Hindi Gay sex story – मेरी गांड की शादी हो गई-2

मेरी गांड की शादी हो गई-2

लेखक : आपका वही पुराना सनी

अब पिछले भाग से आगे लिखने जा रहा हूँ।

मैंने ब्रा-पैंटी पहन ली शाम को और रात को उसके आने से पहले कमरे में कपड़े बदल बैठ गया।

वो मैस से खाना खाकर आया और लेट गया, बत्ती बंद कर दी।

थोड़ी देर बाद मैंने उसकी तरफ बढ़ना शुरु किया।

वो सोया नहीं था, मैं लिपट गया, पीछे से उसको जफ्फी डाल ली।

वो जाग रहा था- साले, क्या हुआ?

मुझे अकेले डर लग रहा था, इसलिए लिपट गया।

साले तू ब्रा पैंटी क्यूँ पहनता है?

आपको कैसे पता?

कल रात जब तू कपड़े बदल रहा था तब !

तभी आपने मुठ मारी ना सर ?

तुझे कैसे पता?

बस, देख लिया था मैंने !

तुझे यह गंदी आदत कैसे पड़ी?

गंदी काहे की सर ! मैं मजा लेता हूँ ! मैं उनके लौड़े पर हाथ फेरते हुए बोला।

लोअर के अंदर छुपे रुस्तम को मैंने जब सहलाया तो वो हिला थोड़ा, मानो सोते शेर को जगा दिया हो।

क्या कर रहा है साले? मैंने कभी लड़के की गांड नहीं मारी।

लेकिन मैं तो आपके लिए हूँ ! कोई तीसरा नहीं जानेगा ! और हम दोनों को घर में परदे के अंदर ! सब कुछ मिलता रहेगा !

जब तीसरा आ गया तब?

कुछ करोगे तो ही तीसरा आएगा ! आप कुछ करोगे नहीं तो तीसरा कैसे आएगा? मैंने अंदर हाथ घुसा दिया- काफी बड़ा लगता है !

साले, मोटा भी बहुत है ! फट जायेगी तेरी !

सर अब हमें एक साथ रहना है !

हाँ !

तो फिर मेरा प्यार स्वीकार करो, मुझसे शादी कर लो !

क्या बक रहा है ? छोड़ यार समलिंगी शादी? मरवाएगा ?

सर यह शादी जग-जाहिर नहीं होगी, इसी कमरे में होगी, यहीं रहेगी ! तभी तो मैंने बैड एक साथ करवाए थे !

अच्छा तभी !

हाँ ! मैंने लौड़े को हाथ से मसलते हुए उसके सुपारे को खींचा- क्या शानदार लौड़ा है आपका !

तेरी गांड भी कम नहीं है, बहुत चिकनी है !

पसंद आई न सर ?

उसने पलट कर मुझे दबोच लिया- साले, लगता है तुझे शांत करना पड़ेगा, सब्र टूट रहा है मेरा !

कब से इसी सब्र को तोड़ने के लिए उकसा रहा हूँ !

साले, मैंने कई गाण्डू चोदे हैं, तेरे से पहले भी एक बार स्कूल टाइम में हॉस्टल में गाण्डू पल्ले पड़ गया था।

यूँ नहीं करने दूंगी मैं आपको ! सब कुछ उतार लेना मेरा ! मगर पहले मुझसे शादी करो !

अच्छा !

तो आप बाहर जाओ, मैं तैयार होती हूँ ! फ़िर आना ! जाओ बालकोनी में टहलो !

वो चला गया, मैंने अपना अटैची खोली जिसमें मैंने लाल रंग का सूट, चुन्नी, सलवार, नकली विग रखा हुआ था। यह मुझे दोल्ली में मेरे दोस्त ने दिए थे सुहागरात के लिए जब उसके साथ मनाई थी। मैंने सब कुछ पहन लिया और उसको मिस काल दी। वो अंदर आया मुझे देख देखता रह गया।

आओ अभिषेक ! आज से मैं आपकी हुई !

सात फेरे लिए हाथ पकड़ कर और बिस्तर के बीच बैठ गया।

वो मेरे करीब आया, चुन्नी उठाई- चाँद सा मुखड़ा दिखा रानी !

फिर मेरे गाल को चूमा, होंठ पर चूमा धीरे धीरे मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरे ऊपर आ गया। पहले कुर्ती उतारी फिर सलवार !

मुझे ब्रा पैंटी में देख वो पागल हो गया- क्या मस्त औरत मेरी हॉस्टल पत्नी बनी है !

