Hindi Gay sex story – मेरा पहेला रेप

मैं एक पचीस साल का ‘टॉप’ लड़का हूँ। मेरी लम्बाई ५ फुट ११ इंच, और कद काठी तगड़ी है । एक दिन ज़ोर की हवस चढ़ी। मेरा मन किसी चिकने लौंडे की गांड मारने का कर रहा था। मैं याहू के चाट रूम में गया। मुझे कोई बौटम लड़का मिल ही नहीं रहा था। तभी एड लौंडे का मेरे पास IM आया। उसने अपनी उम्र इक्कीस साल बताई और अपने आप को टॉप बताया। मुझे अपनी ख़राब किस्मत पर बड़ा गुस्सा आया। फ़िर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया… क्यों न इसी लड़के केपी फंसा लिया जाए और इसकी गांड मार ली जाए?

मैंने उसे जवाब में लिखा की मैं बौटम हूँ और मेरे पास जगह भी है। अपने आप को बिल्कुल चिकना बताया (जब की मेरे शरीर पर बहुत बाल थे )
उसने भी अपने आप को चिकना बताया और अपने लंड का गुणगान किया। हम दोनों ने मिलने की जगह और समय तय किया और याहू से logout किया । मैं उससे मिलने पहुंचा। वो चिकना और छरहरा था उसकी लम्बाई मुझसे ज़रूर दो इंच कम थी । मुझे वो बहुत पसंद आया । मुझे देख कर वो ठिठक गया और बोला “आप तो कद-काठी से टॉप लगते हैं”। मैं हंसा और बोला “ऐसी बात नहीं है, हट्टे काटे लोग भी गांड मरवा लेते हैं। चलो, तुम्हे अपने कमरे पर ले चलूँ”

मैं उसे अपनी बाईक पर बैठा कर घर ले आया। मुझे वो बहुत पसंद आया। मेरा लंड उसकी गांड में घुसने के लिए बेताब था- साला अभी से खड़ा हो गया था। मैंने उसे अपने पलंग पर बिठाया और पानी पिलाया।
हम दोनों ऐसे ही इधर उधर की बातें करते रहे। मेरी समझ में नहीं आ रहा था की कैसे शुरू करूँ। तभी उसने धीरे धीरे मेरी जांघें सहलानी शुरू कर दी। हम दोनों ने एक दूसरे की आंखों में देखा- हम दोनों बिल्कुल गरम हो चुके थे। मैंने उसे झट से गले लगाया और अपना मुंह उसके मुंह में घुसेड दिया। हम काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपनी जीभ लड़ाते रहे। फ़िर हम दोनों ने कपड़े उतरने शुरू कर दिए। उसका बदन बहुत सुंदर था- गोरा चिट्टा, छाती और जांघों पर हलके हलके बाल। लेकिन साला अपने लंड के बारे में झूट बोल रहा था- उसका सिर्फ़ ७ इंच का था। मोटाई भी ठीक ठाक ही थी। वैसे भी हर कोई अपने लंड को नौ इंच का बताता है, चाहे ४ इंच की लुल्ली ही क्यूँ न हो।

खैर वो भाईसाहब अपने जांघें तान कर मेरे सामने लेट गए और बोले ” लो चूसो”। मैं मुस्कुराया और बोला “पहले तुम मेरा चुसो” और मैं उसकी छाती पर चढ़ कर बैठ गया और अपना लंड उसके चेहरे पर तान दिया। उसने अपना सर किनारे किया और बोला “ये क्या रहे हो… मैं टॉप हूँ। लंड वंड मैं नहीं चूसता।” मैं बोला ” क्या हुआ, आज चूस लो, आख़िर तुम्हे भी तो पता चलना चाहिए की लंड का स्वाद कैसा होता है।”
वो थोड़ा गुस्से में आ गया। बोला “अरे हटो यार… मुझे ये सब नहीं पसंद। और मेरे ऊपर से हटो। मैं दब रहा हूँ।”
ये तो चौडियाने लगा । मेरे मन में ख्याल आया की आज ज़बरदस्ती इससे अपना लंड चुसवाऊं और इसकी गांड मार लूँ। कभी कभी मेरा मन बलात्कार करने का करता था, लेकिन कोई साला मिलता ही नहीं था- सब अपनी खुशी से मेरे लौढे की सेवा करते थे।

मैंने फ़ैसला कर लिया- आज मैं इसका रेप करूँगा ।” अरे रुको यार… इतनी जल्दी भी क्या है, पहले मेरा लंड तो चूस लो” इतना कहते ही मैंने उसके मुंह में अपना लौड़ा घुसेड़ने की कोशिश की। उसने अपना सर तुंरत हटाया और उठने लगा । अब तो वो पूरे गुस्से में था। मैं उसके उचकने से थोड़ा सा एक तरफ़ को गिर गया।

वो उठ कर जाने लगा . अब वो पूरे ताव में था। चिल्लाने लगा ” ये क्या चूतियापा है? मैंने साफ़ साफ़ बोला था की मुझे ये सब नहीं पसंद। अपना लंड चुस्वाना था तो किसी और को पकड़ते” मैं अभी पलंग पर ही था। वो अपने कपड़े ढूँढने लगा। मैं फुर्ती से उठा और उसे फ़िर से बिस्तर पर खींच लिया।

