Gay sex story Hindi font – गोशाईंगंज का लण्ड

आज आपको मैं एक ट्रेवल एजेंसी का किस्सा बताता हूँ। ये ट्रेवल एजेंसी हमारी माया नगरी मुम्बई के अँधेरी नगर इलाके में थी। इस ट्रेवल एजेंसी कि ख़ास बात ये थी कि इसे एक गे (समलैंगिक) उद्यमी ने शुरू किया था, व इसके सारे

कर्मचारी- चपरासी से लेकर मालिक तक, सब ‘गे’ थे।

ईशान भी इसी ट्रेवल एजेंसी में काम करता था। उसका ज़िम्मा था ग्रुप टूअर्स करवाना। अब तक वो कई गे लड़को के ग्रुप टूअर्स करवा चुका था।

उसे इस ट्रेवल एजेंसी में उसके बॉयफ्रेंड विशाल ने नौकरी दिलवायी थी। वैसे तो उस ट्रेवल एजेंसी में हर कोइ एक दूसरे के बारे में जानता था, लेकिन ईशान और विशाल एक दूसरे के बहुत करीब थे। ईशान बहुत सुन्दर लड़का था – दुबला

पतला, गोरा चिट्टा, काली, बड़ी बड़ी आँखें, पतले-पतले नाज़ुक होठ कि सामने वाले का मन करता था कि चूस ले। उम्र लगभग चौबीस साल। उसके पीछे बहुत लोग थे- उसके दफ्तर में भी और बाहर भी। लेकिन ईशान किसी को घास नहीं

डालता था। वो विशाल से बहुत प्यार करता था, सिर्फ उसी का लौड़ा चूसता था, उसी से गाण मरवाता था

उस ट्रेवल एजेंसी का पियोन, यानी चपरासी, अभिषेक था। पूरा नाम अभिषेक तिवारी था, लेकिन सब उसे ‘पिंकू’ कहकर बुलाते थे। उसकी उम्र थी लगभग छब्बीस साल, इकहरा बदन, लम्बा कद, रंग गेहुँआ, चेहरे पर हलकी हलकी मूँछे।

पिंकू का सबसे बड़ा हथियार था उसका लण्ड। उस ट्रेवल एजेंसी में हर कोइ उसका दीवाना था। यहाँ तक कि उसका मालिक भी पिंकू के लण्ड का कायल था। वहाँ जो लोग गाण मारते थे , वो भी उसके लण्ड का लोहा मानते थे। पिंकू का

लण्ड साढ़े दस इन्च का था और भयंकर मोटा था।

पिंकू ईशान को बहुत पसन्द करता था। उसका बड़ा मन था ईशान को चोदने का। उसको दफ्तर में रह-रह कर घूरा करता था। उसको लाइन मारता था, उसके सामने अपना लण्ड खुजाता था। लेकिन ईशान उसको बिलकुल घास नहीं

डालता था। वो सिर्फ विशाल का था। इसी बात को लेकर पिंकू परेशान रहता था।

इसके अलावा ईशान और पिंकू एक ही जगह के रहने वाले थे। ईशान फैज़ाबाद का था और पिंकू फैज़ाबाद के करीब एक छोटे से कस्बे गोशाईंगंज का था। लेकिन ईशान फिर भी पिंकू से दूर रहता था। इसका कारण यह भी था कि ईशान

पिंकू को देहाती-गँवार समझता था। उसे मालूम था कि गोशाईंगंज महज़ एक छोटा सा क़स्बा था।

यद्यपि उसने पिंकू के महा प्रचंड लौड़े के बारे में सुन रखा था, और वो ये भी जानता था कि पिंकू उसके पीछे था।

एक दिन कि बात है, किसी ज़रूरी काम से ईशान और विशाल को किसी ज़रूरी काम से रविवार के दिन ट्रेवल एजेंसी आना पड़ा। दौड़ भाग करने के लिए पिंकू को भी बुलाया गया। बाकी लोग रविवार कि वजह से छुट्टी पर थे। दफ्तर में

