समलैंगिक सेक्स कहानी – दादाजी का संग गे सेक्स

एक वृद्ध दादा के समलैंगिक सेक्स कहानी और समलैंगिक यौन संबंध रखने वाले अपने समलैंगिक दोस्त का

दोस्तों, मेरे दादाजी बड़े हॉट हैं. कोई ६५-७० के हो रहे हैं. लेकिन दिल उनका अभी भी जवान है. जब गांड मारते हैं तो अच्छे-अच्छे पहलवान भी पानी मांगते हैं. थोड़े तोंदियल हैं, हृष्ट पुष्ट शरीर है, और अपने गाँव के अधिकतर पुरुषों की गांड मार चुके हैं. दादीजी के गुजर जाने के बाद तो कितनी महिलाओं की चूत मारी है. मगर ये सब मुझे तब पता चला जब दादाजी मुझे पर पहली बार सवार हुए. ऐसी गांड मारी थी की मुझसे २ दिन तक चला नहीं गया.

हुआ यूं कि दादाजी गाँव से हमारे घर आये हुए थे. मैं माँ बाप कि एकलौती संतान हूँ, मम्मी-पापा दोनों जॉब करते हैं. मुझे स्कूल से लेने दादाजी ही आते थे. ५-६ दिन हुए थे दादाजी को आये हुए. अब न तो उन्हें गांड मिली न ही चूत , तो बड़े परेशान रहते थे. ऐसे में बस मैं ही एक था जिसका वो शिकार कर सकते थे. उस दिन मुझे स्कूल से लाने के बाद बोले कि “बेटे, आज कुछ अलग करते हैं. आज तक तूने बस शर्ट पैंट ही पहना है. आज कुछ नया पहन कर देख”. “क्या दादाजी?” “चल आज तुझे एक नया वस्त्र पहनाऊ, कभी धोती पहनी है?”, “नहीं.” चल आज तुझे धोती पहनाऊ.”
दादाजी ने कहा, “चलो अपने कपडे उतार, तब तुझे धोती पहनाऊ.” मैं तो कपडे उतार का नंगा हो गया. पर तब दादाजी एकटक मुझे देखे जा रहे थे. मेरा दुबला पतला शरीर बस कुछ ही दिनों बाद उनका होने वाला था. दादाजी ने मुझे धोती पहनाई. मुझे खुला खुला बड़ा अच्छा लगा. “दादाजी, ये खुला खुला बड़ा अच्छा लगता है. कोई और ऐसे कपडे हैं?” “हाँ होते हैं, लेकिन फिर तू उसे पहन कर बाहर नहीं जा सकता.” “कोई बात नहीं, मैं घर में ही पहनूंगा.” “लेकिन वो तो गाँव वाले घर पर हैं. तू चलेगा गाँव?” “हाँ दादाजी अगले हफ्ते से मेरी गर्मी की छुट्टियाँ होने वाली हैं. मैं चलूँगा गाँव.”

