चुदाई की कहानी ग्रुप में गे दोस्तों की: 2

Horny gay strangers fucking hard after a jogging

गे चुदाई कहानी: हैलो साथियो, मैं रतन आपको गे सेक्स कहानी के अगले भाग का आनन्द देने के लिए हाजिर हूँ.

पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मैंने अपने दोस्त सुमेर सिंह से समलैंगिक लड़कों के सम्बन्ध के बारे में जानना चाहा था.

सुमेर एक गे क्लब चलाता था, वह मुझको अपने गे क्लब ले गया. क्लब में मेरी मुलाकात सुमेर के बॉटम साथी कमल से हुई. कमल सुमेर के साथ उसकी पत्नी की तरह रहता था. कमल एक सेक्स गुरू भी था, जो गे सेक्स की जानकारी देता था.

आरंभ से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें!

अब आगे …

मैं- सुमेर, मुझे तुमसे और कमल से बात करनी है, जिससे मुझे समलैंगिक लड़कों की दुनिया के बारे में पूरी जानकारी मिले.

सुमेर सिंह- रतन तुम पहले कमल से बात करो. उसके बाद भी यदि कोई प्रश्न बाकी रहता है, तो तुम मुझसे पूछ सकते हो. मैं कमल को बोल दूंगा, वो तुमसे खुलकर बात करेगा. बस जब तुम ये सब अपनी सेक्स कहानी में लिखो तो हमारा नाम बदल देना, शहर और मेरी दुकान का नाम नहीं आना चाहिए. मैं चाहता हूँ लोगों को गे संबंधों के बारे में सही जानकारी मिले.

इसी सिलसिले में मैं कमल से कई बार मिला, उससे मेरी घंटों बातें हुईं.
मैं कमल के जीवन की सच्ची कहानी लिख जरूर रहा हूँ. मगर ये सब आप कमल की जुबानी ही उसकी कहानी का मजा लें.

हैलो मैं कमल. मैं और सुमेर सिंह एक ही स्कूल में पढ़ते थे, मैं स्कूल के दबंग लड़कों से डरता था.

सुमेर मेरा एक मात्र दोस्त था, वह खिलाड़ी था और काफी हट्टा-कट्टा था. जब कोई दबंग लड़का मुझे सताता, सुमेर आकर मेरी रक्षा करता.
मेरे पिताजी नौकरी करते थे, हम किराये के मकान में रहते थे. सुमेर के पिताजी की फ्रिज, टीवी, वाशिंग मशीन अदि बड़ी दुकान थी.

मैं और सुमेर एक ही कॉलेज में बी.कॉम. पढ़ने लगे. मैं पढ़ने में अच्छा था, सुमेर की पढ़ने में मदद करता था.

मैं सुमेर के घर भी जाता था. सुमेर के माता पिता मुझे पसंद करते थे.
मेरे पिताजी का सुमेर के पिताजी से परिचय था.

कॉलेज में जब सुमेर हाफ पैंट, बनियान में खेल के मैदान में उतरता, मैं उसके हट्टे-कट्टे बदन को देखकर मुग्ध हो जाता और सोचता काश मैं लड़की होता … तो सुमेर से शादी करके जिंदगी भर उसके साथ रहता.

उस समय मुझे लड़कों के समलैंगिक संबंधों के बारे में पता नहीं था.
हम दोनों जब फाइनल ईयर में थे, उस समय एक बड़ी ट्रेन दुर्घटना में मेरे माता पिता का देहांत हो गया था.

कुछ रिश्तेदार आए और अंतिम क्रिया के बाद सब लौट गए.

एक रिश्तेदार ने मुझे उनके साथ उनके शहर में जाकर उनके साथ रहने का प्रस्ताव दिया.
उस समय सुमेर और उसके माता पिता ने मुझे बहुत सहारा दिया और मुझे अपने घर ले गए.

मैं सुमेर के घर रहने लगा. मैंने पढ़ाई पूरी की.
मैं नौकरी ढूढ़ने लगा, पर नहीं मिली.

सुमेर के पिताजी ने कहा कि कमल बेटा हमारे दुकान का मैनेजर रिटायर हो रहा है, तुम चाहो तो तुम दुकान में काम कर सकते हो. मुझे तुम जैसे भरोसे के आदमी की जरूरत है.

