हिंदी समलैंगिक कहानी: अजनबी मेहरबान: 2

हिंदी समलैंगिक कहानी: अजनबी मेहरबान: 2

हिंदी समलैंगिक कहानी: हेलो दोस्तों, जैसा के आप सब जानते ही हो के मेरा नाम आशु है, , में हरियाणा के यमुना नगर का रहने वाला हू….!! अभी तक आपने पढ़ा के दो पुलिस वालों ने मुझे लिफ्ट तो दी… पर एक पर पहले मेरी नियत खराब थी.. फिर उसकी भी होने लगी… अब आगे…

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हाथ रखते ही मैं तो कामवासना की अग्नि से जल उठा। उसका लंड उसकी जिप के नीचे झटके मार रहा था, मैंने भी वासना में आहें निकालते हुए उसके डंडे जैसे खड़े लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसको सहलाने लगा। उसका लंड और कड़ा हो गया और आनन्द के मारे उसने बाइक की स्पीड कम कर दी।
इधर राज पीछे बैठे बैठे ही अपनी भारी सी गांड को हिलाता हुआ मेरे चूतड़ों में झटके मारने लगा था।

अब वह थोड़ा पीछे खिसका और मेरा उल्टा हाथ पकड़ते हुए पीछे ले गया और अपने झटके मार रहे लंड पर रख दिया। मैं तो जैसे पागल हो गया.. दो पुलिसवालों के बीच में बैठा हुआ मेरे हाथ में आगे भी मोटा लंड और पीछे उससे भी मोटा लंड.. मैं दोनों को मस्ती में रगड़ने लगा.. और राज मेरी कोमल चूचियों को अपनी सख्त उंगलियों से मुट्ठी में भरकर जोर से भींचने लगा। मेरी सिसकारियाँ निकलने लगीं…

शुभ ने कहा- राज भाई, इब कंट्रोल ना हो रया.. (अब कंट्रोल नहीं हो रहा है)

यह कहते हुए उसने बाइक साइड में एक पेड़ के नीचे रोक दी और बंद करके चाबी निकाल ली।

राज अपनी दाईं टांग घुमाता हुआ बाइक से उतर गया और बाइक की साइड में आकर हमारी बगल में खड़ा हो गया। डिवाइडर पर लगी लाइट से पीली रोशनी आ रही थी और उस रोशनी में राज की जिप की साइड में तना हुआ उसका लगभग 3 इंच मोटा और 7 इंच लंबा लंड झटके मार मार कर उसकी पैंट में बने तंबू को बार उछाल रहा था।

मैं एकटक उसके लौड़े को देखे जा रहा था..और मेरा उल्टा हाथ अभी भी आगे बैठे शुभ के लंड पर ही कसा हुआ था, मैं राज के लंड को देखता हुआ उत्तेजना के शिखर पर था और शुभ के लंड को मसले जा रहा था।

शुभ बोला- पाड़ेगा के इसनै (इसको उखाड़ेगा क्या)

मैंने पकड़ थोड़ी हल्की की और राज के मर्दाना शरीर को निहारते हुए बार बार पैंट में झटके मारते उसके लंड को देखकर लार गिरा रहा था..

उसने भी मेरी इच्छा भांप ली थी और बोला- चिंता ना कर बेटा.. ये हाथ का डंडा और मेरा डंडा दोनों ही आज तेरे अंदर उतारने हैं..

यह कहकर वो शुभ से बोला- नीचे ले आ इसको..

मैंने शुभ के लंड से हाथ हटाया और बाइक से नीचे उतर गया। मेरे नीचे आते ही शुभ भी टांग घुमाता हुआ बाइक से नीचे आ गया.. दोनों मेरे सामने खड़े थे और दोनों के ही लंड पैंट में तने हुए एक साइड में आकर लग गए थे। आस पास चिड़िया की भी आवाज नहीं थी… बस था तो रात का सन्नाटा..

दोनों ने आस-पास देखा और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए। राज बोला- आज तो सारी ठंड यही दूर करेगा..
यह कहकर राज मुझे पेड़ की तरफ धेकलते हुए बोला- चल बेटा.. आजा तू अब.. तेरी इच्छा मैं पूरी करता हूँ..

लेकिन शुभ बीच में टोकते हुए बोला- रुक राज .. यहाँ सेफ नहीं है.. बाय चांस कोई आ गया तो बदनामी हो जाएगी.. थोड़ा अंदर ले चल इसे.

‘हाँ ठीक कह रहा है तू.. चल बाइक को यहीं झाड़ियों के पीछे लगा दे..’

