Hindi Gay sex story – लण्ड चुसाई गाण्ड चुदाई – १

Hindi Gay sex story in Hindi font

अपने जीवन की घटना को पहली बार आप दोस्तों से शेयर करने की कोशिश कर रहा हूँ।

कामुक भावनाएँ तो सभी के जीवन का पहलू होती हैं पर शायद कम ही लोग यह सोचते हैं कि जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास घटनाएँ ही हमें अलग बनाती हैं, हमारे सोचने का तरीका, हमारी महसूस करने की चाहत, हमारी सेक्स कल्पनाएँ और अपनी कामुक इच्छाओं को पूरा करने की चरम सीमा।

ये ही वो कुछ लम्हे होते हैं जिनके बाद आप के जीवन में बदलाव आने शुरू होते हैं।

जिस दिन मैंने पहली बार अपने अन्दर छुपे उन संवेदनशील कामुक पहलुओं को महसूस किया तब मैं १२ क्लास का स्टूडेंट था और सभी की तरह मेरी कामुक तमन्नाएँ भी बहुत उबाल पर थी।

मुझे एक ऐसा चस्का लगा जिसने मेरे जीवन को एक नया मोड़ दिया।

उस दिन मैं छुप कर अपने घर वालों से झूठ बोल कर अपने एक दोस्त-विक्रम के साथ व्यस्क एडल्ट फिल्म देखने गया था।

फिल्म का नाम था ‘शिराको’

वो बहुत ही सेक्सी फिल्म थी या फिर यह भी बोल सकते हैं कि उस फिल्म से पहले मैंने कभी इससे ज्यादा सेक्स रिलेटेड फिल्म नहीं देखी थी।
फिल्म हॉल में मैं सबसे पीछे बैठा था और मेरे नज़दीक पीछे वाली सीट पर एक ही व्यक्ति बैठा था, करीब ३५-४० की उम्र होगी और मेरे साथ वाली सीट पर मेरा फ्रेंड।

मैं उस फिल्म के सेक्सी सीन देखने में इतना मशगूल हो गया था कि पता ही नहीं चला कि मेरे पास बैठे व्यक्ति का हाथ मेरी जांघों पर था।
वो मेरी जांघों को सहला रहा था और वो दूसरे हाथ अपने लिंग वाले स्थान पर सहला रहा था।

मैंने तिरछी नज़रों से उसकी ये हरकतें देखी तो मेरा तो दिमाग ही अस्त-व्यस्त हो गया समझ नहीं आ रहा था कि कहाँ ध्यान दूँ।
फिल्म से ज्यादा मादक तो मेरे साथ हो रहा था।

उसने मुझे देख लिया था और अब वो मुझे जान बूझ कर अपनी और आकर्षित कर रहा था।

मैं भी समझ गया था कि वो मुझसे क्या चाहता है पर एक रोमांच ने मुझे अँधा कर दिया था, मैंने इससे पहले कभी अपने अन्दर ऐसा महसूस नहीं किया जो उस पल महसूस कर रहा था।
मैं यह तो जनता था कि जो भी कुछ वो कर रहा है वो अनैतिक है पर अपने दिल को उस रोमांच को महसूस करने से नहीं रोक पा रहा था।

मैं ना चाहते हुए भी उसे रोक नहीं पा रहा था।

वो अब मेरी हथेली को अपने हाथों में लेकर रगड़ रहा था और मैं कभी मूवी देख रहा था और कभी अपने आप को।

मैं यह भी सोच रहा था के मेरा दोस्त ये सब न देख ले वरना बदनामी से मुझे कोई नहीं बचा सकता था।

सब कुछ जानते हुए भी मैं उस की इन हरकतों को महसूस भी कर रहा था और बर्दाश्त भी क्योंकि कहीं न कहीं मुझे ये सब ठीक नहीं लग रहा था।
पर हालात मेरा साथ नहीं दे रहे थे।
या फिर यह बोल सकते है कि मेरी जिंदगी एक नया मोड़ लाने वाला था।

लेकिन उस पल मुझे एक झटका लगा जब उसने मेरी हथेली को थाम कर अपने पतलून के ऊपर से अपने लिंग के ऊपर रखा।

मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए और मैं ध्यान देने लगा कि ये सब कहीं मेरा फ्रेंड न देख ले।

तभी उसने बोला- मैं जानता हूँ हम एक ही मस्ती की कश्ती में सवार हैं। तुम बस मेरा साथ दो, मैं तुम्हें आसमान की सैर कराऊँगा।

और कहते हुए उसने मेरी हथेली अपनी पतलून की ज़िप खोल कर अन्दर डाल दी।

उस पल मुझे सही गलत का कोई एहसास नहीं था सिर्फ इस उबल रहे रोमांच की मस्ती से संतुष्टि की चाहत थी।
मैंने अपनी हथेली को उसके अंडरवियर के अन्दर कर ली, मैंने उसकी झांटो को महसूस किया, मेरा रोमांच उसके मोटे लिंग को महसूस करने के लिए जैसे तड़प रहा था।

