Hindi Gay sex story – विक्की का लौड़ा

मेरा नाम रॉकी है और मैं चंडीगढ़ का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 20 साल है और मेरा रंग भी बहुत गोरा है जिस कारण मेरे सभी दोस्त मेरे साथ मजाक करते रहते हैं जैसे कि मैं उनका दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड हूँ।

खैर इसी वजह से मुझे अपनी गाण्ड पहली बार मरवाने का मौका मिला। चलिए मैं आपको पूरी कहानी की ओर ले चलता हूँ।

मैं बताना भूल गया कि मैं इंजीनियरिंग कर रहा हूँ और हॉस्टल में रहता हूँ। मेरे दोस्त नशे के आदी तो नहीं हैं पर वो अक्सर मजे लेने के लिए पीते रहते हैं जबकि मुझे पीना अच्छा नहीं लगता और सच कहूँ तो मुझसे पीया भी नहीं जाता।

हॉस्टल में विक्की और दीपक मेरे काफी अच्छे दोस्त हैं।

बात उस दिन की है जब दीवाली का समय था और हॉस्टल के सब छात्र अपने घर चले गए थे। मैं अपने घर नहीं जा पाया और विक्की और दीपक भी दीवाली की रात मजे करने के लिए हॉस्टल में वापस आ गए।

शाम को उन दोनों ने योजना बनाई कि वो जमकर पीयेंगे और खूब मस्ती करेंगे। शाम 8 बजे के करीब मैं खाना खाने चला गया जबकि वो दोनों छत पर चले गए कुछ देर टहलने।

जैसा कि तय हुआ था मेरे खाना खाने के बाद हम तीनों शराबखाने की ओर चल पड़े क्यूंकि वो मेरे बिना पीते नहीं थे। भले मैं पीता नहीं था पर जब भी उनकी महफ़िल जमती मैं उसमें जरूर शामिल होता था।

10 मिनट में हम शराबखाने पर पहुँच गए। वहाँ पहुँच कर विक्की ने शराब की बोतल ले ली और दीपक ने साथ वाली दुकान से कुछ खाने पीने की सामन भी ले लिया। सब सामान लेकर हम वापस हॉस्टल की तरफ चल पड़े।

चूँकि उस दिन हॉस्टल लगभग पूरा खाली था तो उन दोनों ने वहीं पीने का प्लान बना लिया।

रास्ते में हम सब मस्ती करते आ रहे थे और वो दोनों मजाक मजाक में मेरी गाण्ड में उंगली करने की कोशिश कर रहे थे। उनकी इस हरकत से मुझे हमेशा की तरह मजा आया और मैंने तभी सोच लिया कि आज तो कुछ भी हो जाए अपनी गाण्ड मरवा ही लूँगा।

करीब 20 मिनट में हम हॉस्टल पहुँच गए।

हॉस्टल पहुँच कर हम सीधे मेरे कमरे पर गए क्यूँकि मेरा कमरा थोड़ा एकांत में पड़ता है। कमरे में घुस कर हमने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया ताकि कोई आ न सके और कहीं उन दोनों को पीते हुए न देख ले।

फिर दीपक ने बेड पर एक पुरानी चादर बिछा ली और सारा सामान निकल कर सजा लिया। विक्की ने बोतल को खोल के दो बड़े पेग बना लिए उन दोनों के नाम के और तीसरे गिलास में थोड़ी सी शराब डालकर मेरी ओर बढ़ा दिया।

मैंने चूंकि कभी पी नहीं थी तो मैंने शुरू में मना कर दिया पर उन दोनों के जोर देने पर मैंने भी दो घूंट भर ली। फिर उन दोनों ने पीना शुरू कर दिया। वो दोनों जल्दी जल्दी पेग बना रहे थे इसलिए आधी बोतल जल्दी ही ख़त्म कर दी।

फिर वो दोनों रुक गए और दोनों मुझे कहने लगे कि वे पेशाब कर के आते हैं। वो दोनों चले गए। वो करीब 5 मिनट के बाद वापस आये और फिर अपनी अपनी जगह पर बैठ गए।

वो आकर पेग बनाने लगे और लड़कियों के ऊपर चर्चा शुरू कर दी। दीपक भी नशे में चूर होकर उस लड़की के बारे में बताने लगा जिससे वो प्यार करता था और वो उससे बात करना छोड़ गई थी। वो बात बताते बताते भावुक हो गया तो विक्की ने उसे सँभालते हुए बात बदल दी और अपने किस्से बताने लगा कि कैसे उसने कौन सी लड़की को चोदा।

उसने जब बताया कि वो 20 के करीब लड़कियाँ चोद चुका था तो मुझे यकीन नहीं हुआ। क्यूंकि मैंने कभी किसी लड़की को नहीं चोदा था तो मैं उससे उत्सुक होकर पूछने लगा कि उसने कैसे कैसे और कौन सी लड़की को चोदा। वो बताते बताते एकदम हंसने लगा।

जब हमने पूछा कि क्यों हंस रहा है तो वो बोला कि उसने लड़कियों कि सिर्फ चूत मारी है गाण्ड नहीं मारी कभी।

इतने में दीपक ने मजाक में कह दिया कि रॉकी की मार ले गाण्ड !

