Hindi Gay sex Kahani – मेरी फ़ट गई

Hindi Gay sex Kahani – मेरी फ़ट गई

प्रेषक : हरीश महरा

“उसकी खुद की फ़ट गई” का दूसरा भाग

यह मेरी अन्तर्वासना पर दूसरी कहानी है। सनी भाई की राह पकड़ कर मैं खुश हूँ और उनके जैसे हथकंडे जैसे ही मैंने अपनाए, मेरे ऊपर तो लौड़ों की बरसात हो गई।

जैसे मैंने अन्तर्वासना में अपनी पहली कहानी में लिखा था कि मैं उस बंदे से गाण्ड मरवा रहा था, उसका नमकीन स्वादिष्ट पानी भी पीना पड़ा था और फिर किसी के आने की आवाज़ सुन कर वो मेरी गांड में घुसा हुआ लौड़ा निकाल भागा।

हाय मेरी किस्मत ! इतनी मुश्किल से मिला था, लेकिन जिनकी वजह से वो भागा, वो भी देहाती थे उनके साथ मैं कमरे में गया तो वहाँ एक और देहाती सा दिखने वाला एक बंदा था। मैं समझ गया कि आ हरीश बेटा, तेरी पांचों घी में हैं !

वो दारु पी रहा था और उसने तीन पेग बनाये। मैंने कभी नहीं पी थी लेकिन उन्होनें मुझे पिला दी।

दोनों ने उस बंदे से कहा- यह गांडू है ! वहाँ गांड मरवा रहा था, हम इसको यहाँ लेकर आ गए !

अच्छा किया ! कितने दिन से लौड़ा पानी छोड़ने को बेकरार था !

उसने मेरी शर्ट उतारी, मेरे मम्मे देख उसका मुँह खुल गया- लड़की जैसे यार ! कितना चिकना भी है ! ज़रा अपनी पतलून उतार !

मैं नशे में बेशर्म हो गया था, उसी पल अपनी पैन्ट उतार उनकी ओर पीठ करके अपनी गाण्ड हिलाने लगा।

ओह मेरे रब्बा ! क्या गांड है रे !

मैंने उसकी शर्ट खोली और दीवाना हो गया।

इतने बाल !

तीनों की कमीज़ें उतार दी मैंने !

तीनों सम्पूर्ण मर्द निकले ! उनके कच्छे भी उतार दिए मैंने।

उनके लौड़े देख मेरे होश उड़ गए।

इतने बड़े लौड़े ?

क्या होगा मेरा ?

काले ! पूरे काले लौड़े ! और लम्बे भी बहुत थे ! लग रहा था कि मेरे सामने तीन जंगली खड़े हों। अरे बेटा लाल ! आ जा मेरे चिकने !

मैंने पहले एक का पकड़ा, सहलाया। पूरा खड़ा था ! मेरा जिस्म देख तन चुके थे ! फिर दूसरे का !

तीसरे ने मेरे सामने लाकर मेरे चेहरे के पास मेरे होंठों पर रख दिया और रगड़ने लगा।

मुझसे रुका न गया और मैंने उसी पल लौड़े को अपने मुँह में लेकर पागलों की तरह चूसने लगा। अब मुझे अच्छा लग रहा था।

थोड़ा चुसवाने के बाद वह बोला- बस अब इनके चूस ! मुझे तेरी गांड मारनी है ! हो जा उल्टा बेहेनचोद ! तू मुझे बहुत सुंदर लगा !

वो मेरे चुचूक चूसने लगा।

अह अह ! मैंने कहा- रुकना !

मैंने अपनी पास उतरी पड़ी पैंट में से कंडोम का पैकेट निकाला और उसे पकड़ा दिया।

वो बोला- मैं नंगी लूँगा !

नहीं यार डाल ले न !

यह डाल लेंगे ! मैंने नहीं लेना !

मैं क्या कहता उसको !