सुमेर अपने पिता के साथ दुकान चलाता था, मैं तुरंत राजी हो गया.
उसका बड़ा कारण था, मुझे सुमेर के साथ रहना बहुत अच्छा लगता था.
हम दोनों एक साथ यौन वीडियो देखते.

एक दिन सुमेर ने गे वीडियो लगाया, उसमें दो लड़के चूमाचाटी कर रहे थे. फिर तगड़े लड़के ने दूसरे लड़के की गांड मारनी शुरू की.

वो सब देख कर मैं कल्पना कर रहा था कि सुमेर मेरी गांड मार रहा है.
सुमेर ने बताया कि जो लड़का गांड मार रहा है, उसे टॉप कहते है और जो मरवा रहा है, उसे बॉटम कहते हैं. बहुत से ऐसे जोड़े पति पत्नी की तरह रहते हैं.

उस समय मुझे समझ आया, मैं क्यों सुमेर की पत्नी बनकर रहना चाहता हूँ.
मैं नेट पर गे संबंधों के बारे में पढ़ने लगा.
कैसे गांड के छेद को साफ़ रखना, बिना ज्यादा दर्द के गांड मरवाने का आनन्द लेना आदि.

मैं रात को छोटी पिचकारी से गांड में पानी भरकर साफ़ करता और मोमबत्ती में तेल लगाकर अपनी गांड मारता.
कल्पना करता कि सुमेर मेरा पति मेरी गांड मार रहा है.

मैं सोच रहा था कि सुमेर को अपनी भावना के बारे में कैसे बताऊं.
मुझे पता चला कि सुमेर के शादी तय हो गयी, मैं बहुत उदास हो गया. मुझे लग रहा था कि मेरी जगह और कोई ले रहा है.

सुमेर की शादी हो गयी. शादी के 15 दिन बाद ही सुमेर का अपनी पत्नी से झगड़ा हुआ.
उसकी पत्नी मायके चली गयी, पत्नी ने तलाक का नोटिस भेज दिया.
मैंने झगड़ा का कारण जानने की कोशिश की, पर सुमेर ने कुछ नहीं बताया.

सुमेर भी तलाक के लिए राजी हो गया.

सुमेर बहुत उदास और चिड़चिड़ा हो गया था. दुकान में उसका मन नहीं लगता था. वह रोज शाम को कमरे में बैठ कर शराब पीने लगा.
सुमेर के पिता ने मुझे कहा कि कमल बेटा, अब तुम ही उसे संभाल सकते हो. तुम सुमेर के कमरे में ही सोना.

ये कह कर सुमेर के पिता जी ने मेरा पलंग सुमेर के बेड रूम में रखवा दिया.
मैं सुमेर के साथ रहने लगा.

एक रात जब मैं सुमेर को ज्यादा शराब पीने से मना कर रहा था.
मैंने तरंग में आकर बोल दिया कि इससे अच्छा होता, अगर सुमेर तुम उस लड़की (सुमेर की बीवी) से शादी न करते और मुझसे शादी कर लेते. मैं सारी जिंदगी तुम्हारा साथ अच्छी पत्नी बनकर निभाता.

सुमेर बोला- सही कह रहे हो, कमल तुम मेरे सबसे अच्छे और भरोसे के दोस्त हो. पर पति को अपनी पत्नी से प्यार और सम्भोग का सुख चाहिए. क्या तुम उसके लिए तैयार हो?

मैंने तुरंत कहा कि मैं तो तुमको स्कूल के दिनों से तुम्हें अपना पति मानता आया हूँ. तुमने ही बताया था कि बहुत से लड़के पति पत्नी की तरह रहते हैं

ये बात सुनकर वो चुप रह गया.
अगली रात सुमेर ने कम शराब पी. सुमेर- कमल कल रात तुमने शादी का प्रस्ताव रखा था, क्या तुम सीरियस हो?

मैंने हां कहकर शर्माकर सर झुका लिया.
सुमेर मुझे गले लगाकर कहा- मेरे मन में भी यही इच्छा थी, पर कभी बोल नहीं पाया. मैंने सोचा था कमल कि तुम सोचोगे कि मैं दोस्ती का गलत फ़ायदा ले रहा हूँ.

कुछ ही देर में तय हुआ कि हम दोनों गुप्त शादी करेंगे.

दो लड़कों की आपस में शादी अपने देश में कानून और समाज नहीं मानेगा. हमने तय किया कि हम दोनों घूमने के बहाने, एक हफ्ते के लिए बाहर जाएंगे, रिज़ॉर्ट में ही शादी करेंगे और हनीमून मनाकर लौटेंगे.

