Hindi Gay sex story – अमरुद के बाग़ में गांड मरवाई

अमरुद के बाग़ में गांड मरवाई

लेखक : सनी

‘कैसे बन गया में चुद्दकड़ गांडू’ और मेरी बाकी कहानियों को प्यार देने के लिए शुक्रिया !

अंतर्वासना पर मैं कई कहानियाँ भेज चुका हूँ और इसके लिए मैं गुरु जी का शुक्रिया करना चाहता हूँ जिनकी कृपा से मेरी चुदाई सबके सामने आई और बाकी मेरे पाठकों ने मुझे वेबकैम और याहू पर देख यह बात जान ली है कि मैं कोई कहानी मनघड़ंत नहीं लिखता। एक बार फिर से सभी पाठकों को प्रणाम करते हुए मैं अपनी नवीनतम चुदाई लेकर सबकी कचहरी में फिर से हाज़िर हूँ।

अन्तर्वासना के ज़रिये मुझे दो मस्त लौड़े भी मिले हैं जोकि मैं इस चुदाई के बाद लिखूंगा। उसके लिए आपको इंतज़ार करना पड़ेगा। उससे पहले यह मस्त चुदाई दो दिन पहले करवाई।

मेरे घर के रास्ते में एक अमरुद का बढ़िया सा बाग़ पड़ता है, इस बाग़ में मैं दो बन्दों के साथ मौज मस्ती भी कर चुका हूँ, कैसी मस्ती यह आप जानते ही हो, तब सीज़न नहीं था और बाग़ खाली रहता था, आजकल भारी फसल है, मैं घर आ रहा था कि पके अमरुद देखकर सोचा कि चलो तोड़कर लाता हूँ ! दुपहर में कौन होगा, यह सोच मैंने बाग़ में प्रवेश किया, काफी आगे चला गया और एक बढ़िया सा अमरुद तोड़ा और खाने लगा। चार पांच पके अमरुद अपने लिफाफे में ड़ाल लिए।

तभी जोर से आवाज़ आई- अभी कौन है? क्या रहा है बाग़ में साले?

उसने जोर से सीटी बजाई, सोचा अब क्या करूँ? यह अकेला नहीं होगा !

लिफाफा वही छुपा दिया और अपनी पतलून खोल पौटी करने की तरह उसकी ओर पीठ करके बैठ गया। सब जानते हैं, अब तो वेबकैम पर मैं अपने हर चाहने वाले को दिखा भी चुका हूँ, गोरी गोल-मोल गद्दे जैसे गांड है मेरी !

वो पीछे आकर हल्की सी सोटी(डण्डा) मेरी गांड पे मारते हुए बोला- क्या कर रहा है यहाँ?

मैंने कहा- दिख नहीं रहा?

बोला- साले ! नीचे कुछ नहीं है ! पागल बना रहा है अपने बाप को ? उठ साला !प्लीज़ सच कह रहा हूँ ! जाने दो मुझे !

इतने में दूसरा भी वहीं अ गया, मैं वैसे ही बैठा था, उनकी नज़र मेरी गांड पर टिक गई।

दूसरा वाला तो लूंगी के ऊपर से अपना लौड़ा खुजालने लगा। मैं उठा, खुद ही पतलून हाथ से छोड़ दी, पतलून नीचे गिर गई, मैं उनकी ओर पीठ करके घोड़ी की तरहं नीचे झुका और पतलून उठाई।

दोनों बोले- क्या गांड है साले की ! पकड़ इसको पुलिस में देते हैं बहनचोद को !

उसने मेरी कलाई पकड़ी और बाग़ के अदंर वहां एक कमरा था, छोटी सी रसोई, एक पंखा लगा हुआ था, दो बिस्तर थे पास में ट्यूबवेल चल रहा था। उसने मुझे वहीं बिठा दिया और रस्सी लेने गया। मेरा दिमाग घूम सा गया, उसका एक साथी लूंगी उतार ट्यूबवेल के सामने बने चुबच्चे में कूद गया। उसके कपड़े उसके जिस्म से चिपक गए, उसका लौड़ा देख मेरी गांड में खुजली होने लगी, पानी पीने के लिए उठा।

बोला- बहनचोद भाग रहा है !

नहीं यार ! भागना कहाँ ? पानी पीने आ रहा हूँ मैं !