और मैंने उसके लिंग को थाम लिया।

मैंने सपने में भी नहीं सोचा था एक वयस्क व्यक्ति का लिंग इतना मोटा और गर्म होता है।

वो अन्दर से बहुत ही गर्म था, मैंने अपनी उँगलियों क सहारे से उसके लिंग की चमड़ी को थोड़ा नीचे किया और उसके लिंग मुंड का स्पर्श किया।

प्रीकम से उसके लिंगमुंड पर गीलापन था जिसे मैं अपनी उँगलियों से सहला रहा था।

वो व्यक्ति तो सिसकारियाँ ही लेने लगा था। मैं समझ गया मेरे इस तरह के संवेदनशील स्पर्श से उसने आनन्द की सीमा पार कर दी है।

उसकी ख़ुशी देखकर मुझे अपने आप में बहुत ख़ुशी मिल रही थी जबकि मैं जानता था कि वो एक गैर व्यक्ति है।
पर ये सब करते हुए मुझे वो अपनों से भी ज्यादा प्रिय था उस समय, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे मैं आज कुछ भी कर सकता हूँ उसे खुश करने के लिए और मैं वही कोशिश भी कर रहा था।

मैं उसके आंड को जब अपनी उँगलियों से सहला रहा था तो उस समय फिल्म पर एक लड़की को झुक कर एक पुरुष का लिंग चूसते हुए दिखा रहे थे।

तभी उसने मेरे कानों में कहा- कभी चख कर देखा है?

शायद वो सोच रहा था कि मैं इस सबका पहले से ही अभ्यस्त हूँ, या पहले भी ये सब कर चुका हूँ।

उसकी इस बात ने मेरे दिमाग को जैसे एक और रोमांच दे दिया हो।

सामने चल रहे सीन ने वैसे ही मेरे उन्मुक्त भावनाओं को इतना ज्यादा बड़ा दिया था कि मुझे बस नए रोमांच की जैसे लत लग गई हो।
मैंने उसे कोई जवाब नहीं दिया, सिर्फ मुस्कुरा दिया और उसके लिंग को और भी कोमलता से सहला दिया।

मेरी इस हरकत ने शायद उसे मेरा जवाब हाँ में दे दिया था और वो फिर मुझ से बोला- मैं बाथरूम की तरफ जा रहा हूँ, तुम थोड़ी देर बाद वहाँ आओ, वरना तुम्हारे दोस्त को शक हो जायेगा।

और वो उठ कर चला गया।

मैंने उसके लिंग की मादक सुगंध को अपनी हथेली सूंघ कर महसूस किया और उसके शरीर की मोहक खुशबू और सामने चल रहे मुख मैथुन का कामुक दृश्य से मजबूर होकर बाथरूम की ओर चला गया।

वो एक कॉमन टॉयलेट में गया, मैं भी उसके साथ अन्दर गया, उसने दरवाज़ा अन्दर से बंद कर लिया, और मुझे गालों पर चूम कर फिर से मेरा हाथ अपने लिंग पर रख दिया।

इस बार मैं उसके लिंग को बेहिचक सहलाने लगा क्योंकि अब मैं भी मन बना चुका था कि जो कुछ हो रहा है उसे होने दूँ… एक बार कर के देखने में हर्ज़ ही क्या है, और किसी को पता भी नहीं चलेगा इन सब के बारे में, और दोनों की इच्छाएँ इस वक्त एक जैसी ही उन्मुक्त थी।

हम दोनों ही अपनी काम संतुष्टि की तलाश में थे।

मैंने उसके लिंग को उसकी पतलून से बाहर निकाल लिया और इस बार मैं अपनी आँखें फाड़ कर उस के लिंग की मोटाई और कठोरता को देखता रहा।

और अनायास ही मेरे मुख से निकल गया- क्या लिंग है आपका… मन तो कर रहा है इसे चूम लूँ!

वो यही तो चाहता था मुझसे क्योंकि मेरे साथ गुदा मैथुन के लिए यह न सही वक्त था न सही जगह !
उसकी इस मानसिकता को मैं बाद में समझ पाया, जब उसने कहा- यार और कुछ करने क लिए यह सही टाइम नहीं है, यार वरना तुम्हें खुल कर मज़े कराता। अभी तो मेरे छोटे भाई, तुम सिर्फ इसे चूम कर ही शांत कर दो। प्यार से इसे अपने होठों में लो और जी भर कर चूसो… मैं जानता हूँ तुम उस लड़की से ज्यादा अच्छा एहसास दे सकते हो।

मैंने भी नखरे दिखा कर कहा- आपका तो शांत हो जायेगा मेरा क्या होगा?

