Gay sex story Hindi – भैया के साथ मज़ा

Gay sex story Hindi – भैया के साथ मज़ा

मेरा नाम अमित है और मै १७ साल का एक युवक हूँ .मेरे भाई का नाम अंकुश है और उसकी उमर क़रीब १६ साल है. अंकुश मुझसे ६ साल बड़ा है. हम लोग एक मिडल-कलास फमिली है और एक छोटे से फ्लैट मे मुंबई मे रहते हैं.

हमारा घर मे एक छोटा सा हाल, डिनिंग रूम, दो बेडरूम और एक किचन है .बाथरूम एक ही था और उसको सभी लोग इस्तेमाल करते थे. हमारे पिताजी और माँ दोनो नौकरी करते हैं . अंकुश मुझको अमित कह कर पुकारता है और मै उसे अंकुश कहा कर पुकारता हूँ.

शुरू शुरू मे मुझे सेक्स के बारे कुछ नही मालूम था क्योंकि मै हाई स्कूल मे पढ़ता था और हमारे बिल्डिंग मे भी मेरी उमर का कोई लड़का नही था. इसलिए मैने अभी तक सेक्स का मज़ा नही लिया था और ना ही मैने अब तक कोई नंगा लड़का देखा था. हाँ मै कभी कभी पॉर्न मैगजीन मे नंगी तसबीर देख लिया करता था. जब मै चौदह साल का हुआ तो मुझे लड़कों की तरफ़ और सेक्स के लिए इंटेरेस्ट होना शुरू हुआ. मेरे नज़रों के आसपास अगर कोई लड़का था तो वो अंकुश ही था. अंकुश की लंबाई क़रीब क़रीब मेरी  तरह ही थी , उनका रंग बहुत गोरा था और उनका चेहरा और बोडी स्ट्रक्चर हिंदी सिनेमा के सलमान खान जैसा था.

मुझे अभी तक याद है की मैने अपना पहला मुठ अंकुश के लिए ही मारा था. एक सन्डे सुबह सुबह जैसे ही अंकुश बाथरूम से निकला मै बाथरूम मे घुस गया. मैने बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलना शुरू किया. मुझे जोरो की पिशाब लगी था. पिशाब करने के बाद मै अपने लंड से खेलने लगा. एका एक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे अंकुश के उतरे हुए कपड़े पर पड़ी. वहां पर अंकुश अपनी पेंट उतार कर छोड़ गया था.जैसे ही मैने अंकुश की पेंट उठाई तो देखा कि पेंट के नीचे अंकुश का अंडरवीअर पडा हुआ था. जैसे ही मैने अंकुश का काले रंग का अंडरवीअर उठाया तो मेरा लंड अपने आप खडा होने लगा.
ओह भगवान अंकुश के अन्दर वाले कपड़े चूमने से ही कितना मज़ा आ रहा है. यह वही अंडरवीअर हैं जो की कुछ देर पहले अंकुश के लंड से लिपटा था. यह सोच सोच करके मै हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था. मै सोच नही पा रहा था कि मै अंकुश के अंडरवीअर को ले कर क्या करूँ. मैने अंकुश के अंडरवीअर को ले कर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नही क्या क्या किया. मैने उनके कपड़ों को अपने लंड पर मला. अंडरवीअर को अपने छाती पर रखा. मैने अपने खड़े लंड के ऊपर अंकुश की अंडरवीअर को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था.


फिर बाद मे मैंने अंकुश की पेंट को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया. फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर अंडरवीअर को पेंट के ऊपरी भाग मे फँसा दिया. अब ऐसा लग रहा था की अंकुश बाथरूम मे दीवार के सहारे खड़ा है और मुझे अपनी अंडरवीअर दिखा रहा है .मै झट जा कर अंकुश की पेंट से चिपक गया और उसकी अंडरवीअर को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा कि मैं अंकुश का लंड चूस रहा हूँ. मै अपना लंड अंकुश के अंडरवीअर पर रगड़ने लगा और सोचने लगा कि मै अंकुश को चोद रहा हूँ. मै इतना गरम हो गया था की मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मै झड़ गया. मेरे लंड ने पहली बार अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से अंकुश की पेंट और अंडरवीअर भीग गया था. मुझे पता नही कि मेरे लंड ने कितना वीर्य निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो  अंकुश के नाम पर निकला था.