दो दिन बाद सुमेर और मैंने सुमेर के माता पिता से कहा कि हम दोनों कहीं एक हफ्ता दस दिन के लिए बाहर घूम आएंगे, तो मन अच्छा हो जाएगा.

सुमेर के पिता ने देखा था, मेरे सुमेर के कमरे में शिफ्ट होने के बाद सुमेर ने पीना छोड़ दिया था.
वह तुरंत राजी हो गए.

हम दोनों ने शादी का शुभ दिन नेट पर ढूंढा, जो कि डेढ़ महीने बाद का मिला.
सुमेर ने रिज़ॉर्ट और ट्रेवल टिकट बुक की.

मैं अब दुबला नहीं था, मेरा बदन भरा भरा था, छोटी सी चूचियां भी उभर आई थीं.
मैंने ब्यूटी पार्लर में जाकर एलेक्ट्रोसिस से शरीर के अनचाहे बाल निकाल दिए. ब्यूटीशियन की सलाह पर बॉडी क्रीम लगाता, मेरी बदन चिकना हो गया.

मैंने ऑन लाइन ब्रेस्ट पंप खरीदा और ब्रेस्ट पंप रोज काफी देर तक लगाकर रखने लगा. इससे मेरी चूचियां थोड़ी बढ़ गईं.
सुमेर को इस बारे में कुछ पता नहीं था.

हम दोनों ने चर्चा की, शादी, सुहाग रात में मैं क्या पहनूंगा. घागरा चोली तय हुआ.
मैंने अपने शरीर का माप लिया. हम दोनों ने एक बड़ी दुकान से घागरा चोली, ब्रा पैंटी पसंद की और खरीद लीं.

हमने तय किया था कि शादी के बाद ही हम एक पलंग पर सोएंगे.
डेढ़ महीने बाद हम हिल स्टेशन जाने को कार से निकले.
रिज़ॉर्ट में मुख्य इमारत में कुछ कमरे थे, डॉयनिंग हॉल था. मुख्य इमारत से कुछ दूर कॉटेज थे. कॉटेज एक दूसरे से दूरी पर थे, पूरी प्राइवेसी थी.

हमने कॉटेज बुक किया था. उसमें ड्राइंग रूम, बेडरूम और बरामदा था.
शादी दूसरे दिन थी.
रात में आराम करने के बाद, सुमेर दूसरे दिन फूलों की दो माला ले आया.

शाम को मैंने बेडरूम में तैयार होना शुरू किया.
तब तक के लिए मैंने सुमेर से ड्राइंग रूम में रुकने को कहा.
मैं मन से लड़की हो गया.

नहाकर मैंने ब्रा पैंटी पहनी, उस पर घागरा चोली पहनी.
मेकअप किया … जो मैंने नेट से और पार्लर से सीखा था.

चूड़ी, हार, कान का बुन्दा पहना. ये कान के बुँदे बिना कान में छेद किए पहने जा सकते थे.
मैंने सजने के बाद अपने आपको आइने में देखा, तो मैं सुन्दर लड़की लग रहा था.

मैं ड्राइंग रूम में सुमेर के पास गयी. सुमेर मुझे मुग्ध होकर देखता रह गया. उसकी नजरें मुझसे हट ही नहीं रही थीं.
सुमेर कुर्ते पाजामे में सजा था.

सुमेर मुझे देखते ही बोल उठा- वाह कमल, तुमको आज से मैं अकेले में कोमल नाम से बुलाऊंगा.
हम दोनों ने माला बदलकर परिणय किया. दिए की परिक्रमा करके शादी की. एक मोबाइल पर शादी का मन्त्र, दूसरे मोबाइल पर शहनाई बज रही थी.

सुमेर ने मुझे मंगल सूत्र पहनाया. अब सुहागरात की बारी थी.
मैंने बाथरूम में अपने प्यार का छेद साफ किया. छेद में अन्दर तक वैसलीन लगाई.

मैं पलंग पर बैठी थी, सुमेर अन्दर आया. मैंने शर्माकर सिर झुका लिया.
सुमेर मेरे पास बैठा, मेरी ठोड़ी पकड़कर मेरा सर उठाया और आंख को चूमा. मुझे प्यार से लिटाकर आलिंगन में ले लिया, मेरे दिल को बहुत सकून मिला.