उन तीनो के अलावा और कोइ नहीं था

विशाल थोड़ी देर बाद किसी काम से बहार निकल गया। अब दफ्तर में सिर्फ पिंकू और ईशान थे।

पिंकू हमेशा कि तरह ईशान को ताड़ रहा था। लेकिन ईशान पिंकू को नज़रअंदाज़ किये, अपने लैपटॉप में मशगूल था।

“पिछली बार घर कब गए थे ?’ पिंकू ने बातचीत शुरू की।

“दीवाली पर” ईशान ने बिना उसकी और देखे संक्षिप्त सा जवाब दिया।

पिंकू को मालूम था ईशान उसपर ध्यान नहीं दे रहा था, लेकिन फिर भी वो बातचीत में लगा रहा।

“मैं नए साल पर गया था। बहुत ठण्ड थी। ”

ईशान ने कोइ जवाब नहीं दिया।

पिंकू आकर उसकी डेस्क पर खड़ा हो गया।

“चाय पियोगे?” उसने पूछा

ईशान ने उसी तरह, बिना उसे देखे ‘ना’ बोल दिया।

पिंकू कि समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। उसका लण्ड मचल रहा था। इतना सुन्दर, चिकना लड़का उसके सामने अकेला था, लेकिन वो कुछ नहीं कर पा रहा था। न जाने पिंकू के दिमाग में क्या आया, उसने दफ्तर का दरवाज़ा

अंदर से बंद कर दिया। वैसे भी रविवार के दिन कोइ नहीं आने वाला था। उसे मालूम था कि विशाल लम्बे काम से बाहर गया हुआ है और देर से लौटेगा।

ईशान इससे अनभिज्ञ, अपने काम में जुटा हुआ था। तभी पिंकू आकर उसके करीब खड़ा हो गया। ईशान चौंक गया।

पिंकू ने अपनी जींस और चड्ढी नीचे खींची हुई थी। वो अपना लण्ड खोलकर ईशान के सामने खड़ा था।

ईशान बुरी तरह सकपकाया। एक पल उसने पिंकू के महा भयंकर लौड़े को देखा और एक पल पिंकू को। ठिठक कर पीछे खसक गया।

“इसे एक बार चूस दो ईशान … ” पिंकू ने बड़े दयनीय लहज़े में कहा। उसकी आवाज़ में बेइन्तहा हवस की वजह से बेबसी का पुट था। जैसे कोइ बहुत भूखा आदमी किसी खाना खाते हुए आदमी के सामने रोटी के एक टुकड़े के लिए

भीख माँग रहा हो।

ईशान स्तब्ध था। वो इसकी उम्मीद नहीं कर रहा था, दूसरे वो पिंकू का लण्ड-मुसंड देख कर हिल गया था।

उसने उसके लौड़े के बारे में सुन तो रखा था, लेकिन देख अब रहा था और वाकई में अचम्भित था।

पिंकू का विकराल लण्ड साढ़े दस इन्च लम्बा था और ज़बरदस्त मोटा था, जितना पिंकू की अपनी कलाई । ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जांघों के बीच से काले-गेहुँए रँग का मोटा सा खीरा लटका हो।

ईशान उसका लण्ड मुसंड देखता ही रह गया। उसपर मोटी-मोटी नसें उभर आयीं थीं , रंग गहरे सांवले से अब काला पड़ने लगा था। उसका सुपारा बड़े से गुलाब जामुन कि तरह फूल कर मोटा हो गया था और उसमे से प्री-कम चू रहा था।

उसके मोटे मोटे गोले उसके पीछे, झांटो में उलझे लटक रहे थे

इतना बड़ा तो सिर्फ ब्लू फिल्मों में अफ्रीकियों का होता है। इतना बड़ा मुसंड गोशाईंगंज में कहाँ से आ गया ?