इस पर वो बोला- छोटा भाई बोला है, बस देखते जाओ, तुम्हें आसमान की सैर कैसे करवाता हूँ। यह तो सिर्फ तुम्हारा टेस्ट है भाई, इसमें पास हो गए तो देखना तुम्हारे लिए मैं क्या क्या करता हूँ, तुम जिस स्कूल में पढ़ते हो, उस स्कूल के प्रिंसिपल को मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ, मेरे कहने पर वो कुछ भी कर सकता है, उसका बहुत सारा काम मैंने करवाया है। तुम बस देखते जाओ और मज़े लूटते जाओ ! तुम्हारे रिजल्ट और पढ़ाई की तो बिल्कुल चिंता मत करो, सब मैं देख लूँगा।

उसकी इस बात ने तो जैसे मेरे मन की मुराद पूरी कर दी थी, मेरी इच्छाएँ उसके लिए और भी सहानुभूति और रेस्पेक्ट से बढ़ गए।
मैं उसे हर तरह से खुश करने का मन बना चुका था।

मैं वहीं घुटनों के बल झुककर उसके लिंग को करीब से निहारने लगा और अपनी हथेली से उसे मैथुन करने लगा।

उसका लिंग मुझे बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। करीब 7″ का लिंग और उसके मशरूम जैसे मुंड पर उभरी हुई वीर्य की छोटी सी बूंद।
मैंने उसे जैसे ही अपनी जीभ से थोड़ा सा चखा।
उसके लिंग का खट्टे और नमकीन स्वाद का एहसास हुआ, मुझे वो अच्छा और रोमांचित करने वाला लगा।
मेरे मन में एक ही बात घूम रही थी, उसके स्खलन और उसके वीर्य की खुशबू और स्वाद।

मैं उसके लिंग के उपरी हिस्से को अपने होठों में दबा कर चूसने लगा।

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उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था।

मैं अपनी उँगलियों से उसके अन्डकोषों को सहला रहा था, उसके एक अंडकोष को अपने मुँह में लेकर उसे गीला किया, उसकी झांटों को चूसा तो वो तो मानो पागल ही हो गया और कहने लगा- छोटे भाई, अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा, अपने मुँह में ले पूरा लंड… और पी हमारे प्यार का पूरा रस।

अब मैं उस के लिंग को पूरी तन्मयता से अपने मुँह में लेकर चूस रहा था, उसे बड़े प्यार से मुखमैथुन कर रहा था, उसकी झांटों को अपने दांतों से काट रहा था और वो मेरे सर को अपनी हथेली से दबा कर अपनी आँखें बंद किये सिर्फ यही बोल रहा था- तुम बहुत शानदार हो। इतना बेहतर किसी ने मेरा लंड नहीं चूसा।

मैं उसे सुख देने की हर संभव कोशिश कर रहा था, अपनी हथेली से उसे रगड़ रगड़ कर उस के टोपे को चूस रहा था।

तभी उसके लिंग ने आखिर वीर्य की धारा मेरे मुँह में छोड़नी शुरू कर दी, उसका वीर्य बहुत ही गाढ़ा था, मेरे मुँह में उसके गर्म वीर्य ने ऐसी हलचल मचाई कि मैं ही बर्दाश्त नहीं कर पाया।
शायद इसलिए कि मैंने ये सब पहली बार किया।

उसका स्वाद अच्छा था, थोड़ा तो मैं पी गया पर पूरा नहीं पी पाया, मुझे उबकाई आने लगी, उसके वीर्य की मात्र ही इतनी ज्यादा थी, वो मेरे बालों में हथेली घुमाकर कहने लगा- कोई बात नहीं छोटे भाई, पहली बार पीया है न, धीरे धीरे आदत हो जाएगी, देखना अगली बार तुम बिना रुके पूरा पी जाओगे। वैसे कैसा लगा हमारे प्यार और तुम्हारे महनत का रस?

इस पर मैं सिर्फ मुस्कुरा दिया और फिर से उस के लिंग मुंड को होंटों में दबा कर चूसने लगा, उसके लिंग मुंड की आखरी बूंद भी मैं चाट गया।
ये मेरे लिए एक ऐसा कृत्य था जिसका न मुझे कोई अफ़सोस था न ही कोई आश्चर्य।

मैं तो सिर्फ अपने जीवन में आये बदलाव के प्रवाह में बह रहा था।

उस ने मुझे उठाया और अपने कपड़े ठीक किये और बोला- तुम पहले बाहर निकलो कुछ देर बाद मैं निकलूंगा।

हम वापस आकर बैठ गए।

फिल्म ख़त्म होने वाली थी और वो मेरी तारीफें ही किये जा रहा था, लग रहा था कि वो मेरे काम से बहुत ही खुश है।

सुना है जीवन में बिना कुछ दिए कुछ असामान्य नहीं करवाया जा सकता।

एक महीने बाद मेरे स्कूल में प्री-बोर्ड परीक्षा होने वाली थी, मैंने उसे बताया तो वो बोला- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं तुम्हें क्वेश्चन पेपर की व्यवस्था करवा दूँगा, तुम सिर्फ उतना ही पढ़ लेना और कोई समस्या हो तो बताना, मैं तुम्हारे स्कूल के मास्टरों को भी जानता हूँ, उन्हें बोल दूंगा, वो तुम्हारी मदद कर देंगे। तुम चिंता मत करो।

फिल्म ख़त्म हो गई और वो मुझे अगले दिन मिलने का स्थान समझाकर चला गया।
कहानी जारी रहेगी।

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