हम एक दूसरे को बेताबी से चूसने चूमने लगे.
सुमेर चोली के ऊपर से मेरे चूचे दबा रहा था.
सुमेर को मेरे चूचे बड़े लगे, तो उसने कहा- अन्दर क्या पहन रखा है, देखूँ तो!

सुमेर को लगा मैंने ब्रा के अन्दर गेंद रखी हैं.
सुमेर ने मेरी चोली और ब्रा उतार दी. मेरे चूचे उत्तेजना में तन गए थे. ब्रेस्ट पंप से बढ़े हुए चूचे और मेरा बाल रहित चिकना बदन देखकर सुमेर अवाक रह गया.

उसकी आखें चमक उठी थीं, वो आनंदित हो गया था.
मेरे चूचे चूसते और दबाते हुए, सुमेर ने पूछा- कोमल तुम्हारा बदन चिकना और चूचे इतने सुन्दर कैसे हो गए?
मैंने कहा- सब आपके लिए इन डेढ़ महीनों में किया.

हम दोनों आपस में प्यार में इतने गहरे खो गए थे कि पता ही नहीं चला, हम दोनों कपड़े उतारकर कब नंगे हो गए.
मेरी गांड का प्यार का छेद फ़ैल, सिकुड़ रहा था.

सुमेर ने मुझे पेट के बल लिटा दिया, मेरे चिकने कूल्हों को चूमने लगा.
सुमेर अपना खड़ा लंड मेरे प्यार के छेद में डालने की कोशिश कर रहा था.

मैंने गांड ढीली की और दोनों कूल्हों को अपने हाथ से फैला दिया.
सुमेर को छेद दिख गया, वह अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा.
मुझे दर्द हो रहा था. मैंने मोमबती कई बार गांड में डाली थी, पर लंड तो लंड होता है.

सुमेर ने धीरे धीरे पूरा लंड डाल दिया और मेरे ऊपर लेटकर पूछा- दर्द हो रहा है?
मैंने शरारत से कहा- सुहागरात में थोड़ा दर्द तो होता ही है, ऐसा मैंने पढ़ा है.

ये सुनते ही सुमेर ने लंड मेरी गांड में ठांस दिया.
आह … की आवाज निकली और मैं आज लड़की से औरत बन गयी थी.
सुमेर काफी उत्तेजित था, वह मेरी गांड पूरी गति से मारने लगा.

मेरी गांड में दर्द और मजे की अद्भुत अनुभूति हो रही थी.
सुमेर 5 मिनट में झड़ गया, मेरी गांड उसके वीर्य से भर गयी. मुझे लगा जैसे गर्मी के बाद बरसात का पानी बरस गया हो.

सुमेर बाथरूम से लंड धोकर वापस आया, जल्दी झड़ जाने से वह शायद थोड़ा लज्जित था.
मैं भी पूरी तरह संतुष्ट नहीं हुआ था. मैंने भी अपनी गांड धोई.
सुमेर नंगा पलग पर लेटा था, मैं उसके पास आकर लेट गई और सुमेर के बालों में हाथ फेरने लगा.

सुमेर थोड़ा आश्वस्त हुआ और बोला- एक बार फिर से कोशिश करते हैं.
मैं सुमेर की छाती, नाभि चूमती हुई नीचे सरक आई और उसके मुरझाये लंड को चूसने लगी.
कुछ ही देर में सुमेर का लंड फिर खड़ा हो गया.

उसने अपने लंड पर तेल लगाया.
मैंने पीठ के बल लेटकर अपने पैर छाती की तरफ करके पकड़ लिए.
सुमेर ने अपना लंड मेरी गांड में डाला, मेरी एक चूची दबाने और दूसरी चूची चूसने लगा.

सुमेर धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगा, इस बार मुझे दर्द कम, मजा ज्यादा आ रहा था.
मैं मुस्कुरा रही थी.
काफी देर चोदने के बाद उसने स्पीड बढ़ा दी, उसका लंड और कड़ा हो गया था.

बीस मिनट बाद सुमेर झड़ गया, मैं भी अपना लंड बिना छुए ही झड़ गया.

क्या स्वर्गिक आनन्द मिला … उसको शब्दों में बयान नहीं कर सकता, सिर्फ गांड मरवाकर ही उसका अनुभव मिल सकता है.