एक पल को ईशान को घिन आयी – साला गँवार अपनी झाँटे भी नहीं साफ़ करता था, न ही काट कर छोटा करता था। लेकिन इससे वो और मर्दाना और रौबीला लग रहा था।

ईशान उसके भयंकर मुसंड को घूर ही रहा था कि पिंकू उसके और करीब आ गया। ईशान के चेहरे और उसके लण्ड में कुछ ही इंचों का फैसला था। लण्ड कि गन्ध ईशान के नथुनों में भर गयी थी

पिंकू का तो मन था कि अपना लौड़ा सीधे उसके मुंह में घुसेड़ दे। उसने देखा जितना लम्बा उसका लण्ड था, उतना लम्बा तो ईशान का सर था। लेकिन उसके लिए ये कोइ नयी बात नहीं थी।

“चूसो … ” पिंकू ने ईशान का ध्यान भंग करते हुए कहा। उसके लहज़े में हवस की बेबसी थी।

“पिंकू … कोई आ गया तो ?” ईशान उसका विकराल लण्ड देख कर पिघल चुका था। उसके मुँह में पानी आ गया था।

“अरे कोई नहीं आएगा। मैंने दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया है। ”

“और विशाल ?” ईशान ने पूछा।

“अरे वो देर से आयेगा। ओबेरॉय (होटल) गया हुआ है क्लाएँट से मिलने। देर से लौटेगा। ” उसकी लहज़े में अब बेसब्री थी। वो जान गया था कि ईशान अब पिघल गया है ।

उसके लण्ड से इतना प्री-कम टपक रहा था कि अब ईशान कि जींस पर गिरने लगा था।

इससे पहले कि ईशान उसका लण्ड मुंह में लेता, पिंकू ने खुद ही उसका सर पकड़ कर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया . और ईशान ने मानो सहजवृत्ति से, अपने आप ही फ़ौरन उसका गदराया लण्ड-मुसंड चूसने लगा, जैसे कोइ बच्चा

माँ का दूध पीता हो । पिंकू ले लण्ड से वीर्य और मूत की तेज़ गंध आ रही थी, लेकिन बजाये घिन आने के, ये गंध ईशान को और आकर्षित कर रही थी।

ईशान मस्त होकर पिंकू का लौड़ा चूसने लगा। वैसे इतना भीमकाय लौड़ा किसी को भी मिल जाये तो मस्त होकर चूसेगा।

“आज चूस लो गोशाईंगंज का लण्ड …। ” पिंकू बोला

ईशान अपनी कुर्सी पर बैठा, अपने सामने खड़े पिंकू का लण्ड ऐसे चूस रहा था जैसे उसे दोबारा कभी लण्ड चूसने को मिलेगा। कभी उसको अगल-बगल से चाटता, कभी उसका सुपारा चूसता , कभी पूरा मुँह में लेने कि कोशिश करता

(हालाकि पिंकू का पूरा लण्ड मुंह में लेना असम्भव था) .

इधर पिंकू अपने हाथ कमर पर टिकाये, ईशान के सामने खड़ा लण्ड चुसवाने का आनंद ले रहा था और ईशान को अपने सामने झुके हुए लण्ड चूसता हुआ देख रहा था।

“एक मिनट रुको ” पिंकू ईशान कि मेज़ पर बैठ गया। “अब चूसो ”

ईशान कुर्सी सरका कर पिंकू की जांघों तक आ गया और फिर से चुसाई में लग गया। इतना मस्त, सुन्दर, लम्बा, मोटा और रसीला लण्ड लाखों में एक होता है, अपने मन में सोच रहा था और लपर-लपर उसका लण्ड चूस रहा था। उसका मन

था कि वो पिंकू के लण्ड के हर एक कोने का स्वाद ले, पूरा का पूरा अपने मुँह में भर ले, लेकिन इतना बड़ा लण्ड किसी के भी मुँह में लेना असम्भव था।

पिंकू भी इसी चेष्टा में था कि ईशान के मुँह पूरा घुसेड़ दे, लेकिन उसका गला चोक हो रहा था। ईशान ऊपर से नीचे तक, अगल-बगल, हर जगह से, यथा सम्भव उसके लौड़े को चूस रहा था और चाट रहा था। जब पिंकू अपना लौड़ा लेकर

