Hindi Gay sex story – लण्ड चुसाई गाण्ड चुदाई – २

एक महीने बाद मेरे स्कूल में प्री-बोर्ड परीक्षा होने वाली थी, मैंने उसे बताया तो वो बोला- तुम उसकी चिंता मत करो, मैं तुम्हें क्वेश्चन पेपर की व्यवस्था करवा दूँगा, तुम सिर्फ उतना ही पढ़ लेना और कोई समस्या हो तो बताना, मैं तुम्हारे स्कूल के मास्टरों को भी जानता हूँ, उन्हें बोल दूंगा, वो तुम्हारी मदद कर देंगे। तुम चिंता मत करो।

फिल्म ख़त्म हो गई और वो मुझे अगले दिन मिलने का स्थान समझाकर चला गया।

पर उस दिन मेरा मन कहीं भी नहीं लग रहा था, मैं घर आकर भी उसी के बारे में सोचता रहा।

ये सब अनैतिक और अप्राकृतिक था, पर जो भी हुआ वो मेरी अन्तर्वासना को शांत कर सकता था।
अप्राकृतिक ही सही पर पहली बार यौन क्रियाओं के पहले चरण को मैंने भोगा था, करीब से महसूस किया था।

मेरा मन अशांत हो गया था, आने वाली घटनाओं के बारे में सोच कर।
और रोमांचित भी था यह सोचकर कि अगर मैं उसे इस ही तरह खुश करता रहा तो वो मेरी सभी इच्छा पूरी कर देगा जो शोर्ट कट था प्रोफेशनल जीवन के लिए।

बहुत मुश्किल से मैंने वो रात काटी और दूसरे दिन उस के बताये हुए स्थान पर चला गया।

उस दिन मैं बहुत ही उत्सुक था यह सोच कर कि हम दोनों इस बार अकेले होंगे और सुकून से ब्लू फिल्म देखते हुए सेक्स को भोगेंगे।
मैं करीब एक घंटा उस के बताये स्थान पर उस का इंतज़ार करता रहा पर वो व्यक्ति मुझे नहीं मिला।

इतना मायूस इससे पहले मैं कभी नहीं हुआ था, घबरा भी रहा था कि कहीं वो अगर नहीं मिला तो मेरे सारे सपनों पर तो जैसे पानी ही फिर जायेगा।

मैं वहाँ से जाने ही वाला था कि किसी ने मुझे पीछे से आवाज़ लगाई- अखिल !

मैंने पलटकर देखा, वही व्यक्ति था।
उस वक्त तो ऐसा लगा जैसे मुझे भगवन ही मिल गए हों।

उसने मुझे बताया कि उसे कुछ ज़रूरी काम है और वो शहर से कहीं बाहर जा रहा है, 2-3 दिन बाद वापस आएगा।

अनायास ही मेरे मुँह से निकल गया- 2-3 दिन कैसे कटेंगे?

वो मुस्कुरा दिया और बोला- प्यार करने का मूड है क्या?

तो मैं बोला- क्यों आप का नहीं है क्या? आपने ही तो चस्का लगाया है, अब आप ही जा रहे हैं?

उसने मुस्कुरा कर मुझे गले लगा लिया और बोला- आओ, यहीं पास में मेरे दोस्त का घर खाली है, मेरे पास चाबी भी है, वहीं चलते हैं, जल्दी से एक राउंड ले लेंगे।

मैं मान गया और हम पास ही एक छोटे से घर में गए और अन्दर जाते ही वो मुझे बिस्तर पर लेटा कर मुझसे लिपटने लगा जैसे मैं कोई लड़की हूँ।
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खुला मौका देख कर वो मुझे बेतहाशा चूमे जा रहा था और मेरा हाथ उसकी पतलून को खोलने में व्यस्त था।

जैसे ही मैंने उसके लिंग को छुआ, वो बोला- यार, जी भर कर इसे अपने होंठों से प्यार दो आज।

अभी उसका लिंग उतना सख्त नहीं था, मैं ज़मीन पर बैठ गया और उसकी पतलून उतारकर उसके लिंग को सहलाने लगा।

उसने अपने पैर फैला कर ऊपर उठा लिए और बोला- आज तुम मेरी गांड से शुरुआत करो, उसे चूमो, प्यार करो।