“बेटा आज तुम मेरे लंड ज़रूर चूसोगे, और चूसोगे ही नहीं, इसे अपनी गांड में भी लोगे।” मैं बोला और फ़िर से उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उसने मुझे धक्का दिया मैं फिर से एक तरफ़ लुढ़क गया। वो फ़िर से चिल्लाने लगा… “ये क्या बदतमीजी है? मैंने कहा मुझे ये सब नहीं पसंद। मैं जा रहा हूँ।” तभी मुझे कमरे एक कोने में पजामे का नाड़ा दिखा। मैंने लपक के उसे उठाया और उस पर झपटा। इस बार मैंने उसे दबोचने का फ़ैसला कर लिया था। उसे पूरी ताकत से पलंग पर पटका और वो धम्म से गिरा। उसे बिना मौके देते हुए मैंने उसे पेट के बल लिटाया और उसके दोनों हाथ पीछे किए। लेकिन वो भी फुर्तीला था। उसने भी जूझना शुरू कर दिया था। बड़ी मुश्किल से मैंने उसके दोनों हाथ पीछे कर के साथ में जोड़े और उनपर नाड़ा लपेटा। वैसे जब तक थोड़ा खींच तान न हो तो रेप करने में मज़ा कहाँ से आता? गरम लोहे पर ही वार करना चाहिए। और मेरा लोहा अब बुरी तरह गरमाने लगा था “अबे छोड़ साले… मादरचोद ” वो गाली-गलौज करने लगा ।

मैंने उस गाल पर कस के चांटा मारा। ” चुप भोसड़ी के …. ज़्यादा हल्ला मत कर कर वरना तुम्हारा गला दबा दूंगा साला बहनचोद… ” मैंने उसे हड़काया और पीठ के बल लिटा दिया। चांटा खा कर वो थोड़ा सहम गया था- अभी वो था ही कितना बड़ा- इक्कीस साल का बच्चा; उसकी आंखों में आंसू आ गए । मैं उसकी छाती के आर पार घुटनों के बल खड़ा हो गया और उसके मुंह में अपना लंड डालने लगा। लेकिन वो लंड लेने को तैयार ही नहीं था। मैं जैसे ही लंड डालने की कोशिश करता वो अपना मुंह फेर लेता था। फ़िर मैंने एक हाथ से उसके बालों को भींच कर उसकी मुंडी को कसा और दूसरे से उसका जबड़ा खोला और अपना लंड मुंह में घुसेड़ दिया। “ले बे चूस इसे….”

मैंने अपना लंड उसके मुंह में हिलाना शुरू कर दिया ताकि वो चूसे। लेकिन वो चूस ही नहीं रहा था। उल्टे लंड हिलाने से उसके दांत ज़रूर लग रहे था। मुझे ध्यान आया की मैं अपना लंड ज़बरदस्ती नहीं चुसवा सकता। मज़ा तो तभी आएगा जब वो मेरा लंड अपनी खुशी से ढंग से चूसता। मैंने सोचा अब लगता है सीधे इसकी गांड ही मारनी पड़ेगी। “ठीक है साले मत चूस… अभी मैं तुम्हारी गांड मारता हूँ” मैंने उसे फिर से पेट के बल लिटाया। ये सोच कर की उसकी गांड अब चुदने वाली है, वो और उछल कूद करने लगा…अपनी टाँगे चलाने लगा और पूरा शरीर हिलाने लगा। साले के शरीर में बहुत जान थी। बड़ी मुश्किल से मैंने उसे उसकी बाँहों से कस कर पकड़ा और उसकी पीठ पर पेट के बल लेट गया। वो अब गिड़गिडाने लगा … “नहीं, नहीं, मुझे जाने दो… छोड़ दो मुझे… प्लीज़… ”
मैं मुस्कुरा दिया। अब उसकी गांड मारने में और मज़ा आएगा । वो और रोयेगा, गायेगा और छटपटाएगा। मैंने उसकी गांड के मुहाने पर अपना लौड़ा रखा और अन्दर दबाने लगा। मेरा लौड़ा न ज्यादा बड़ा था न ज़्यादा छोटा, मोटाई भी ठीक ठाक थी। जैसे ही मेरा लौड़ा घुसने लगा वो चिल्लाने लगा
“ओहोह्ह…”
“आह्ह्ह…”
उसकी गांड कुंवारी होने की वजह से बिल्कुल कसी हुई थी। मुझे घुसेड़ने में भी तकलीफ होने लगी। मैंने अपना लंड फ़ौरन निकला और लपक के उसपर lignocaine gel लगा दी।
अब चिकनाई लगने से मेरा लंड आराम से अन्दर बहार जाएगा और उसे भी कम तकलीफ होगी। लेकिन अब तक बहुत देर हो चुकी थी… वो पलंग से उठ चुका था और अपने हाथ छुडाने की कोशिश कर रहा था। मैंने फुर्ती से उसे फ़िर से दबोचा, उसे बिस्तर पे पटक कर नाड़ा कसा।