मेरा पहली पहली बार झड़ना इतना तेज़ था कि मेरे पैरों ने जवाब दे दिया और मै पैरों पर ख़ड़ा नही हो पा रहा था और मै चुप चाप बाथरूम के फ़र्श पर बैठ गया. थोड़ी देर के बाद मुझे होश आया और मै उठ कर नहाने लगा. शोवर के नीचे नहा कर मुझे कुछ ताज़गी महसूस हुई और मै फ़्रेश हो गया. नहाने बाद मैने दीवार से अंकुश की पेंट और अंडरवीअर उतारा और उसमे से अपना वीर्य धो कर साफ़ किया और नीचे रख दिया. उस दिन के बाद से मुठ मारने का यह तरीक़ा मेरा सबसे फ़ेवरेट हो गया. हाँ, मुझे इस तरह से मुठ मारने का मौक़ा सिर्फ़ इतवार को ही मिलता था. क्योंकि, इतवार के दिन ही मै अंकुश के नहाने के बाद नहाता था. इतवार के दिन चुपचाप अपने बिस्तर पर पड़ा देखा करता था कि कब अंकुश बाथरूम मे घुसे .अंकुश के बाथरूम मे घुसते ही मै उठ जाया करता था और जब अंकुश बाथरूम से निकलता तो मै बाथरूम मे घुस जाया करता था.

मेरी मां और पिताजी सुबह सुबह उठ जाया करते थे .जब मै उठता था तो मां रसोई के नाश्ता बनाती होती और पिताजी बाहर बाल्कोनी मे बैठ कर अख़बार पढते होते या बाज़ार गये होते कुछ ना कुछ समान ख़रीदने. इतवार को छोड़ कर मै जब भी मुठ मारता तो तब यही सोचता कि मै अपना लंड अंकुश की गांड मे पेल रहा हूँ. शुरू शुरू मे मै यह सोचता था की अंकुश जब नंगा होगा तो कैसा दिखेगा? फिर मै यह सोचने लगा की अंकुश की गांड मारने मे कैसा लगेगा. मै कभी कभी सपने ने अंकुश को नंगा करके चोदता था और जब मेरी आँख खुलती तो मेरा शॉर्ट भीगा हुआ होता था. मैने कभी भी अपनी सोच और अपने  सपने के बारे मे किसी को भी नही बताया था और न ही अंकुश को भी इसके बारे मे जानने दिया.

मै अपनी स्कूल की पढाई ख़तम करके कालेज जाने लगा. कॉलेज में मेरे कुछ बॉयफ्रेंड भी बन गए. उन बॉयफ्रेंड मे से मैने दो चार के साथ सेक्स का मज़ा भी लिया. मै जब किसी बॉयफ्रेंड के साथ चुदाई करता तो मै उसको अंकुश के साथ कम्पेयर करता और मुझे कोई भी बॉयफ्रेंड अंकुश के बराबर नही लगता . मै बार बार यह कोशिश करता था मेरा दिमाग़ अंकुश पर से हट जाए, लेकिन मेरा दिमाग़ घूम फिर कर अंकुश पर ही आ जाता. मै हमेशा 24 घंटे अंकुश के बारे मे और उसको चोदने के बारे मे ही सोचता रहता. मै जब भी घर पर होता तो अंकुश तो ही देखता रहता, लेकिन इसकी जानकारी अंकुश की नही थी.अंकुश जब भी अपने कपड़े बदलता या मेरे साथ काम मे हाथ बंटाता तो मै चुपके चुपके उसे देखा करता था और कभी कभी मुझे उनकी गांड की दरार भी देखने को मिल जाती. अंकुश के साथ अपने छोटे से घर मे रहने से मुझे कभी कभी बहुत फ़ायदा हुआ करता था. कभी मेरा हाथ उनके शरीर से टकरा जाता था. मै अंकुश के दो भरे भरे निप्पलों और गोल गोल चूतड़ों को छूने के लिए मरा जा रहा था.
मेरा सबसे अच्छा पास टाइम था अपने बालकोनी मे खड़े हो

