पापा ने मुझे अपने घरवाली बना दिया

हिन्दी गे सेक्स स्टोरी

मैं घर पर अकेला था। घर के सारे लोग, पापा-मम्मी, दीदी किसी शादी मे शरीक होने नजदीकी शहर गये थे। मैं इम्तिहान का बहाना बना कर नहीं गया। अब पूरा घर खाली था। मैं अब आराम से महिला वस्त्र धारण कर सकता था। रात भर इसी फैंटसी में रहा कि क्या पहनना है, इस चक्कर में मैंने कुछ नहीं किया और सो गया। सुबह उठा तो देखा पापा आये हुए हैं और कमरे में उजाला है।

‘क्या हुआ, शादी में नहीं गये?’ मैंने पूछा
‘काम ज्यादा है, तो सबको छोड कर वापस आ गया।’

पापा क्या कह रहे थे, इसका मुझे कुछ ध्यान नहीं था। इस वक्त पापा बस पजामे में थे। कल रात मूठ भी नहीं मारा तो वासना कुछ ज्यादा ही भडक रही थी। मन में आया कि बस उठूँ और पापा का मुँह में ले लूँ। पर हिम्मत नहीं हुई। इतने में पापा डबल बेड के उस किनारे लेट कर अखबार पढने लगे। मैं अलसाया सा उठ कर उनके पाँव के तरफ सर कर के, पेट के बल लेट गया। पापा पेपर पढने में मशगूल थे। पता नहीं मेरे मन में क्या आया कि मेरे हाथ खुदबखुद उनके पजामे में सरक गया। पापा की तरफ से कोई हलचल नहीं हुई। अब मेरा हाथ उनके सोये लिंग को सहलाने लगा। तभी हलचल महसूस हूई और पापा का लौडा धीरे धीरे तनने लगा। उनका लिंग अब मेरे हाथ के घेरे में बढने लगा। बढ कर इतना बडा हो गया कि मेरे हाथो में पूरा नहीं आ रहा था। पापा अभी भी पेपर पढ रहे थे, पर मैं समझ गया ये ढोंग है। मैंने अब धीरे धीरे अपने हाथों को आगे पीछे कर के उनकों हस्तमैथुन का सुख प्रदान करने लगा। करीब ५ मिनटों के बाद पापा ने करवट ली और अब उनका तना लिंग मेरे मुँह के सामने आ गया। मैंने पापा के पजामे का नाडा ढिला किया और फिर उनका जाँघिया उतार कर अलग कर दिया। आहा, उनके झांट की क्या मादक खुशबू थी। मैं अभी भी पट ही सोया था। मैं वैसी ही स्तिथि में पापा को अब मुखमैथुन का सुख देने लगा। पापा ने एक हाथ से मेरी गांड सहलाने लगे। तबतक मैं उनका बडा लिंग अपने मुँह में लेने की कोशिश कर रहा था। मैंने पापा के टट्टे चाटे। फिर उनके लिंग को मुँह में ले लिया। करीब २ मिनट तक चुसवाने के बाद पापा ने पेपर अलग रखा। मैंने अपना सर अलग किया। हम दोनो बाप बेटे की नजर मिली।
पापा ने हल्की सी मुस्कान दी, ‘रुक क्यों गये?’


मैं फिर से चूसने में जुट गया। इस बार पापा भी साथ दे रहे थे। थोडा आगे पीछे कर के उनका लिंग मेरे कंठ तक पहुँच गया। थोडी देर में मेरे नीचे वाले हिस्से में हलचल हुई। पापा ने मुझे पट से करवट वाली स्तिथि में मोड कर मेरे पैंट और चड्डी को सरका दिया। इस तरह से मेरा तना लंड अब उनके आँखो के सामने था। हमदोनों अनजाने में ६९ में थे। हम दोनो ने एक दूसरे का करीब अगले १० मिनटों तक लिंगपान किया।

फिर पापा ने हमदोनो को अलग किया।
‘अब ऐसा करो कि तुम अपनी और मेरी इच्छा पूरी करो और जल्दी से साडी पहन कर तैयार हो जाओ।’

नेकी और पूछ पूछ।
पापा ने चुन कर मेरे लिये पैंटी, ब्रा, साया, साडी निकाला। मैंने वी कट वाली काली रेशम की पैंटी पहनी।
‘ओह क्या मजा आ रहा है।’
मैचिंग काले रंग की ३४ बी कप कि ब्रा। पापा ने पीछे हुक लगाया और लगाते समय हल्की सी पुच्ची पीठ पर दी। मैं सिसकारीयाँ भरने लगी। फिर मैचिंग कटी बाँह की काली ब्लाउज पहन ली।
अब बारी आयी साटिन के साये की। कमर में कस कर ऐसा बांधा कि मेरी नाजुक पतली कमर बल खाने लगी। फिर साडी। साडी का एक किनारा मैंने कमर में खोंसा और एक लपेटा लिया। फिेर आराम से चुन्न बाँधी, इस पार्ट में पापा ने बडा साथ दिया। क्यों न करें, बरसों का तजुर्बा है। मुझे औरतों के कपडे पहनने का गुण भी तो पापा से ही प्राप्त हुआ है। खैर, चुन्न ले कर मैंने साडी कमर में खोंसी और आँचल को कंधे पर बाँध लिया। अब अर्ध नारी से पूर्ण नारी बनने की घडी आ गयी। पर पापा को बडी जोर से मूत्र आयी।
‘मेरे मुँह मे ही कर दो ना?’
और फिर मैं पापा का सुनहरा पानी पीने लगी। खारा कसैला पानी भी आज मीठा लग रहा था। मेरा चेहरा और मेरे कपडे सब गीले हो गये। वासना फिर जोर मारने लगी। पापा ने मुझे बिस्तर पर लिटाया। मेरी दोनों टांगे ऊपर की और मेरी गांड में प्रवेश कर गये। मैं दर्द से बिलबिला उठी।
‘पापा रुक जाओ. नहीं हो पायेगा।’
पर पापा नहीं रुके। ऊनका भरा पूरा बदन का भोझ मुझ पर पडा था कि मैं चाह कर भी अलग ना हो सकी। उन्होंने धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे लिया और थोडी देर में मुझे मजा आने लगा। पापा अपनी रफ्तार बढाते गये। मेरी सिसकारियाँ अब मजे में तब्दील हो गयी। पापा रुके और फिर मुझे कुतिया बनाया। इस बार गांड मारने के साथ साथ मुझे हस्तमैथुन का सुख भी दे रहे थे।

थोडी देर में हमदोनो झड गये। मैं साडी पहने, जो अब तक सूख चुकी थी, सो गयी।

जब उठा तो पापा ने बताया कि घरवाले अब एक महीने नहीं आ रहे हैं। फिर एक महीने पापा ने मुझे अपने घरवाली की तरह चोद चोद कर सुख दिया। इस तरह से मुझे साडी पहन कर गांड मराने की इच्छा पूरी हुई।

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