ईशान के सामने आया था, लण्ड आधा खड़ा था। अब उसके मुँह कि गर्मी पाकर पूरा का पूरा तनकर कर खड़ा हो गया था।

पिंकू का तो मन था की अभी ईशान को पकड़ कर चोद दे। विशाल ने उसे ईशान कि गाण्ड के बारे में बता रखा था – बहुत मुलायम, चिकनी गोल-गोल और कसी हुई थी साले की।

लेकिन पिंकू अभी थोड़ी देर लौड़ा चुसवाने का आनन्द लेना चाहता था। एक पल को पीछे झुक कर ईशान को अपना लण्ड चूसता हुआ देखने लगा। उसने ईशान के पतले-पतले नाज़ुक होटों के बीच अपने सांवले मुसंड को देखा।

बहुत मज़ा आ रहा था उसे। उसने ईशान के हलक में लण्ड और अंदर घुसेड़ने कि कोशिश की, लेकिन बेचारे का गला चोक होने लगा. उसका पूरा लण्ड ईशान की थूक से सराबोर हो गया था।

ईशान एक हाथ से उसका लण्ड थामे, और दूसरा उसकी जाँघ पर टिकाए चूसे पड़ा था। उस साले को बहुत मज़ा आ रहा था- ईशान कि नरम मुलायम गीली जीभ उसके लण्ड का दुलार कर रही थी। उसके मुँह कि गर्मी पाकर पिंकू का गँवार

लण्ड ऐश कर रहा था।

“इसे होटों से दबा कर ऊपर नीचे करो” पिंकू अब ईशान आदेश देने लगा था, और ईशान मानने भी लगा था । ट्रेवल एजेंसी के बाकी लोगों कि तरह वो भी उसके लौड़े का गुलाम बन चुका था।

पिंकू अपनी आँखें बंद किये, ईशान के बाल सहलाता, लण्ड चुसवाने का आनंद ले रहा था, और ईशान भी अपनी आँखें बंद किये, दोनों हाथों से पिंकू का हथौड़े जैसा लंड चूसने का आनंद ले रहा था।

दोनों ऑंखें बंद किये आनन्द के सागर में डूबे जा रहे थे।

करीब बीस मिनट तक वो दोनों उसी अवस्था में पड़े रहे। फिर ईशान थक गया। उसका जबड़ा दर्द करने लगा।

उसने सुस्ताने के लिए अपना सर अलग कर लिया।

“थक गए क्या?” पिंकू ने पूछा

“हाँ यार। तुम्हे कितनी देर लगती है झड़ने में ?”

“मुझे तो बहुत देर लगती है … एक घण्टा तक लग जाता है। ” पिंकू ने गर्व से कहा।

बहुत हेवी-ड्यूटी लौड़ा था।

“थोड़ी देर और चूसो ईशान ” पिंकू ने आग्रह किया।

“यार मेरा जबड़ा दर्द कर रहा है। और नहीं कर पाउँगा ” ईशान ने जवाब दिया।

“गाण में लोगे?” पिंकू ने प्रस्ताव रखा।

“बिलकुल नहीं। मुझे अभी कुछ दिन और जीना है। ” ईशान चिल्लाया।

“क्यूँ ? इसमें जीने-मरने कि बात कहाँ से आ गयी?”

“अरे … ये तुम्हारा इतना बड़ा मेरे अंदर जायेगा तो मेरी गाण फटेगी नहीं क्या?” ईशान उससे चुदवाने कि बात को लेकर डर गया था।

लेकिन पिंकू अभी सन्तुष्ट नहीं हुआ था। ईशान ने उसका लण्ड इतने प्यार से चूसा था कि उसके अंदर कि आग और भड़क गयी थी। उसकी हालत अब एक कामातुर गधे कि तरह हो गयी थी। कैसे न कैसे उसे अपना लौड़ा झाड़ना ही था।

लेकिन ईशान राज़ी ही नहीं था।

उसने ईशान को फिर से फुसलाना शुरू किया: “ईशान मेरी बात सुनो … इतना दर्द नहीं होगा जितना तुम सोच रहे हो। एक बार लेकर तो देखो ”