अगले पूरे हफ्ते स्कूल से आने के बाद मैं धोती ही पहनता था. हफ्ते ख़तम होने के बाद मैं गाँव चला आया दादाजी के साथ. उस दिन रात में, दादाजी ने खाना खाने के बाद मुझे बुलाया. लैम्प कि हलकी रौशनी थी. दादाजी ने कहा, “बेटे नए कपडे पहनने हैं?” “हाँ दादाजी.” “तो चलो फिर, कपडे उतारो.” कहने कि देरी थी और मैं नंगा हो गया.
दादाजी ने पैंटी निकली और मुझे पहनाया. फिर एक ब्रा निकला और मेरे छाती पर पहनाया. स्तन कि जगह मेरे उतारे कपडे ठूंस दिए. मुझे बड़ा अजीब लगा, जैसे कि मैं लड़का नहीं, लड़की हूँ. फिर दादाजी ने मुझे साया पहनाया, और फिर एक साड़ी निकली. “दादाजी, ये आप क्या कर रहे हो, ये तो साड़ी है, जो मम्मी पहनती है.” “हाँ, पहन कर देख, धोती से ज्यादा अच्छी है, इसीलिए ये मर्दों को नहीं मिलता. सारी अच्छी चीज़ तो औरतें ले लेती हैं.”
साड़ी का कोना मेरे साए में खोंस कर, फिर एक लपेटा दे कर दादाजी ने चुन बाँधी. फिर उसे भी खोंस कर बचा आँचल मेरे कंधे पर दिया. फिर मुझे गोद में उठा कर पलंग पर ले गए और कहा, “देख अब तू किसी को कुछ नहीं बताना, वरना मैं सबको बता दूंगा कि तू साड़ी पहनता है.” फिर उन्होंने में साड़ी उठाई और फिर मेरी नुन्नी को चाटने लगे. मेरे नुन्नी में हलचल होने लगी. थोडा बहुत तो सेक्स के बारे में तो मुझे दोस्तों से भी पता था. मैंने भी दोस्तों के साथ मुठ मारी थी, लेकिन ये नया अनुभव था. दादाजी के चाटने से मेरा भी लिंग खड़ा हो गया. अब दादाजी उसे चूस रहे थे. मुझे मजा आने लगा, मैं आवाजें निकलने लगा. मुझे मजे में देख कर दादाजी ने एक ऊँगली मेरी गांड में दे दिया. आआआआअह क्या मजा आ रहा था. अब दादाजी ने चाटना छोड़ कर मेरे निप्पल मसलने लगे. फिर मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर किस करने लगे. मैं मजे के मारे बेहाल होने लगा. थोड़ी देर कि किस के बाद, दादाजी मेरी गांड चाटने लगे. फिर जब मुझ से रहा नहीं गया, तब उन्होंने अपना सर मेरी साड़ी में डाल कर मेरे लिंग को जोर जोर से चूसने लगे. मेरा तो मूठ निकल गया. दादाजी उसे चाट कर साफ़ कर दिया. फिर मुझे बाहों में लेकर अपनी धोती के ऊपर मेरी गांड रगड़ने लगे, और मुझे लगा कि दादाजी ने पेशाब कर दिया. मेरी साड़ी और मेरी गांड दोनों गीली हो गयी थी. फिर हम दोनों थक गए थे, तो दादाजी मुझे बाँहों में जकड कर ही सो गए. सुबह मुझ से पहले तो दादाजी उठ गए थे. लेकिन मेरी ट्रेनिंग स्टार्ट हो चुकी थी.
दादाजी मुझे दिन में नोर्मल कपडे पहने के लिए बोलते थे, लेकिन लगभग हर रात को मुझे साड़ी पहना कर मेरा चूसते थे. एक दिन तो उन्होंने मुझसे अपना चुस्वाया. बाप रे उनका इतना बड़ा, और मेरा इतना छोटा मूंह, मेरे तो मुंह में उनका लिंग तो घुस ही नहीं रहा था. मैं बस जीभ से चाट चाट कर छोड़ दिया. अंत में उनका धीर सारा पानी निकला, उन्होंने कहा, इसे चाट कर देखो, बहुत स्वादिष्ट होता है. मुझे तो बड़ा अच्छा लगा. उस दिन के बाद से मैं हर दिन उनका चाट कर पी जाता था.