मैंने पहले बताया कि सभी दोस्त मुझे लड़कियों की तरह छेड़ते थे।फिर वो दोनों हंसने लगे। दीपक ने मजाक में कहा था पर गाण्ड मराने की बात सुनकर मेरी गाण्ड में खुजली होने लगी। वो दोनों मस्ती में डूबकर पी रहे थे पर मेरा ध्यान अब उन दोनों के लौड़ों को ढूंढने पर लग गया था।

मुझसे रहा नहीं गया और मैं जानबूझ कर कभी उनकी बोतल छीनने के बहाने तो कभी खाने की चीज लेने के बहाने उनके लौड़ों को छूने लगा। दीपक का शायद ध्यान नहीं गया पर विक्की का लौड़ा मेरा स्पर्श पाकर तन्ना उठा और उसकी लोअर में ही फुंफ़कारें मारने लगा। क्या मौटा लौड़ा था उसका। सीधा, लोहे की छड़ की तरह सख्त !

वो लोअर में ही तम्बू बनाये खड़ा था और बहार निकलने को बेताब हो रहा था। अपने लौड़े की बेचैनी देखकर विक्की ने दीपक से कहा- देख साला चोदने की बात करते ही तैयार हो जाता है। अब फिर साला चूत मांग रहा है।

दीपक ने कहा- चिंता मत कर, रॉकी है ना ! तेरे लौड़े को एक मिनट में ठंडा कर देगा। बहुत बड़ा चुदाक्कड़ है ये !

यह बात सुनकर तो मेरी गाण्ड में खुजली और बढ़ गई और मैं मन ही मन सोचने लगा कि कैसे उनको उकसाऊँ मेरी गाण्ड मारने के लिए।मुझे पता था वो बस मजाक में मुझे चोदने की बात कर रहे हैं असल में नहीं चोदेंगे। मैंने उन्हें नशे में उकसाने के लिए कहा- ऐसे ही गाण्ड मार लोगे क्या बहन के लौड़ो? रॉकी की गाण्ड क्या मुफ्त की है?

विक्की बोला- जानेमन, नाराज क्यों होती है। पैसे ले ले।

और हंसने लगा।

मैंने थोड़ा गुस्से में होने का नाटक किया और उसे गाली देने लगा। इससे वो दोनों भी ताव में आ गए।

“अबे गाण्डू ! आज तो तेरी गाण्ड मार के ही छोड़ेंगे।”

“आज तेरी गाण्ड का भोसड़ा बना देंगे।”

“आज तेरी गाण्ड से ही दीवाली मनाएंगे मादरचोद !”

मैं मन ही मन खुश हो गया कि चलो अब तो वो दोनों मुझे चोद ही डालेंगे पर वो दोनों सिर्फ गाली देते रहे। बात ना बनते देख मैंने अपनी कैपरी नीचे कर दी और अंडरवीयर भी उतार कर अपनी गोल और चिकनी गाण्ड उनकी तरफ कर दी- लो मादरचोदों ! दम है तो मार के दिखाओ रॉकी की गाण्ड। तुम सिर्फ बोलने के हो। तुमसे कुछ नहीं होगा।

मैंने दीपक की ओर देखकर कहा- अबे बहनचोद, तेरा तो उठता भी नहीं है। तू क्या मेरी गाण्ड मारेगा !

यह सुनकर और मेरी चिकनी गोल गाण्ड देखकर दीपक भी जोश में आ गया और उसका भी लंड फुंकार मारकर खड़ा हो गया। इससे पहले कि मैं अपनी अंडरवीयर और केपरी पहनता, दोनों ने मुझे दबोच लिया और मादरचोद मेरे ऊपर चढ़ गए।

हालाँकि मैं पहले से तैयार नहीं था सो उनके इस कारनामे से हड़बड़ा गया और खुद को संभाल नहीं पाया। वो दोनों मेरे ऊपर बैठ गए और बारी बारी मेरी गोल गाण्ड में उंगली करने लगे। दीपक ने फिर झट से शराब की बोतल और बाकी सामान को मेज पर रख दिया और मुझे दोनों ने पकड़ कर बेड पर लेटा लिया। फिर उन दोनों में बहस हो गई कि कौन मेरी गाण्ड पहले मारेगा।

दोनों ने टॉस किया और विक्की ने टॉस जीतकर शेर की तरह दहाड़ मारी और दीपक से कहा- साले के मुँह में दे दे तब तक तेरा लौड़ा। चुसवा साले से ! बड़ा मजा आता है !