वो फ़िर रोया … “मुझे जाने दो… प्लीज़… छोड़ दो मुझे” मैंने हिन्दी फिल्मो के खलनायक की तरह जवाब दिया “छोड़ दूँ? ऐसे कैसे छोड़ दूँ? अभी अपने लंड की प्यास तो बुझा लेने दो।” मैंने इस बार उसकी गांड बार घुटनों के बल बैठ गया और अपना लंड निशाने पर लगा कर धक्का मारा… लंड सट से अन्दर चला गया। उसके मुंह से चीख निकल गयी…
“आह्ह….” उसका पूरा शरीर उछल गया। मैंने झट से उसके कंधो को पकड़ कर उसे बिस्तर पर दाब दिया.

हालाकि अभी तक मेरे लंड का सुपाड़ा ही अन्दर घुसा था, उसे बहुत दर्द हो रहा था। आख़िर पहली बार जो चुद रहा था। “क्यूँ बे साले हरामी? मज़ा आया? बड़ा आया था गांड मारने, अब मरवा के जाना” मैंने उसका मजाक उडाया। वो बेचारा सिसकारी लेने के अलावा कुछ नहीं कर रहा था।

मैंने अब अपने लंड को और अन्दर घुसना शुरू किया और पूरा अन्दर तक डालता चला गया। वो बेचारा फिर से उछलने लगा। मैं इस बार उसके ऊपर लेट गया और उसे कस कर दबा लिया ताकि चोदते वो हिले न। मैंने अब धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर हिलाना शुरू किया।

उसकी सिस्कारियों से सारा कमरा गूँज उठा…
“हाह्ह्ह…”
“ई…”
“ऊओह… नहीं… बस करो… प्लीज़…”
लेकिन उसकी आवाज़ सुनने वाला कोई नहीं था… मेरा घर बिल्कुल खाली था। वो जितना और चिल्लाता मुझे और मज़ा आता। उसकी गांड बहुत मुलायम थी। एक बार मेरा लौड़ा अन्दर घुस गया तो चिकनाई की ज़रूरत ही नहीं पड़ी – गांड तो वैसे ही मुलायम और गीली होती है और मेरे लंड में से भी खूब पानी निकल रहा था।

मैं अब मस्त होकर उसकी कुंवारी गांड को मज़ा ले लेकर चोद रहा था। इससे पहले मैंने कुंवारी गांड तब मारी थी जब मैं बी कॉम सेकंड इयर में था। मेरे गाँव के बाग़ में एक लड़का आम चुराने के लिए आया था। मैंने मजाक मजाक में उसको चोद दिया लेकिन फ़िर मुझे गांड मरने का चस्का लग गया।

मेरा लंड पिसा जा रहा था उसकी कसी हुई गांड में लेकिन मज़ा उससे अधिक आ रहा था। मैं उस position में चोदते चोदते बोर हो गया । मैंने उसकी टाँगे पकड़ कर उसे नीचे घसीटा । उसकी , कमर , गांड और टाँगे फर्श पर आ गयीं। उसका धड़ बिस्तर पर था। मैं उसके पीछे जाकर घुटनों के बल खड़ा हो गया , उसकी कमर को दोनों हाथों से उचकाया और गप्प से अपना लंड उसकी रसीली गांड में घुसेड़ दिया। उसके मुंह से फिर तेज़ सिसकारी निकल गई… “उह्ह…”

अब मैंने अपनी आँखें बंद की और अपना लंड हिला हिला कर चुदाई करने लगा। मन किया की और तेज़ चोदूं , लेकिन ये सोच कर की उसे और दर्द होगा, मैं अपने आप को रोके रहा। करीब अगले ५ मिनट तक मेरा लंड उसकी मुलायम गांड का रस पीटा रहा, फिर मैं चरम सीमा पर पहुँच गया, मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसे फुल स्पीड में चोदने लगा…
हम दोनों अब चिल्लाने लगे। वो दर्द में और मैं आनंद में। हम दोनों की सिसकियों से से कमरा गूँज उठा। मुझे ऐसा लगा जैसे मैं आनंद में आसमान में बस ऊपर ही उड़ता चला रहा हूँ। तभी मेरा लंड झड़ने लगा। मैंने एक अन्तिम और ज़ोर की आह भरी… “आह्ह॥!!!” और मैं उसकी गीली गीली गांड में झड़ गया।
झड़ कर मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे किसी ने बहुत ऊपर से किसी नीचे ला पटका हो। मैं बिल्कुल ढीला हो गो गया। मैंने अपना लौड़ा बहार निकला और उस लौंडे को आजाद किया। बेचारे की यातना ख़तम हुई।
हम दोनों ने अपने अपने कपड़े पहने । उसने जल्दी जल्दी अपना सामान बटोरा- बेल्ट, पर्स वगैरह और बिना कुछ कहे सुने जल्दी से ख़ुद दरवाज़ा खोल कर सर पर पाँव रख कर भगा। कहीं डर न गया हो की मैं अब उसे हमेशा कैद करके रखूँगा!!

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