“बिलकुल नहीं। सवाल ही नहीं होता। जाओ बाथरूम में सड़का मार लो। ”

“अच्छा एक बात सुनो। अगर दर्द हुआ तो मैं नहीं करूँगा। बिलकुल धीरे-धीरे घुसेड़ूँगा। बस एक बार कोशिश तो करो। ”

ईशान ने कुछ सोच कर हामी भर दी।

“एक काम करो। मैं तुम्हारी कुर्सी पर बैठ जाता हूँ, तुम मेरे लण्ड पर अपनी गांड टिका कर बैठो। अगर दर्द हुआ तो उठ जाना। ” पिंकू ने सुझाव दिया। ईशान को पिंकू कि बात जँच गयी।

अगले ही पल ईशान उठा और पिंकू कुर्सी पर अपना खम्बे कि तरह खड़ा, और खम्बे के ही आकार का लण्ड लेकर बैठ गया। साला हरामी बहुत उतावला हो रहा था। इतना कि उसका लण्ड सलामी देने लगा था।

ईशान ने अपनी जींस और चड्ढी नीचे खींची। पिंकू ने पहली बार ईशान कि गोरी-गोरी, चिकनी गाण के दर्शन किये। विशाल ने बिलकुल सही वर्णन किया था – क्या मस्त गाँड़ थी ईशान की !!! मज़ा आ गया। और बाकी का मज़ा और आगे आने

वाला था।

ईशान ने अपनी गोरी गोरी, मुलायम, चिकनी गाण्ड का छेद पिंकू लण्ड सुपारे टिकाया और अंदर लेने लगा, और लेते-लेते हलकी हलकी आहेँ लेने लगा :

“आह … अहह … हआ … !!”

शायद बेचारे को दर्द हो रहा था। वैसे दर्द तो लाज़मी था। ईशान ने किसी तरह आधा लण्ड अपनी गाण्ड में लिया। इसके बाद उसकी गाण्ड चिरने लगी।

“पिंकू बस …. ” दर्द के मारे इतना ही कह पाया।

पिंकू ने आगे झुक कर ईशान को देखा। बेचारे आँखे बाहर थी।

“अच्छा और नहीं घुसेड़ूँगा। ” पिंकू ने कह तो दिया, लेकिन उससे रहा नहीं जा रहा था। उसका तो मन था कि ईशान की गोरी-गोरी गांड में अपना लौड़ा पूरा-का-पूरा घुसेड़ दे, अंदर तक।

इधर हमारे ईशान कि वाकई में गांड फट गयी थी। ज़रा सोचिये, अगर आपकी गांड में पिंकू जितना बड़ा लण्ड घुस जाये, तो क्या आपकी गांड नहीं फटेगी?

बेचारे को वो पल याद आ गया जब उसने पहली बार अपनी गांड में लण्ड लिया था – उसके दोस्त के बड़े भाई ने उसे पहली बार चोदा था। बड़ा दर्द हुआ था बेचारे को। लेकिन उसके बाद से ईशान पक्का गाण्डू बन गया था। वो अपने दोस्त

के बड़े भाई के आगे हाथ जोड़ता था अपनी गांड कि खुजली शांत करवाने के लिए।

अब पिंकू ने लण्ड हिलना शुरू किया। अभी तक तो वो सिर्फ अपना लण्ड घुसेड़े, ईशान की प्रतिक्रिया देख रहा था।

अब ईशान ने छटपटाना और चिल्लाना शुरू किया :

” अह्ह्ह्ह …. आह्ह्ह … !!!”

” पिंकू … नहीं… ऊऊह्ह्ह्ह !!”

ईशान चाहता था पिंकू अपना लण्ड निकाल ले, लेकिन पिंकू समझा कि ईशान चाहता है वो उसे धीरे-धीरे चोदे। वैसे पिंकू अब उसे नहीं छोड़ने वाला था। शेर के मुँह में खून लग जाये तो वो अपने शिकार को कहीं छोड़ता है भला?पिंकू ने उसे

जाँघो से पकड़ा हुआ था और अपनी कमर उछाल-उछाल उसे चोद रहा था। कुर्सी खबड़-खबड़ फर्श पर आवाज़ कर रही थी।

ईशान से कुछ बोला ही नहीं जा रहा था , आहें भरे जा रहा था :

“उह्ह … आह्ह … उह्ह … आह … उह्ह !!”