हम दोनों अपने लंड गांड धोकर नंगे एक दूसरे की बाँहों में सो गए.
सुबह हम साथ में नहाने गए, सुमेर ने मुझे दीवार पकड़कर झुककर खड़ा किया और मेरी गांड मारी.

सुमेर ने मुझे स्कर्ट ब्लाउज दिया. मैंने पहनकर मेकअप किया.
मैं मन से लड़की हो गयी.

हमारे कॉटेज के पीछे तालाब था, वहाँ काफी पेड़ थे. दूर दूर बेंच बिछी थीं.
हम दोनों वहाँ घूमने गए.

कोई पहचान नहीं पाया कि मैं लड़का हूँ. दूर बेंच पर एक और जोड़ा बैठा था. हम एक बेंच पर बैठे और प्राकृतिक दृश्य का आनन्द लेने लगे.
तभी मुझे पेशाब आयी, मैंने सुमेर से कहा- चलो कमरे में चलते हैं.
सुमेर बोला- यहीं कर लो.

मैं एक पेड़ के पास खड़ी हो गयी, स्कर्ट ऊपर किया और खड़ी होकर मूतने लगी.
दूरी पर बैठे जोड़े ने मुझे देख लिया. लड़का लड़की से बोला- देखो उस लड़की ने शायद शर्त रखी है और खड़े होकर मूत रही है. क्या तुम ऐसा कर सकती हो?

लड़की बोली- हां कर सकती हूँ, पर मेरे मूतते समय सीटी की आवाज आती है. क्या तुम कर सकते हो?
उसके बाद से जब भी मैं लड़की बनकर बाहर गयी, टॉयलेट के लिए वापस कमरे में आयी. मेरी लड़कियों के टॉयलेट में घुसने की कभी हिम्मत नहीं हुई.

कमरे में आकर सुमेर बोला- क्या तुम मेरा लंड चूस सकती हो?
मैं तुरंत घुटनों पर खड़ी हो गयी. घुटनों के नीचे मैंने तकिया रखा.
सुमेर पैंट उतारकर खड़ा हो गया.

मैं लंड चूसने लगी.
मेरे लंड चूसने का यह पहला अनुभव था, मजा आ रहा था.
सुमेर भी पहली बार लंड चुसवा रहा था, वह सी सी आ आ की आवाज निकाल रहा था.

सुमेर का लंड खड़ा हो गया. वो कमर हिलाने लगा … मैं गले तक लंड अन्दर ले रही थी.
कुछ देर बाद सुमेर ने मेरा सर पकड़ा और गले तक लंड डालकर झड़ गया. मैं अपने पति का सारा वीर्य पी गयी.

दोनों को बहुत मजा आया.
उसके बाद से मैंने बहुत बार उसका वीर्य पिया.
वीर्य में काफी विटामिन, प्रोटीन होते हैं, इससे मेरा चेहरा और निखर गया.

रात को फोरप्ले के बाद सुमेर ने मुझे घोड़ी बनकर पलंग के किनारे खड़ा कर दिया.
सुमेर जमीन पर खड़ा हो गया.

उसने लंड पर तेल लगाकर मेरी कमर पकड़ ली और मेरी गांड मारने लगा. उसके दमदार झटकों से मैं हिल रही थी, मुझे मजा आ रहा था.
मेरे चूचे पैंडुलम की तरह डोल रहे थे.
चोदते चोदते सुमेर मेरे कूल्हे पर हल्के हल्के से चांटे मारने लगा. चांटे से मेरा मजा और बढ़ गया.

सुमेर रूककर मेरे चूचे भी दबा रहा था, उसने मेरी गांड वीर्य से भर दी.
मैं अपना लंड बिना छुए ही दो बार झड़ गयी थी.

इन दस दिनों में हमने बहुत से आसनों में यौन आनन्द लिया. कुछ वीडियो देखकर सीखा, कुछ हमने अपनी कल्पना से किया.
मेरे चूचे चूसने और दबाये जाने से थोड़े और बढ़ गए.

हमने 69 पोजीशन में एक दूसरे का लंड भी चूसा. मुझे लंड चुसवाने से ज्यादा चूसने में ज्यादा मजा आता है.

हर बार लंड चूसने से पहले और गांड मारने के बाद सुमेर अपना लंड साबुन से धोता, जिससे लंड चूसते समय लंड साफ़ रहे और लंड में दुर्घन्ध न आए.