कर सड़क पर देखना और जब अंकुश पास होता तो धीरे धीरे उसकी गांड को छूना. हमारे घर की बाल्कोनी कुछ ऐसी था कि उसकी लम्बाई घर के सामने गली के बराबर मे थी और उसकी संकरी सी चौड़ाई के सहारे खड़े हो कर हम सड़क देख सकते थे. मै जब भी बालकोनी पर खड़े होकर सड़क को देखता तो अपने हाथों को अपने सीने पर मोड़ कर बालकोनी की रेल्लिंग के सहारे ख़ड़ा रहता था. कभी कभी अंकुश आता तो मै थोड़ा हट कर अंकुश के लिए जगह बना देता और अंकुश आकर अपने बगल खड़ा हो जाता. मै ऐसे

घूम कर ख़ड़ा होता कि अंकुश को बिलकुल सट कर खड़ा होना पड़ता. अंकुश का सीना मेरे सीने से सट जाता था. मेरे हाथों की उंगलियाँ, जो की बाल्कोनी के रेल्लिंग के सहारे रहती वे अंकुश के निपलों से छु जाता था. मै अपने उंगलियों को धीरे धीरे अंकुश की निपलों पर हल्के हल्के चलाता था .अंकुश को यह बात नही मालूम थी.मै उंगलियों से अंकुश की निप्पल को छू कर देखा कि उसकी निप्पल कितना नरम और मुआयम है लेकिन फिर भी तनी तनी रहा करती  हैं .कभी कभी मै अंकुश के चूतड़ों को भी धीरे धीरे अपने हाथों से छूता था. मै हमेशा ही अंकुश के सेक्सी शरीर को इसी तरह से छू्ता था.

मै समझता था की अंकुश मेरे हाथों और मेरे इरादो से अनजान है. उसे इस बात का पता भी नही था कि उसका भाई  उनके नंगे शरीर को चाहता है और उसके शरीर से खेलना चाहता है लेकिन मै ग़लत था. एक अंकुश ने मुझे पकड़ लिया. उस दिन अंकुश किचन मे जा कर अपने कपडे  बदल रहा था. हाल और किचन के बीच का पर्दा थोड़ा खुला हुआ था. अंकुश दूसरी तरफ़ देख रहा था और अपना कुर्ता उतार रहा था. रोज़ के तरह मै टी वी देख रहा था और अंकुश को भी कनखियों से देख रहा था. अंकुश ने तब एकाएक सामने वाले दीवार पर टंगे शीशे को देखा और मुझे आँखे फ़िरा फ़िरा कर घूरते हुए पाया. अंकुश ने देखा कि मै उसके निपलों और गांड को घूर रहा हूँ. फिर एकाएक मेरे और अंकुश की आँखे मिरर मे टकरा गए मै शर्मा गया और अपने आँखे टी वी तरफ़ कर लिया. मेरा दिल धड़क रहा था.

मै समझ गया कि अंकुश जान गया है कि मै उसकी गांड को घूर रहा था. अब अंकुश क्या करेगा?क्या अंकुश मां और पिताजी को बता देगा?क्या अंकुश मुझसे नाराज़ होगा?इसी तरह से हज़ारों प्रश्न मेरे दिमाग़ मे घूम रहे थे. मै अंकुश की तरफ़ फिर से देखने का साहस जुटा नही पाया. उस दिन सारा दिन और उसके बाद 2-3 दिनों तक मै अंकुश से दूर रहा, उसकी तरफ़ नही देखा. इन 2-3 दिनों मे कुछ नही हुआ. मै ख़ुश हो गया और अंकुश को फिर से घूरना चालू कर दिया. अंकुश ने मुझे 2-3 बार फिर घूरते हुए पकड़ लिया, लेकिन फिर भी कुछ नही बोला . मै समझ गया कि अंकुश को मालूम हो चुका है मै क्या चाहता हूँ ।ख़ैर जब तक अंकुश को कोई एतराज़ नही तो मुझे क्या लेना देना और मै मज़े से अंकुश को घूरने लगा.

