर मैंने बोला कि मुझे कोल्ड ड्रिंक पीने को बहुत मन कर रहा है। तुम पियोगे क्या. अभी तो थोड़ा टाइम भी पड़ा है. तुम्हारी ड्यूटी तो 11 :30 बजे शुरू होती है.

उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला- पहले बोलते तो मैं पीछे से ही ला देता।

मैंने बोला- कोई नही, रूम पे है।

मैं ऐसा लगता भी नहीं कि उसे समझा दूँ इशारों से, और मैं बात को आगे बढ़ा ही नहीं पा रहा था पर मैंने ठान ली थी कि मुझे आज इसे पटाना है. क्यूंकि काफी दिनों से मुझे कुछ नहीं मिला था. और ये मौका मुझे बढ़िया लग रहा था

फिर मेरे से रहा नहीं गया और मैंने उसको बोल ही दिया कि क्या कभी किसी लड़के के साथ सेक्स किया है? उसके तो होंठ खुल गए और प्यारी सी मुस्कुराहट दे के पूछा- कभी मिला ही नहीं कोई ऐसा. शायद वो मेरे मन के भाव समझ गया था.

फिर मैं उसका रिएक्शन जानने को उत्सुक था। उसने कुछ नहीं बोला।
मैंने साहस करके उसे पूछा- तुमने किसी बंदे की ली है पहले? उसने कुछ नहीं बोला, मुझे लगा मैंने ग़लत बंदे को पूछ लिया, थोड़ा सा डर भी लगा।

फिर उसने बोला कि उसने पहले भी बहुत बार किया है लड़कों के साथ।
मेरी जान में जान आई और साहस आने लगा, मैंने फटाक से पूछा- आज कोई मूड है क्या?

उसने फिर बोला साहिब हम तो यहाँ सेवा के लिए ही हैं.. जो सेवा बोलोगे कर देंगे… आप हुक्म करो…

उसने बोला- यहाँ जगह कहाँ से मिलेगी? मैं अब निडर खुल कर बात करने लगा और बोला- ऊपर मेरे रूम मैं कोई नहीं है… आओ चलें.. .

फिर उसने रूम के सामने रोड पे ही साइकिल लगा लिया और बोला- आप ऊपर रूम पे चलो… मैं पीछे आता हूँ।

मैं खुशी के मारे पागल हो गया, जैसा और जो चाहता था, सब अभी होने वाला था।

उसने पूछा- चूसते हो?

मैंने फटाक से हाँ बोल दिया और उसने रूम में घुसते ही उसने मेरे तसल्ली से लिप्स चूसे, और फिर मेरे निप्पल, जब तक मेरी ज़ोर ज़ोर से सिस्कारियां न निकल गई, , मैंने भी उसका पूरा साथ दिया, अपना ज़िप खोला और लौड़ा बाहर निकल दिया।

मैं पागल हो गया, लाइट नहीं जलाई के कोई जान ही न सके के रूम पर कोई है या नहीं… अंधेरे में दिख नहीं पा रहा था लेकिन मुझे मुंह में लेने से पता चल गया कि लौड़ा भी मेरे टाइप का ही है। एक तो आधी रात, रूम में एक अनजान चौकीदार का चूस रहा हूँ, यह सोच कर ही मेरा लंड खड़ा होने लगा।

5 मिनट तक चुसवाने के बाद उसकी बोली भी अलग हो गई और तू करके बात करने लगा।
मुझे और भी अच्छा लगा।

फिर वो बोला- साला , मस्त चिकना माल निकला… अपना चूची दबवा मेरे से!
मैंने चूसना जारी रखा और वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूचियों को दबाने लगा।

फिर उसने लंड बाहर निकाला मेरे मुँह से और बोला- साहिब अब अंदर डालने दो… में घोड़ी की पोजीशन में आ गया… वो बोला… मेरा एक दोस्त भी है… कभी कहोगे तो उसकी सेवा भी हाज़िर है…

मैंने हल्की सी मुस्कान देते हुए पैंट नीचे सरका दी ,उसने बोला- अभी बिना कण्डोम डाल दूं, चलेगा ना?
मैं बोला- ठीक है।

मैंने खूब सारा जेल अपनी गांड मैं और उसके लुंड पे लगाया और फिर मैंने खुद ही उसका तना हुआ लंड अपनी गांड के छेद में लगाया और उसको धीरे से धक्का मारने को कहा।

उसका टोपा रखते ही मैंने पीछे से धक्का मारा तो उसका आधा लंड आसानी से घुस गया। लेकिन मैं उछल गया,”हा….आह्ह्ह…!” मेरे मुंह से हल्की सी आह निकल गई।

और उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, मेरी आह निकल गई और उसने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी। अब फुल स्पीड में मेरी चिकनी चिकनी गांड मारने लगा, उसका लौड़ा मज़ा ले लेकर मेरी गांड के अन्दर-बाहर आ-जा रहा था।

बेचारा मैं चिल्ला उठा,”ईएह्ह!!!”

धीरे धीरे छपक छपक की आवाज़ से आसपास पूरा गूंजने लगा। मैं मदहोश होने लगा। मेरे इस तरह के मज़बूत चौकीदार से तमन्ना आज पूरी हुई।
मैं चुदाई का पूरा मज़ा ले रहा था और वो भी धक्के पे धक्के लगाए जा रहा था।

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं थोड़ा थक सा गया एक ही पोज़ में।
उसने मुझे पूछा- और चुदना है, साहब? बोलिये…

मैंने हाँ बोल दिया तो उसने बोला… गर्मी नहीं गई, अब रुक।

फिर उसने स्पीड बढ़ा दी और मैं चुदाई की सपनों में खो सा गया।

उसने पूछा- वीर्य अंदर निकाल दूं… मैंने बोला नहीं मुझे फिर चूसना है…

उसने अपना लंड बाहर निकल लिया और चुसवाने लग गया।

पढिए चौकीदार के साथ चुदाई की हिंदी गे सेक्स कहानी!

मैंने अपना मुँह खोल दिया, उसका गाढ़ा वीर्य पूरा मेरे मुँह में भर गया और थोड़ा मेरे चेहरे पर भी लग गया। मैंने फ़टाक से पूरा अंदर ले लिया। मैंने उसका गर्म-गर्म वीर्य महसूस किया। करीब एक मिनट तक वो सर झुकाए, उसी तरह खड़ा रहा।

उसने कहा – साहिब मज़ा आ गया आज तो!

मैं मुस्कुरा दिया और वो समझ गया,

फिर मैंने अपने कपड़े पहन लिए और उसको 100 रुपये देते हुए पूछा- अब कब मिलोगे दोबारा?
उसने बोला- मैं दोबारा आऊँगा दोस्त के साथ ।

फिर उसने मेरा हाथ चूमा और चला गया।

कहानी जारी रहेगी!

अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

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