मैं नीचे पड़ा झूठमूठ का कसमसा रहा था पर मेरी गाण्ड की खुजली बढ़ती जा रही थी। मैं कुछ बोल पाता इससे पहले ही दीपक ने मेरे मुँह में लौड़ा घुसा दिया। मैं थोड़ी देर तो ना नुकर करता रहा पर मुझे भी मजा आने लगा और मैं एक हाथ से उसके लौड़े को पकड़ कर उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। विक्की ने मेरा दूसरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर लगा दिया।

“जरा इसे भी तो थोड़ा सख्त कर दे भोसड़ी के ! मादरचोद ! आज तेरी गाण्ड का भोसड़ा बना के ही छोडूंगा।”

मैंने उसका लौड़ा हिलाना शुरू कर दिया। उसका लौड़ा और कठोर होता जा रहा था। क्या मस्त लौड़ा था उसका। करीब 6.5″ इंच का होगा। मैं मन ही मन काँप उठा कि अगर यह लौड़ा मेरी गाण्ड में गया तो मेरी गाण्ड का भोसड़ा बना देगा। विक्की ने फिर अपना लौड़ा छुड़वाया और उस पर खूब सारा थूक लगा लिया और थोड़ा मेरी गाण्ड के छेद पर भी थूक दिया। फिर उसने अपना लौड़ा मेरी गाण्ड के द्वार पे लगा दिया और थोड़ा घिसाने लगा।

फिर उसने अपने लौड़े को सीधा करके मेरी बेचारी चिकनी गाण्ड पर लगाया और थोड़ा धक्का देने लगा। मारे दर्द के मैं चिंहुक पड़ा। पर दीपक ने मेरे मुँह में अपना लौड़ा घुसा रखा था इसलिए मैं कुछ बोल नहीं सका।

“क्यों बे भोसड़ी के? मजा आया?”

यह कहते हुए उसने एक और जोर का झटका लगाते हुए अपना आधा लंड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दिया। मारे दर्द के मेरी जान निकले जा रही थी। मैंने हिलने की कोशिश की पर नाकाम रहा। उसने मुझे कसकर पकड़ रखा था और मुझे नीचे दबा रखा था।

“क्यों मादरचोद? दर्द हुआ क्या? चल तेरी फाड़ता नहीं और इतना ही घुसेडूगाँ।”

वो आधे लंड में ही अन्दर बाहर करने लगा। धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा। मैं भी गाण्ड उठा उठा कर उसका साथ देने लगा और दीपक का लौड़ा भी मस्त होकर चूसने लगा। जब विक्की ने देखा कि मौका बढ़िया है तो उसने अपना लौड़ा थोड़ा सा बाहर निकाल कर एक और जोर से धक्का मारा।

उस धक्के के साथ ही उसका पूरा लंड मेरी चिकनी गाण्ड को रौंदता हुआ पूरा उसमे समां गया। मेरी गाण्ड में लौड़ा घुसते ही मेरे मुँह से चीख निकल गई।

“ओ भोसड़ी के ! बाहर निकाल जल्दी ! मेरी गाण्ड फट गई ! भोसड़ी के मार डाला ! अइइइ आःहहहह उफ़्फ़फफ !!”

“क्यों भोसड़ी के? जब तो बड़ा अपनी गाण्ड दिखा रहा था मादरचोद ! तू ही कह रहा था कि तेरी गाण्ड मारने का दम नहीं है किसी में ! अब दम दिखाया तो फट गई भोसड़ी के ! अब चुद साले ! अब तो तुझे इस हॉस्टल की रंडी बना के ही छोडूँगा ! बड़ा तड़पाया है तेरी इस गाण्ड ने मेरे लौड़े को ! आज पूरा बदला लेकर ही रहूँगा !”