एक दिन मै और अंकुश अपने घर के बालकोनी मे पहले जैसे खड़े थे. अंकुश मेरे हाथों से सट कर खड़ा था और मै अपने अँगुलियों को अंकुश के निपलों पर हल्के हल्के चला रहा था. मुझे लगा कि अंकुश को शायद यह बात नही मालूम कि मै उसके निपलों पर अपनी अँगुलियों को चला रहा हूँ. मुझे इस लिए लगा क्योंकि अंकुश मुझसे फिर भी सट कर खड़ा था. लेकिन मै यह तो समझ रहा था क्योंकि अंकुश ने पहले भी नही टोका था, तो अब भी कुछ नही बोलेंगा  और मै आराम से अंकुश के निपलों को छू सकता हूँ. हम लोग कालेज और स्पोर्ट्स के बारे मे बाते कर रहे थे. हमारी बालकोनी के सामने एक गली थी तो हमलोगों की बालकोनी मे कुछ अंधेरा था.बाते करते करते अंकुश ने मेरे अँगुलियों को, जो उसके निप्पलों पर घूम रही थीं , अपने हाथों से पकड़कर अपने निप्पलों से हटा दिया. अंकुश को अपने निप्पलों पर मेरी  उंगली का एहसास हो गया था .

उसने थोड़ी देर के लिए बात करना बंद कर दिया और उसका शरीर कुछ अकड़ गया लेकिन, अंकुश अपने जगह से हिला नही और मेरे हाथो से सट कर खड़ा रहा . अंकुश मुझे से कुछ नही बोला तो मेरी  हिम्मत बढ गई और मैने अपना पूरा का पूरा पंजा अंकुश की एक मुलायम और गोल निप्पल पर रख दिया. मै बहुत डर रहा था. पता नही अंकुश क्या बोलेगा ? मेरा पूरा का पूरा शरीर कांप रहा था. लेकिन अंकुश कुछ नही बोला. अंकुश ने सिर्फ़ एक बार मुझे देखा और फिर सड़क पर देखने लगा .

मै भी अंकुश की तरफ़ डर के मारे नही देख रहा था. मै भी सड़क पर देख रहा था और अपने हाथ से अंकुश की एक निप्पल को धीरे धीरे सहला रहा था. मै पहले धीरे धीरे अंकुश की एक निप्पल को सहला रहा था और फिर थोड़ी देर के बाद अंकुश के मुलायम  लंड को अपने हाथ से ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा.  थोड़ी देर बाद मुझे अंकुश के कुर्ता और लोअर के उभार से लगा कि मेरे निप्पल मसलने से अंकुश गरमा गया है. अंकुश का कुर्ता और लोअर का कपड़ा बहुत ही महीन और मुलायम था और उनके ऊपर से अंकुश के निपल और लंड छूने से मुझे जैसे स्वर्ग मिल गया था. किसी जवान लड़के के लंड को छूने का मेरा यह पहला अवसर था.

मुझे पता ही नही चला कि मै कब तक अंकुश के लंड और निपलों को मसलता रहा. और अंकुश ने भी मुझे एक बार के लिए मना नही किया. अंकुश चुपचाप खड़ा हो कर मुझसे अपना लंड मसलवाता रहा . अंकुश का लंड मसलते मसलते मेरा लंड धीरे धीरे ख़ड़ा होने लगा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था लेकिन एकाएक मां की आवाज़ सुनाई दी. मां की आवाज़ सुनते ही अंकुश ने धीरे से मेरा हाथ अपने लंड से हटा दिया और मां के पास चला गया. उस रात मै सो नही पाया, मै सारी रात अंकुश के लंड और निप्पलों  के बारे मे सोचता रहा.
दूसरे दिन शाम को मै रोज़ की तरह अपने बालकोनी मे खड़ा था. थोड़ी देर के बाद अंकुश बालकोनी मे आया और मेरे बगल मे खड़ा हो गया. मै 2-3 मिनट तक चुपचाप ख़ड़ा अंकुश की तरफ़ देखता रहा. अंकुश ने मेरे तरफ़ देखा . मै धीरे से मुस्कुरा दिया, लेकिन अंकुश नही मुस्कुराया  और चुपचाप सड़क पर देखने लगा .उसके निप्पल कल की तरह मेरे हाथों से नही छू रहा था. मै समझ गया कि अंकुश आज मेरे से सट कर खड़ा होने से कुछ शर्मा रहा है.अबतक अंकुश अनजाने मे मुझसे सट कर खड़ा होता था. लेकिन आज जान बूझ कर मुझसे सट कर खड़ा होने से वो शर्मा रहा है क्योंकि आज अंकुश को मालूम था कि सट कर खड़ा होने से क्या होगा. जैसे ही अंकुश पास आ गया मैंने अपने हाथों से अंकुश को और पास खीच लिया. अब अंकुश का लंड मेरे हाथों को कल की तरह छू रहा था. मैने अपना हाथ अंकुश के लंड पर टिका दिया.