ईशान कि सिस्कारियों ने पिंकू का मज़ा दुगना कर दिया था

ईशान ने हिम्मत जुटाई और हटने की कोशिश करने लगा. पिंकू ने उसे जाँघों से पकड़ा हुआ था, इसीलिए उसकी पकड़ थोड़ा ढीली थी । किसी तरह ईशान खड़ा हो गया। पिंकू भाँप गया था की ईशान भागने के चक्कर मे है . जैसे ही ईशान

उठा, पिंकू उसकी जाँघे पकड़े-पकड़े, उसकी गाण्ड में अपना लौड़ा घुसेड़े, उसके साथ खड़ा हो गया। ईशान भागने कि कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी जीन्स उसके टखनो तक सरक आयी थी, इसीलये उससे चला भी नहीं जा रहा था,

सिर्फ छोटे-छोटे कदम ले चल रहा था। पिंकू अभी भी उसे चोदे जा रहा था – उसी अवस्था में, चलते-चलते। साला बहुत हरामी था। और उसका लौड़ा तो उससे भी ज्यादा हरामी था।

पिंकू को डर लगा कि कहीं इस भागा-दौड़ी में उसका लण्ड बाहर न निकल आये। उसे मालूम था कि अगर एक बार उसका लण्ड निकला तो ईशान फिर नहीं लेने वाला और वो इस सुनहरे मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। वो

ईशान को धकेल कर डेस्क के पास ले आया जिससे वो कहीं भाग न जाये। ईशान ने अपने हाथ डेस्क पर टिका दिए। ये सब उसने बड़ी कुशलता पूर्वक किया। अब ईशान भाग नहीं सकता था। पिंकू तो वैसे भी चोदने का रसिया था। अभी

तक उसने कुल मिला कर 126 अलग-अलग गाण्ड मारी थी। एक सौ सत्ताईसवाँ ईशान था।

पिंकू अभी तक ईशान को मज़े-मज़े, धीरे-धीरे चोद रहा था। लेकिन अब उससे रहा नहीं जा रहा। इस खयाल से की ईशान को दर्द होगा, वो ईशान को आराम से चोद रहा था और अभी भी उसका लण्ड आधा बाहर था।

लेकिन अब उसके सब्र का बाँध टूट गया। उसने अपना पूरा का पूरा, दस इन्च का, मोटा-गदराया लौड़ा बेरहमी से ईशान की गाण में घुसेड़ दिया।

“मम्मी …!!!!” ईशान ज़ोरों से चीख उठा।

आखिर घुस ही गया गोशाईंगंज का गँवार देहाती लौड़ा ईशान की चिकनी शहर की गाण्ड में। पिंकू उसके कूंकने की परवाह किये बिना उसकी गाण्ड मारने में लगा हुआ था। उसने उसने मज़बूती से जाँघो से दबोचा हुआ था और गपा-गप,

गपा-गप अपनी कमर हिलाता चोदे जा रहा था। इधर हमारा चिकना छोकरा ईशान मार खाते कुत्ते की तरह कूंक रहा था :

“उउउउं … आऊँ … उउउं …. !!!”

बेचारा। उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। ऐसी शकल बना ली थी जैसे कोई उसे यातना दे रहा हो।

“चुप भोसड़ी का …. ऊँ न पूँ … चुप-चाप चुदवा !” पिंकू उसे हड़काता हुआ बोला। लण्ड चुसवाने समय पिंकू कैसा निरीह बनकर उसके सामने खड़ा था और अब उसको दरोगा की हड़का-हड़का कर चोद रहा था।

ईशान वैसे ही छटपटा-तड़प रहा था, अब तो उसने सर भी झटकना शुरू दिया था। मन ही मन वो उस पल को कोस रहा था जब वो उससे गाण्ड मरवाने को राज़ी हुआ था।

“ईशान मेरी जान …. ” पिंकू उसकी गाण्ड मारते हुए बोला ” बहुत मस्त गाण्ड है तुम्हारी. बहुत दिनों अरमान था तुम्हे पेलने का। आज जाकर तुम चुदे ।.”