खैर अभी एक दिन उन्होंने अपने दोस्त को रात भर रुकने के लिए कहा. मैं परेशान कि आज रात कैसे करेंगे. दादाजी ने मेरी तरफ देखा फिर अपने दोस्त कि तरफ, फिर दोनों हसने लगे.
उस रात को मैं सोने गया. थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली, मैंने देखा दादाजी और उनके दोस्त, एक दुसरे का चाट रहे हैं, मुझे जगा देख कर मुझे बीच में बिठा ली. अब मैं दादाजी का चाट रहा था, दादाजी दोस्त का चूस रहे थे और उनके दोस्त मेरा चूस रहे थे. थोड़ी देर के बाद, दादाजी ने अपने दोस्त कि गांड पर खूब सारा तेल मला और फिर उनकी गांड में अपना लिंग दे दिया.
“देखो, ऐसे ही तुम मेरी गांड में अपना लिंग देना.”
थोड़ी देर तक दादाजी ने अपने दोस्त के गांड मारी, फिर दादाजी दह गए. फिर दादाजी के दोस्त, दादाजी पर सवार हो गए. उन्होंने फिर दादाजी कि गांड मारी. दादाजी मेरा चूसने लगे. फिर मैं और उनके दोस्त, दोनों दह गए.
अगले दिन से दादाजी ने कहा, जैसा कल रात हुआ था, आज से तू कर सकती है.
उस दिन रात को पहली बार दादाजी की गांड मारी. बदले में दादाजी ने मेरी गांड में ३ ऊँगली से चुदाई की. उसके बाद दादाजी ने कहा, आज तेरे लिए एक काम है, ये मोमबत्ती तू आज से ले कर कल तक अपनी गांड में रख, थोडा दर्द होगा, लेकिन फिर बहुत मजा आएगा. तू हगने जाये तो निकल लेना, जब हग ले तो अपनी गांड धो कर वापस डाल देना, फिर मैं तुझे एक नया करतब कल दिखाऊँगा. वो दिन बड़ी मुश्किल से गुजरा था.
अगली रात को दादाजी ने मुझे फिर से साड़ी पहनाई. साड़ी पहनाने के बाद मेरी गांड से मोमबत्ती निकली, फिर चाट चाट कर मेरी गांड नर्म कर दी. एक वेसलिन का डिब्बा निकला और खूब सारा वेसलिन मेरी गांड पर लगाया. फिर उन्होंने अपना लिंग मेरी गांड में दे दिया. मैं दर्द के मारे चिल्लाने लगा. पर दादाजी को कोई फर्क नहीं पड़ा. वो अपनी स्पीड से चोदते जा रहे थे. मेरी गांड पकड़ कर उसे आगे पीछे करने लगे. थोड़ी देर रुक कर मेरे निप्प्ले भी मसलने लगते. कभी कभी मेरा लिंग पकड़ कर उसे हिलाने लगते और मैं असहाय सा अपनी गांड चुदते देख रहा था. थोड़ी देर में मुझे भी मजा आने लगा. दादाजी ने फिर मुझे सीधा किया और मेरी दोनों टाँगे उठाई, फिर मेरी गांड पर अपने लिंग का सूपड़ा रखा और फिर एक झटके में मेरी गांड के अन्दर. दादाजी बिना रुके मेरी गांड पर हमला किये जा रहे थे.
“वाह बेटी तेरे जैसी कसी गांड तो बहुत दिनों के बाद मिली है. आज तो पूरा मजा लिए बिना मानूंगा नहीं.”
दादाजी की पूरी तोंद आगे पीछे हिल रही थी.
“तुझ जैसे गांडू को तो तेरे बाप से भी चुदावऊंगा. कल ही उसे फ़ोन किया था. आता ही होगा तेरा बाप.”
दादाजी का कहना ही था कि पापाजी आ गए थे.
“बापू ये क्या? मेरे बिना ही स्टार्ट कर दिया? वो तो दरवाजा खुला था तो मैं आ गया, वरना मेरे बिना ही इसका शील भंग हो जाता, मेरा खून है, इसकी सील तो मैं ही तोडूंगा.”
“ठीक है बेटा, तू इसकी गांड मार, मैं इससे चुसवा लेता हूँ, बहुत मस्त चूसता है, एक दम नयी पर साली तजुर्बे वाली रांड है. इसकी जैसी गांड तो तेरी भी नहीं थी. गाँव भर कि हर औरत कि गांड और चूत मारी है, लेकिन किसी की छेद इतनी टाईट नहीं थी. मजा आ गया. पर पहले एक चुम्मा तो दे मुझे, तेरे बेटे को तैयार कर दिया, इसका इनाम भी मिलना चाहिए.”
कह कर दादाजी ने मेरी गांड से अपना लंड निकला. पापा और दादाजी ने एक जोरदार किस्स लिया. किस्स करते करते, एक दुसरे का लंड सहला सहला कर खड़ा कर रहे थे. फिर मेरी बारी आई. दोनों ने अपना पोजीशन लिया. दादाजी और पापाजी ने एक साथ हमला किया. दादाजी का ७” मेरे मूंह में और पापाजी का ७.५” मेरी गांड में. सच बताऊँ, मेरी गांड फट कर ६४ हो गयी थी. पर उस दिन का मजा ऐसा कि हर दिन मैं खुद ही साड़ी पहन कर अपनी गांड मराता था. उन दोनों ने मुझे बिलकुल रंडी बना कर छोड़ा. आजकल मेरा बॉस मुझे चोदे बिना नहीं मानता. हर बार विदेश यात्रा पर मुझे साथ ले जाता है. वहां पर अपने गोरे दोस्तों और अपने बॉस से भी मुझे चुदवता है. उसकी वजह से मुझे और मेरे बॉस को बहुत तरक्की मिल गयी है.

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