उसने मेरी ब्रा उतारी, मैंने अपने मम्मे को हाथ में पकड़ा और उसके होंठों के करीब लाया। उसने उसी पल चुचूक चूस लिया, बोला- तेरे बदन पर एक बाल तक नहीं है, कैसे?

मैंने हारमोंस वाली दवाई ली है, तब से यह आने बंद हो गए। बस बगलों में और लौड़े के करीब ही आते हैं !

तेरे मम्मे लड़की जैसे हैं !

आपकी बीवी हूँ, सुहागरात है !

ओह मेरी जान, रुक जरा !

वो उठा अपने बैग से उसने रॉयल-स्टैग दारु का एक क्वाटर निकाला, बोला- पिएगा शादी की ख़ुशी में !

नहीं जानू ! मैं आपकी पत्नी हूँ, बुरे काम से रोकना मेरा फ़र्ज़ है !

चल साली ! उसने पैग गटका और मुझे थाम लिया। मुझे निचे लिटा कर खुद पाँव से सूंघता-चूमता हुआ ऊपर बढ़ा। मेरी गर्दन पर जब उसने चूमा में अपना सेक्स का आपा खो बैठी और उसको अपने ऊपर गिरा लिया।

बोला- बहुत आग है तेरे अंदर साली ? कितनो के नीचे लेटी है?

नहीं जान, मैं आपके नीचे ही लेटी हूँ। मैंने उठ कर उसके लौड़े को आज़ाद किया।

वाह क्या शानदार लौड़ा है !

पसंद आया?

बहुत ! अब तो यह हर रात करीब होगा !

साली नई-नई शादी हुई है, छोडूंगा नहीं ! चल कर शुरु काम !

मैंने मुँह में लिया।

वाह वाह ! तू यह भी करती है ?

हाँ !

मर जाऊँ गुड खा के ! दबा कर चूस ! बहुत आनंद मिलता है।

मैं उसको चूसते हुए निकालता और हाथ से मलकर दोबारा मुँह में डाल लेता !

वाह यार, क्या माल हो ! मुझे तो सेकंड इयर में आकर जन्नत मिल गई !

चलो स्वामी, अब गृह-प्रवेश करवाओ ! अब नहीं रुका जाता !

मैंने टांगें फैला कर उठा दी- आओ !

उसने अपना लौड़ा छेद पर टिकाया और झटका दिया।

पडुच करता हुआ अंदर घुसने लगा।

वाह कितनी कसी है तेरी ! वाह वाह !

वो धकेलने लगा और पेलने लगा।

क्या इसी तरह करते रहोगे? आसन बदल लो !

हाँ !

मैं घोड़ी बन गई और उसने नीचे से दोनों मम्मे पकड़ लिए और वार पर वार, वार पर वार करने लगा।

मुझे आनंद आने लगा जिससे मेरी आँखें बंद होकर खुल जाती।

उसके बाद तेज़ी तेज़ी से करते हुए उसने मेरी गांड में गर्म गर्म वीर्य छोड़ा और हांफने लगा- वाह रे ! तू मुझे पहले क्यूँ नहीं मिला?

काफी देर हम लेटे रहे पति पत्नी की तरह ! मुझसे बोला- किस तरह से आदत डली जानू ?

बस मुझे खुद नहीं मालूम चला, जैसे जैसे बड़ा हुआ खुद-ब-खुद होने लगा और फिर मुझे शौक बन कर तड़फाने लगा और मुझे मजा आने लगा ! और फिर आप जैसे लोगों ने मुझे सुख दे दिया !

और बस अब वारे-न्यारे हैं !

जिस दिन तीसरा आ गया तब? सुना है बस अगले कुछ दिनों में हो सकता है कोई आ जाए ! फिर क्या करेंगे?

मौका देख कर कर लिया करेंगे !

मकर सक्रांति के पास चार दिन के लिए कॉलेज बंद था, वो घर चला गया।

मैंने सोचा इतनी दूर पंजाब जाऊँगा वो भी इतने कम दिनों के लिए ! मैं नहीं गया अपने घर।

उसके जाने के बाद मैं अकेला हॉस्टल में था।

अगले दिन मुझे मालूम हुआ कि तीसरा लड़का भी दोपहर बाद आ रहा है।

आगे क्या हुआ ? मैं शादीशुदा होकर उसके पीछे गैर मर्द की बाँहों में झूला !

अगला भाग पढ़ना !

आपका प्यारा सा गाण्डू सनी नंबर एक !

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