पिंकू का लण्ड ईशान की मुलायम, चिकनी गांड नश्तर कि तरह छलनी कर रहा था. ईशान बीच-बीच में अपनी बाँह पीछे बढ़ा कर को पिंकू रोकने की कोशिश करता , लेकिन पिंकू लपक कर उसकी कलाई पकड़ लेता और चोदता रहता.

हारकर ईशान अपनी बाँह वापस कर लेता।

बहुत देर बाद जाकर बेचारा कुछ कहने की हिम्मत जुटा पाया:

“पिंकू मुझे छोड़ दो …. दर्द हो रहा है … !!”

“छोड़ दूँ कि चोद दूँ ?” पिंकू व्यंग्य भरे स्वर में बोला.

“बस जान … मैं झड़ने वाला हूँ .. . पिंकू चरम सीमा पर पहुँचने लगा, उसके शॉट तेज़ होते गए और ईशान की आँहें भी:

“अहह ..!!”

“उह्ह्ह … अह्ह .. उह्ह्ह … अहह … !!”

पिंकू अब झड़ने वाला था। चोदते-चोदते रुक गया और अपना लौड़ा गाण्ड से निकाल लिया। उसका मन था की ईशान के चेहरे पर अपना माल गिराए। वो अपने लण्ड को ईशान के सुन्दर चेहरे पर अपना वीर्य छिड़कते हुए देखना चाहता था।

पिंकू की पकड़ ढीली हो गयी. ईशान ने अपने आप को सम्भाला और खड़ा होकर सुस्ताने लगा . तभी पिंकू बोला ” यार नीचे बैठ जाओ … तुम्हारे चेहरे पर अपना पानी गिराऊँगा … जल्दी करो .”

ईशान मरियल कुत्ते कि तरह लग रहा था। उसने ‘न’ में सर हिला दिया। लेकिन अब पिंकू बस झड़ने ही वाला था. उसने ईशान को कन्धों से पकड़ कर ज़मीन पर बैठने की कोशिश कि और अपनी कमर उचका कर लण्ड ऊपर कर दिया ,

कि किसी तरह से उसका लण्ड ईशान के चेहरे से छू जाये और वो उसके चेहरे पर अपना वीर्य गिरा दे।

लेकिन ईशान संभल संभल चुका था , नहीं झुका और इस सब चक्कर के बीच पिंकू ने ईशान कि टी शर्ट गन्दी कर दी . उसके लौड़े कि पिचकारी इतनी तेज़ थी वीर्य की एक-आध धार ईशान की ठोड़ी पर भी आ गिरी .

“ओह्ह …!!” ये ‘ओह’ पिंकू कि थी. अब उसने रहत कि साँस ली, ईशान के कंधे पर सर टिकाए हुए. उसके लौड़े से अभी भी वीर्य की एक छोटी सी बूँद टपक रही थी , जो ईशान कि नीचे सिमटी जींस पर जा गिरी .

ईशान अपनी टी शर्ट ख़राब होने से खीज गया था. उसने पिंकू को झटके से अलग किया और बाथरूम की तरफ भागा .इस सब से ईशान का मूड तो ख़राब हो गया था, लेकिन ये तो शुरुआत थी। आगे जाकर उसने पिंकू से कई बार गाण्ड

मरवाई , पिंकू ने अपनी सारी इच्छाएँ ईशान से पूरी की – ईशान के चेहरे पर अपना वीर्य गिराना, उसे हर पोज़ में चोदना, उसके मुँह में मुँह डाल कर जीभ लड़ाना, और न जाने क्या-क्या .

बाकी सबकी तरह ईशान भी गोशाईंगंज के लण्ड का गुलाम बन चुका था।

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