मैं अपनी गांड यौन से पहले पिचकारी से पानी डालकर साफ़ कर लेती.
दस दिन बाद हम दोनों घर वापिस आए, सुमेर के चेहरे पर ख़ुशी देखकर सुमेर के माता पिता बहुत खुश हुए.

मैं और सुमेर दिल लगाकर दुकान में काम करने लगे.

रात को जब मैं और सुमेर बेडरूम में होते, मैं लड़कियों के कपड़े पहनकर कमल से कोमल बन जाती.

मगर हमारे लिए लड़कियों के कपड़े धोना सुखाना समस्या थी. या तो उन्हें मैं रात में कमरे में ही सुखाती या यूं ही रख लेती कि बाद में धो कर सुखा लूँगी.

जब सुमेर के माता पिता शहर से बाहर जाते, तब हम लड़कियों के कपड़े धोते.

हमने बहुत से कपड़े खरीद लिए थे.

घर में सुमेर माता पिता की नजर बचाकर मौका मिलते ही मेरे कूल्हे, चूचे दबा देता.

सुमेर के पिताजी ने एक बार ऐसा करते देख लिया था.
उसके पिताजी को शक था, हम दोनों का प्यार का रिश्ता है. उस दिन उनके शक की पुष्टि हो गयी.

पिताजी ने हमें कुछ नहीं कहा. उनको शायद समलैंगिक संबंधों की जानकारी थी.

मुझे खाना बनाने का शौक है. मैं सुमेर की माताजी की रोज खाना बनाने में शुरू से मदद करता हूँ.

एक बार सुमेर की माताजी ने सुमेर के पिताजी से कहा- हमें सुमेर की शादी की फिर से कोशिश करनी चाहिए.

सुमेर के पिता ने मेरे सामने ही कहा- बहु तुमको घर के काम में मदद करने, सुमेर का ख्याल रखने के लिए चाहिए. वह तो कमल कर देता है.

तब हमें पता चला कि सुमेर के पिता को मेरे और सुमेर के पति पत्नी के संबंधों के बारे में पता है.

मैं और सुमेर गे वेब साइट पर गे लोगों की समस्या के बारे में पढ़ते हैं.
हमारी शादी के एक साल बाद हमने गे लोगों की मदद करने के लिए गे क्लब खोला.

हम अपने गुप्त गे क्लब की जगह सिर्फ चुनिंदा लोगों को ले जाते, जिनको यौन क्रीड़ा के लिए जगह नहीं होती या कोई जोड़ी जब यौन में एक दूसरे को संतुष्ट कर सकते है कि नहीं, यह यौन करके देखना चाहते हों.

क्लब में हम गे लोगों को सुरक्षित यौन, बिना दर्द के गांड मरवाने की कला सिखाते. वो लोग मेरे सामने गांड मारते/मरवाते और मैं उनको गाइड करता.

गे चुदाई कहानी मज़ेदार गांड चुदाई की

बाकी सदस्य कोई रिज़ॉर्ट में मिलते, एक दूसरे से परिचित होते. अपने अनुभव बांटते. नई जोड़ी बनाते.
हमारी कोशिश रहती है कि गे टॉप बॉटम को जोड़ी जिंदगी भर टिकी रहे.

कुछ लोग शादी-शुदा हैं, जो उनको बीवी से नहीं मिला, उसकी तलाश में आते.
जिनकी बीवी उनका लंड नहीं चूसती, वह गे साथी इसलिए बनाते कि एक दूसरे का लंड चूसकर आपस में आनन्द ले सकें.

मेरी और सुमेर की शादी के 6 साल हो गए हैं, हम दोनों खुश हैं.
सुमेर के पिता ने अब दुकान हम दोनों को चलाने को कहा है और वह रिटायर हो गए हैं.
माता पिता को घूमने का शौक था मगर दुकान की व्यस्तता के कारण वो अपना शौक पूरा नहीं कर सके थे.

अब सुमेर के माता पिता अपना शौक पूरा कर रहे हैं.
वो दोनों बहुत समय घर से दूर रहते हैं. उस समय मैं लड़कियों के कपड़े में पूरे घर में घूमती हूँ.

गर्मियों के दिनों में मैं बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ झीना गाउन पहनती, सुमेर तो नंगा घूमना पसंद करता है.
दूसरे सदस्य किस तरह से अपनी समलैंगिक जिंदगी बिता रहे थे, वो गे सेक्स कहानी के अगले भाग में पढ़ें.

आपको यह कहानी कैसी लगी, लिखें. [email protected]

Comments