अंकुश के लंड को छूने के साथ ही मै मानो स्वर्ग पर पहुँच गया. मै अंकुश के लंड को पहले धीरे धीरे छुआ, फिर कस कस कर मसला. कल की तरह, आज भी अंकुश का कुर्ता और उसके नीचे लोअर बहुत महीन कपड़े का था, और उनमे से मुझे अंकुश का लंड तन कर खड़े होना मालूम चल रहा था. मै तब अपने एक उंगली और अंगूठे से अंकुश के लंड को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. मै जितने बार अंकुश के लंड को दबा रहा था, उतने बार अंकुश कसमसा रहा था और अंकुश का मुँह शरम के मारे लाल हो रहा था. तब अंकुश ने मुझसे धीरे से बोला, “धीरे दबा,”
मै तब धीरे धीरे करने लगा.

मै और अंकुश ऐसे ही फाल्तू बातें कर रहा थे और देखने वाले को यही दिखता कि मै और अंकुश कुछ गंभीर बातों पर बहस कर रहे थे. लेकिन असल मे मै अंकुश की चुचियों और लंड को अपने हाथों से कभी धीरे धीरे और कभी ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था. थोड़ी देर में मां ने अंकुश को बुला लिया और अंकुश चला गया. ऐसे ही 2-3 दिन तक चलता रहा. मै रोज़ अंकुश के सिर्फ़ एक निप्पल को मसल पाता था. लेकिन असल मे मै अंकुश को दोनो को अपने दोनो हाथों से पाकर कर मसलना चाहता था. लेकिन बालकोनी मे खड़े हो कर यह मुमकिन नही था. मै दो दिन तक इसके बारे मे सोचता रहा.
एक दिन शाम को मै हाल मे बैठ कर टी वी देख रहा था.
कुछ देर के बाद अंकुश काम ख़तम करके हाल मे आ कर बिस्तर पर बैठ गया. अंकुश ने थोड़ी देर तक टी वी देखी और फिर अख़बार उठा कर पढने लगा . अंकुश बिस्तर पर पालथा मार कर बैठा था और अख़बार अपने सामने उठा कर पढ रहा था. मेरा पैर अंकुश को छू रहा था. मैने अपना पैर और थोड़ा सा आगे खिसका दिया और और अब मेरा पैर अंकुश की जांघो को छू रहा था. मै अंकुश की पीठ को देख रहा था. अंकुश ने आज एक काले रंग का झीना टी शर्ट पहन था और मुझे अंकुश का काले रंग का अंडरवीअर भी दिख रहा था. मैने धीरे से अपना एक हाथ अंकुश की पीठ पर रखा और टी शर्ट के उपर से अंकुश की पीठ पर चलाने लगा. जैसे मेरा हाथ अंकुश कि पीठ को छुआ अंकुश का शरीर अकड़ गया. अंकुश ने तब दबी जवान से मुझसे कहा, “यह तुम क्या कर रहा हो? तुम पागल तो नही हो गये? मां अभी हम दोनो तो किचन से देख लेगी”
“मा कैसे देख लेगी?” मैने अंकुश से कहा.
“क्या मतलब है तुम्हारा? अंकुश ने पूछा.
“मेरा मतलब यह है कि तुम्हारे सामने अख़बार खुली हुई है. अगर मां हमारी तरफ़ देखेगी तो उनको अख़बार दिखलाई देगी.” मैने अंकुश से धीरे से कहा.
फिर अंकुश चुप हो गया और अपने सामने अख़बार को फैला कर अख़बार पढने लगा . मैने भी चुपचाप अपना हाथ अंकुश के दाहिने बगल के ऊपर नीचे किया और फिर थोड़ा सा झुक कर अपना हाथ अंकुश के दाहिने निप्पल पर रख दिया. जैसे ही मैने अपना हाथ अंकुश के दाहिने निप्पल पर रखा अंकुश कांप गया .मै भी तब इत्मिनान से अंकुश के दाहिने वाली निप्पल अपने हाथ से मसलने लगा. थोड़ी देर दाहिना निप्पल मसलने के बाद मैने अपना दूसरा हाथ से अंकुश का बाईं तरफ़ वाली निप्पल पकड़ लिया और दोनो हाथों से अंकुश के दोनो निपलों को एक साथ मसलने लगा. अंकुश कुछ नही बोला और वो चुप चाप अपने सामने अख़बार फैलाए अख़बार पढ्ता रहा . मै अंकुश की टी शर्ट को पीछे से उठाने लगा. अंकुश की टी शर्ट अंकुश के चूतड़ों के नीचे दबी था और इसलिए वो ऊपर नही उठ रही थी. मैने ज़ोर लगाया लेकिन कोई फायदा नही हुआ.