शुभ ने बाइक स्टार्ट की और झाड़ियों के पीछे लगाकर बंद कर दी। तब तक राज ने मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हुए दूसरा हाथ अपनी पैंट में खड़े लंड पर रखवा दिया और बोला- आ जा जान.. खुश कर दे आज तू..

मैं उसकी छाती के पास खड़ा हुआ उसके लंड को पैंट के ऊपर से सहला रहा था और उसको मुंह में लेने के लिए बेताब था! और अगले ही पल उसने मेरी गर्दन को दबाते हुए मुझे घुटनों के बल बैठाते हुए मेरा मुंह अपनी जिप पर लगा दिया, मेरे नर्म होंठ उसके सख्त लौड़े पर जा लगे और उसको कवर करने की कोशिश करने लगे लेकिन लंड बहुत ही मोटा और लंबा था.. मैं भी उसके लौड़े को पैंट पर से चाटे जा रहा था।

शुभ पास आकर बोला- साले अंदर ले चल इसको.. यहाँ सेफ नहीं है..

राज बोला- भोसड़ी के यहाँ क्या होटल खोल रखा है तन्नै (तूने)

शुभ बोला- आंख खोल के देख, अंदर खेत में एक झोंपडी सी है.. चल वहाँ ले चल..

राज और मैंने नजर उठाई तो सच में वहाँ एक झोंपड़ी सी नजर आ रही थी जिसमें शायद एक बल्ब की रोशनी थी जो हल्की हल्की नजर आ रही थी।

शुभ का लंड अब आधे तनाव में था और उसकी पैंट में वो और भी कहर ढा रहा था.. मन कर रहा था कि अपने मुंह में लेकर चूस चूस कर खड़ा करुं उसको.. यही सोचते हुए मैं उन दोनों के पीछे पीछे झोपड़ी की तरफ चल दिया।

गेहूं के खेतों में बनी बीच की डोली (मिट्टी की बंध) पर हम चलते हुए झोंपड़ी की तरफ बढ़ रहे थे.. मेरे अंदर रात का डर.. और उन दोनों के लंड का रोमांच दोनों ही अजीब सी घबराहट पैदा कर रहे थे लेकिन मैं दिल की धड़कन को संभालते हुए गहरी सांसें लेता हुआ उनके पीछे पीछे चला जा रहा था।

4-5 मिनट चलने के बाद हम तीनों झोपड़ी के करीब पहुंच गए, झोपड़ी का मुंह खुला हुआ था.. हम तीनों एक एक करके अंदर घुसे और झोपड़ी के हर कोने में नजर घुमाने लगे ..वहाँ झोंपड़ी की छत पर लगे बांस में एक बल्ब टंगा हुआ था जिसके कारण बाहर की अपेक्षा अंदर ठंड का अहसास थोड़ा कम हो रहा था। और नीचे जमीन पर फूंस (बेकार की सूखी घास) बिछी हुई थी.. और साथ में एक पानी की बोतल भी पड़ी हुई थी जिसमें से तीन चार घूंट पानी कम हो चुका था।

शुभ का लंड अब तक सो चुका था.. वो बोला- देख कितनी मस्त जगह है ससुरे… यहाँ इसको चोदने में अलग ही स्वाद आएगा..

राज ने भी झोपड़ी की छत को देखते हुए हामी भरते हुए सिर हिलाया… और अपने आधे खड़े लंड को हल्का सा सहला दिया जिससे वो तुरंत ही सख्त होता हुआ खाकी पैंट में तन गया और जिप की साइड में डंडे की तरह दिखने लगा।

राज मुझसे बोला- आजा जानेमन शुरु हो जा अब.. मुंह मैं ले ले मेरा लौड़ा!

मैं भी इंतज़ार में ही था, मैं देर न करते हुए घुटनों के बल बैठ गया और राज की पैंट में खड़े लौड़े को होठों से चूम लिया। राज के मुंह से आह की आवाज़ निकली… बोला- साले तू तो दीवाना लग रहा है मेरे लौड़े का.. आज तेरे मुंह और गांड दोनों की प्यास मिटा दूंगा मैं.. कहते हुए उसने अपनी बेल्ट खोलनी शुरु की।

और मैं लार गिराता हुआ उसके लंड के दर्शन का इंतज़ार करने लगा.. बेल्ट खोलकर उसने पैंट का हुक भी खोल दिया लेकिन चेन नहीं खोली.. मैं मचल रहा था उसकी जिप खुली देखने के लिए लेकिन वो भी मुझे जानबूझ कर तड़पा रहा था.. उसने मेरी गर्दन पकड़ी और एक बार फिर से अपने लंड पर किस करवा दिया.. लंड ने फुक्कारा मार दिया।

मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ और मैं बोला- सर अब चुसवा दो प्लीज.. वो हंसा और बोला- हाँ रंडी.. ये तेरा ही है.. थोड़ा सब्र कर!