मैंने वैसा ही किया, उसकी गुदा के छोटे से भूरे रंग के छेद को चूमने लगा।

वो बोला- उसे चाटो यार… अपनी जीभ अन्दर डाल कर चोदो… इससे बहुत मज़ा मिलता है।

मैं एक हाथ से उसके लिंग को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी गुदा को खोल कर अपनी जीभ से उसे चाट रहा था, वो मेरे इस समर्पण भाव की तारीफ करते हुए मेरे बालों को सहला रहा था।

उसकी गुदा से होते हुए मैं उसके अन्डकोशों से होते हुए उसके लिंग तक आया और उसे मुँह में लेकर चूसने लगा।

उसने मुझे उठाया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए और फिर से मुझे नीचे बिठाकर मेरे साथ मुख मैथुन करने लगा।

वो मुझे अब पूरी तरह से अपने तरीके से नियंत्रित कर रहा था, वो पूरे जोश से मेरे मुँह को चोद रहा था और बोला- तुम्हारा मुँह तो छमिया की चूत से भी ज्यादा मज़ा दे रहा है मेरे छोटे भाई!

वो स्खलन के बिल्कुल नज़दीक था, मैं उसके लिंग को अपनी जीभ से चाटते हुए उसे और मज़ा दे रहा था।

तभी उसने अपना लिंग मेरे मुह से खींचा और मैं तुरंत ही समझ गया कि उसका वीर्य स्खलन होने वाला है। मैं उसे अपनी हथेली से रगड़ कर उसे संतुष्ट करने लगा।

मैंने अपना मुँह ख़ोल रखा था उसके वीर्य का स्वाद लेने के लिए।

तभी वो स्खलित हुआ और ढेर सारा रस मेरे मुख में चला गया और मेरे चेहरे पर भी कुछ बूंदें फ़ैल गई।

तभी अचानक किसी ने दरवाज़ा खोला मैं घबरा गया और उठने लगा, पर अब कोई फ़ायदा नहीं था, मैं पूरा नंगा था और इस अवस्था में था कि कुछ कर भी नहीं सकता था।

वो उसका दोस्त था।

हमे ऐसे देखकर वो तो होश हो खो बैठा।

पर मैं शरमा रहा था, समझ नहीं पा रहा था कि अपने आप को कैसे सम्हालूं।

उसका दोस्त बोला- क्या सीन चल रहा है यार मनोज? हमें भी मिलवा दो अपने छोटे दोस्त से… हम भी खाली कर दें अपना रस… इतने सेक्सी चेहरे पर!

मुझे पता चला कि पहले वाले का नाम मनोज था। बाद में पता चला कि उसका पूरा नाम मनोज तिवारी था।

तो पहला व्यक्ति बोला- अरे नहीं यार सलमान, अभी मत कर वो तो अपना ही है, कभी भी आ जायेगा बाद में, वो तो बेचारा ज़रूरी बात करने के लिए आया था और मैं उससे ये सब करवाने लगा।

तो सलमान खान बोला- तो क्या हुआ यार, ऐसे ही हमें भी बस एक बार मज़ा करवा दे, कितना टाइम लगता है, मैं इसे ज्यादा देर नहीं रोकूंगा।

मनोज बोला- नहीं यार, तेरा कोई भरोसा नहीं है… तू ये करने के चक्कर में कुछ और करने लगेगा और अभी अखिल उसका अभ्यस्त नहीं है यार, लेकिन लंड बहुत अच्छा चूसता है।

तभी मनोज मुझसे बोला- छोटे भाई, इसका भी खाली कर ही दे यार, वरना यह ऐसे ही जिद करता रहेगा।

अभी मैंने जवाब भी नहीं दिया था और सलमान खान मेरे करीब आ गया और अपना लौड़ा निकल कर मेरे हाथों में थमा दिया।
मनोज मुझे सहला रहा था और मैं सलमान का लवड़ा हाथों से मसल रहा था।

तभी मनोज बोला- लो यार, उसका लंड मुँह में लेकर ज़रा बता दो कि तुम क्या चीज़ हो।

इस पर सलमान ने मेरे मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और तेज़ी से मुखमैथुन करने लगा।

सलमान मेरे होंटों के स्पर्श को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर पाया और स्खलित हो गया।

यह तीसरी बार था जब मेरे मुख में वीर्य की बरसात हुई थी, मैं उसके वीर्य को बड़े चाव से पी गया।

सलमान खान और मनोज तिवारी दोनों बहुत अचरज से ये सब देख रहे थे, सलमान पूरी तरह संतुष्ट था।

मैंने अपने कपड़े पहने और मनोज के साथ वहाँ से निकल गया।
कहानी जारी रहेगी।

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