अंकुश को मेरे दिमाग़ की बात पता चल गई.अंकुश ने झुक कर के अपना चूतड़ को उठा दिया और मैने उनका टी शर्ट धीरे से उठा दिया. अब मै फिर से अंकुश के पीठ पर अपना हाथ ऊपर नीचे घुमाना शुरू कर दिया और फिर अपना हाथ टी शर्ट के अंदर कर दिया. वो! क्या चिकनी पीठ थी अंकुश की !मै धीरे धीरे अंकुश की पीठ पर से टी शर्ट पूरा का पूरा उठा दिया और अंकुश की पीठ नंगी कर दिया. अब अपने हाथ को उसके अंडरवीअर के ऊपर घूमना शुरू किया. जैसे ही मैने अंडरवीअर को छुआ अंकुश कांपने लगा. फिर मै धीरे से अपने हाथ को अंडरवीअर के सहारे सहारे बगल के नीचे से आगे की तरफ़ बढा दिया. फिर मैने अंकुश के लंड को अपने हाथ मे पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा. अंकुश का लंड इस समय तन था और मुझे उसे अपने हाथ से दबाने मे मज़ा आ रहा था.

मां अभी भी किचन मे खाना पका रही थी.हम लोगों को मां साफ़ साफ़ किचन मे काम करते दिखलाई दे रही थी. मै यह सोच सोच कर खुश हो रहा कि अंकुश कैसे मुझे अपनी चुचियों और लंड से खेलने दे रहा है और वो भी तब जब मां घर मे मौजूद हैं। मै तब अपना एक हाथ फिर से अंकुश के पीठ पर अंडरवीअर तक ले आया और धीरे धीरे अंकुश कि अंडरवीअर में डालने लगा. अंकुश का अंडरवीअर बहुत टाईट था और इसलिए अंडरवीअर में हाथ आसानी से नही जा रहा था.अंकुश अपना सर घुमा कर मुझसे कुछ कहने वाला था कि मां किचन मे से हाल मे आ गई .

मैने जल्दी से अपना हाथ खींच कर अंकुश की टी शर्ट नीचे कर दिया और हाथ से टी शर्ट को ठीक कर दिया. मां हाल मे आ कर कुछ ले रही थी और अंकुश से बातें कर रही थी. अंकुश भी बिना सर उठाए अपनी नज़र अख़बार पर रखते हुए मां से बाते कर रहा था. मां को हमारे कारनामो का पता नही चला और फिर से किचन मे चली गयी.
मां कमरे मे फिर से आके बिस्तर पर बैठ कर अंकुश से बातें करने लगी. मै उठ कर टोइलेट कि तरफ़ चल दिया, क्योंकि मेरा लंड बहुत गरम हो चुका था और मुझे उसे ठंडा करना था.

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