यह कहते हुए उसने जिप धीरे धीरे नीचे की तरफ खोलनी शुरु की… जैसे जैसे चेन नीचे जा रही थी, मेरे मुंह में पानी आ रहा था और मेरे ये भाव देखता हुआ राज मुस्कुरा रहा था.. उसने जिप पूरी खोल दी और उसकी सफेद रंग की जॉकी दिखने लगी लेकिन लंड अभी भी जिप की साइड में ही लगा था। उसने फिर से मेरी गर्दन पकड़ी और मुंह को अपनी चड्डी में घुसाते हुए दो धक्के मारकर हटा दिया।
अब मुझसे रहा न गया और मैंने उसकी पैंट को अपने हाथों से जांघों तक सरकाते हुए नीचे कर दिया और सफेद कच्छे में फंसे उसके लौड़े को ऊपर से ही चाटना शुरु कर दिया।

यह देखकर शुभ की सिसकारी निकल गई, वो बोला- हाय क्या बात है राज .. साला ये तो 5 मिनट में ही छुड़वा देगा मेरा दूध..

राज बोला- पागल है के? (पागल है क्या) इसकी नरम मुलायम गांड का पूरा मज़ा लूंगा मैं तो.. कहते हुए उसने अपनी चड्डी थोड़ी नीचे कर दी और उसके झांट दिखने लगे। मैंने हाथों से चड्डी को नीचे करना चाहा लेकिन उसने मेरे हाथ हटवा दिए और फ्रेंची में से ही मुंह को चोदने लगा।

मैंने रुकते हुए उसको अर्ज किया- राज भाई, प्लीज अब चुसवा दो अपना लौड़ा..

वो ठहाका मारकर हंसा और बोला- हाँ मेरी जान.. बस थोड़ा इंतजार..

पीछे से शुभ का लंड अपने उफान पर था और वो अपनी पैंट में से ही उसको ऊपर से नीचे तक रगड़ कर सहला रहा था और सिसकारियाँ ले रहा था। वो एकदम से मेरे पीछे आया और मेरी गर्दन अपनी तरफ घुमाते हुए मेरी नाक को अपने लंड पर दबा दिया और रगड़वाने लगा। उसका लंड करीब 6 इंच का था और 2.5 इंच मोटा था।

तीन चार बार रगड़वाने के बाद राज ने दोबारा मेरी गर्दन अपनी तरफ मोड़ी और अपने जॉकी की फ्रेंची की पट्टी ऊपर से हटाते हुए मेरा मुंह अपने झाटों में दे दिया, मैंने उनको चाटना शुरु कर दिया।

ठंडी के मौसम में हम लेकर आए हैं एक गरमा-गरम हिंदी समलैंगिक कहानी जिसमें रात के वक्त एक लौंडा दो हरियाणवी मर्दों की रात गर्म करता है।

अब उसकी उत्तेजना भी सातवें आसमान पर चली गई और उसने फ्रेंची नीचे करके अपना 8 इंच का हो चुका लंड मेरे मुंह में देकर अंदर धकेल दिया, लंड गले में जा लगा और मुझे उल्टी सी हो गई।
उसने एक बार निकाला और फिर से दे दिया- चूस इसे साले…

मैं उसके लंड को मुंह में लेकर पूरे मजे से चूसने लगा और वो आंख बंद करके छत की तरफ सिर उठाकर अपना लौड़ा चुसवाने लगा। इधर शुभ ने अपना लंड चैन खोलकर बाहर निकाल लिया था और वो हमें देखकर आह.. आह! की आवाज करते हुए मुठ मारने लगा।

राज ने अपनी शर्ट के बटन खोल दिये और खुली शर्ट के बीच में सेंडो बनियान में कसी हुई उसकी छाती के बाल दिखने लगे। उसने शर्ट निकाल दी और उसके मजबूत डोले भी दिखने लगे।
अब मैं और जोर से उसके लंड को चूसने लगा.. वो जोश में आ चुका था.. उसने शर्ट एक तरफ फेंकी और मेरे बाल पकड़कर लंड को चुसवाने लगा।

आगे की कहानी यहां पढ़ें…

अभी मैं हरियाणा के यमुना नगर जिले में हूं. आपके पत्रों का इंतज़ार मुझे [email protected] पर रहेगा

आपका आशु

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