उसने मेरे चूतड़ खोले और घुसाने लगा। उसका लण्ड बार बार फिसल जाता। फिर उसने ध्यान से रख कर धक्का दिया तो उसका लण्द मेरी गाण्ड में घुसने लगा। मुझे बहुत तीखा दर्द हुआ, छटपटाने लगा मैं ! तब तक मैं इतना नहीं चुदा था, हाय फट गयी होगी क्योंकि दर्द काफी था। लेकिन वो कहाँ माना। फाड़ने लगा मेरी गांड ! किनके पल्ले पड़ गया, अभी दो और सांड चढ़ने बाकी थे, उनके लौड़े कम नहीं थे, काले लौड़े पूरे घोर काले थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

इससे पहले मैं कुछ कहता, सामने वाले ने पूरा लौड़ा मेरे मुँह में घुसा कर मेरा सर पकड़ लिया।

जब मुझे दर्द से राहत मिली तो उसने तेज़ी से चोदना शुरु किया। मुझे थोड़ा सा मजा आने लगा और उसने अपना पूरा पानी मेरी गांड में निकाला और बाकी का मेरे मुँह में घुसा साफ़ करवाया।

इतने में दूसरे ने कंडोम चढ़ा लिया और घुसा दिया मेरे अन्दर !

काफी दम था उसमें भी ! उधर वो पूरा लौड़ा चुसवा रहा था। मुझे मजा आने लगा। लेकिन फिर भी दर्द हो रहा था। पहली बार एक साथ इतने लौड़े ले रहा था। उसने दस मिनट लगाये और झड़ गया, कंडोम उतार कर बाकी मुँह में घुसा साफ़ किया।

तीसरे ने कंडोम डाला और फिर लौड़ा डाला। उसे और मुझे दोनों को चुभने लगा तो उसने लौड़ा निकाला और सरसों का तेल लगा कर डाला। मुझे बहुत बहुत मजा आने लगा। अब मेरी आँखें बंद होने लगी लेकिन घुटने दर्द करने लगे, लगातार तीसरा लौड़ा घोड़ी बन कर डलवा रहा था। उनको ऐसे ही चोदना पसंद था।

पहला बोला- चल जल्दी चोद इसको ! फिर नीचे डाल कर भी चोदना है !

यह सुन मेरी फटने लगी।

उसने अपना सोया लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया और होंठों से छू दोबारा खड़ा होने लगा। जैसे ही तीसरे ने छोड़ा, वो मेरे पास आया, मेरी दोनों टाँगें अपने कन्धों पर रख बीच में बैठ पूरा घुसा दिया, साथ ही मेरा दूध पीने लगा।

अह ! अह ! बस करो अब ! मर जाऊंगा !

मर जा साले ! आज की यह रात हमारे लिए है !

बोला- चल ऊपर बैठ जा !

मैं अब मजे लेने लगा। बीस मिनट लगाकर उसने दूसरी बार मेरी गांड गीली कर दी।

मैंने कपड़े पहने और वापस आने लगा। रास्ते में बाग़ पड़ता था। वहाँ दो बंदे अपनी बाइक पर बैठे हुए थे, बोले- चिकने, किधर घूम रहा है? किसी को उडीक रहा है क्या?

मैं कुछ नहीं बोला।

मादरचोद ! बहरा है ? एक ने मेरी कलाई पकड़ ली।

नहीं बस घर जा रहा हूँ !

चले जाना ! मजे लेने हैं थोड़े !

नहीं आज नहीं बस !

अच्छा इसका मतलब लेता है ! और आज मूड नहीं है?

यह मेरे मुँह से क्या निकल गया ?

चल ज़रा अपनी गांड दिखा !

उसने उंगली डाली, बोला- साला अभी मरवा कर आया है ! है ना ! बोल हाँ ! चल चूस दे !

अह ! कल मिलने आऊंगा !

दोस्तो, उसके बाद मैं घर आ गया, मेरी फट चुकी थी।

उसके बाद अगला लौड़ा किसका घुसा यह अगली बार !

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