और वो जोर जोर से धक्के मारने लगा। मुझे तो लगा मेरी जान ही निकाल जायेगी, मैं अपने आप को छुड़वाने की कोशिश कर रहा था पर वो दोनों ऐसे मुझ पर टूट पड़े जैसे कोई भूखा शेर।

थोड़ी देर में जब दर्द कम हुआ तो मुझे भी मजा आने लगा। मैं भी उसके धक्कों का जवाब अपनी गाण्ड उठा उठा कर देने लगा।

“क्यूँ बे मादरचोद ! मजा आया ! अब देख कैसे तेरी गाण्ड का भोसड़ा बनाता हूँ।”

वो जोर जोर से धक्के मारने लगा और सांस भी तेज हो गई उसकी। मैं समझ गया कि वो झड़ने वाला है।

5-6 तेज झटकों के बाद वो मेरी गाण्ड में ही झड़ गया और मेरे ऊपर निढाल पड़ गया।

2-3 मिनट के बाद जब वो उठा तो मैंने उठने की कोशिश की लेकिन बहुत दर्द हो रहा था गाण्ड में।

“अबे उठ कहाँ रहा है भोसड़ी के ! अभी मेरी बारी है। मुझे भी तो तेरी मस्त गाण्ड के मजे लेने दे।” दीपक बोल उठा।

और फिर वो मेरे ऊपर आ गया।

“अबे मादरचोद, तेरी गाण्ड से खून निकल रहा है।”

यह सुन कर मेरे तो होश उड़ गये।

“अबे मादरचोद ! फ़ाड़ डाला तूने मेरी फूल सी गाण्ड को ! भोसड़ी के ! ” और मेरी आँखों से आंसू छलक आये।

“अबे भोसड़ी के, रोता क्यों है। पहली बार में खून तो निकलता ही है। ये तो तेरी पवित्रता का सबूत है।” मेरे चूतड़ों पे अपना लौड़ा फिराते हुए विक्की बोला।

“अरे तौलिये से साफ़ कर दे इसकी गाण्ड को ! फिर मारना इसकी गाण्ड को।”

“हट भोसड़ी के, अब हाथ भी मत लगाना ! दूर रहो मेरी गाण्ड से !” मैंने उठने की कोशिश करते हुए कहा।

“अबे भोसड़ी के ! जब तक मैं गाण्ड नहीं मारता, तब तक उठने की कोशिश मत कर !” और दीपक ने तौलिये से मेरी गाण्ड साफ़ की और फिर अपना लौड़ा सटा दिया मेरी गाण्ड से।

“ले भोसड़ी के ! अब जरा मेरा लौड़ा चूस के बता ! पता लगे कितना मजा देता है तू चूसने में। ” कहते हुए विक्की ने मेरे मुँह में अपना लौड़ा घुसा दिया।

पीछे से दीपक ने भी दो झटकों में मेरी गाण्ड चीरते हुए अपना लौड़ा पूरा अन्दर तक घुसा दिया। मैं मारे दर्द के कराह उठा पर मुँह में विक्की का लौड़ा होने के कारण कुछ बोल न सका।

शुरू शुरू में दर्द हुआ तो मन किया कि अभी साले को लात मार के ऊपर से पटक दूं पर दोनों ने मुझे दबोचा हुआ था और मैं हिल भी नहीं पा रहा था।

दीपक ने अपना लौड़ा अन्दर बाहर करते हुए धक्के लगाने शुरू किये। जल्दी ही मेरा दर्द गायब हो गया और मैं अपनी चुदाई का मजा लेता रहा। गाण्ड उठा उठा कर मैं उसके हर झटके का साथ दे रहा था। वो भी मस्त होकर मुझे चोद रहा था और मीठी मीठी आवाजें निकाल रहा था।

उधर विक्की मेरे मुँह को अपने लौड़े से चोद रहा था। जब उसने देखा कि मैं चुदने में मस्त हो गया हूँ तो मेरी टी-शर्ट में अन्दर हाथ डालकर मेरे चूचे दबाने लगा और मसलने लगा। मुझे भी मजा आ रहा था। हजारों कहानियाँ हैं अन्तर्वासना पर !

कुछ ही देर में विक्की मेरे मुँह में ही झड़ गया और मुझे अपना सारा रस पिला दिया।

“ले पी भोसड़ी के ! तेरे जैसी रंडी के लिये अमृत है यह !”

और मैं उसके रस की अंतिम बूँद तक गटक गया और उसका लौड़ा चाट चाट कर साफ़ कर दिया।

थोड़ी ही देर में दीपक भी तेज झटके मारता हुआ झड़ गया और अपना सारा रस मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर मल दिया। इसके बाद वो दोनों मुझे ऐसे ही छोड़ कर बाथरूम में चले गये। मुझमें उठने की हिम्मत नहीं थी और मैं थक भी चुका था तो मैं ऐसे ही पड़ा पड़ा सो गया।

सुबह उठकर मैंने अपनी गाण्ड धोई। बहुत दर्द हो रहा था। फिर जब कुछ देर बाद मैं उन दोनों को ढूंढने उनके कमरे की तरफ गया…

आगे क्या हुआ मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊँगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे अपने सन्देश जरूर भेजें। मुझे आपके जवाब का इन्तजार रहेगा।

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