वो बार-बार कच्छे में हाथ डाल साबुन लगाता। मैं दूसरी ओर से गया, उसकी पीठ उस तरफ थी। मैंने पतलून उतार कर एक तरफ़ रख दी और शर्ट भी ! मेरी चेस्ट नहीं ब्रेस्ट है ! अब तो वेबकैम पर सब देख चुके हैं। यह सब अन्तर्वासना की बदौलत हुआ है। मैं उसके पीछे गया, उसकी कमर से हाथ डालते हुए उसके लौड़े को पकड़ लिया, बगल से हाथ डाल उसकी पीठ से अपना मम्मे रगड़ने लगा। वो मेरी ओर घूम गया, उसका खड़ा हो रहा था, मैंने उसको नीचे झुक मुँह में ले लिया। वो मेरे सर पे हाथ रख बालों में फेरने लगा।

उसकी आंखें बंद हो रही थी। दूसरा वाला सब देख रहा था। मैंने लौड़ा निकाल लिया और खुद भी उसके अंदर छलाँग लगा दी। पानी से मेरे मम्मे चमकने लगे।

साले क्या लड़की जैसा है तेरा बदन !

और किनारे पर बिठा लौड़े का रसपान करने लगा। उसको भी मैंने आंख मार दी, जुबान उसके लौड़े को देख होंठों पर फिरा दी, उसका भी काम कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था। वो उठकर आया और लूंगी खोल अंदर कूद गया। उसने कुछ भी नहीं पहना था। उसका लौड़ा बहुत भयंकर था, आधा लटक रहा था। दोनों को पास-पास ही चुबच्चे की दीवार पर बिठा खुद बीच में बैठकर चूसने लगा।

बोले- वाह यार ! वाह ! बहुत बढ़िया माल निकला ! तेरी गांड देख कर समझ गया था कि तू अमरुद नहीं लंडरुद तोड़ने आया था, तेरे जैसे बहुत गांडू इस बाग़ में गांड मरवाने के लिए मर्द लाते हैं, लेकिन हमें पैसे देते थे। आज पहली बार कोई लौड़ा चूस रहा है। हम लोग गरीब हैं, चूत मिल जाये वही बहुत है, चुसवाना दूर की बात है !

कोई बात नहीं, मैं मिल गया हूँ ना ! क्या बढ़िया से लौड़े हैं !

दोनों के पूरे तन चुके थे, पहली बार मुँह में डालने की वजह से दोनों मुँह में झड़ गए। कोई बात नहीं रे !

मैं किनारे पर लेट गया, दोनों के लौड़े हाथ में ले लिए और उनके सर को अपने मम्मों की ओर करते हुए एक-एक मम्मा दोनों ने पकड़ चूस लिया। इतने में उनके मैंने फिर खड़े कर लिए मुंह में लेकर पूरी तरह से खड़े कर लिए और काफी साबुन की झाग बना उनके लौड़ों पर लगा दी।

उनके कमरे में ले गया, मैंने गांड के नीचे तकिया रख टांगे खोल दी और एक को बीच में आने का इशारा कर दूसरे का मुँह में डाल लिया। अपने हाथ से लौड़ा छेद पर टिकाया दोनों ओर से ऊँगली डाल गांड खोल दी। लेकिन मैंने उसे वहीं रोक दिया। मटकता हुआ पतलून से कंडोम निकाले जो मैं रिज़र्व में अपने साथ रखता हूँ, छोटे-मोटे और साधारण नहीं, महंगे ! जिन्हें डाल कर पता भी न चलता कि डाला है या नहीं !

उसका लौड़ा फ़िर से अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया, उसने झटका दिया और उसका टोपा मेरी गांड में फंस गया।

मैंने कहा- निकालकर दुबारा डालो ! इस कंडोम में बहुत चिकनाहट है !

इस बार उसने पूरा लौड़ा धीरे-धीरे कर घुसा दिया। उसके बाद उसने ऐसे झटके मारे जिससे मेरा ढांचा हिलने लगा, हड्डी से हड्डी बजाने लगा बेरहम बन कर ! कुछ पल में मुझे आनन्द आने लगा। उधर एक का लौड़ा पहले से मुँह में घुसा हुआ था। उसका लौड़ा मैं लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। दूसरी तरफ मेरी गाण्ड बज़ रही थी और एक तरफ स्वादिष्ट लौड़ा मेरे मुँह में ! मेरे होंठों में सोने पर सुहागा हो रहा था। वहां पर अह उह और मार बेन्चोद दे मेरी आज फाड़ डाल इस कमीनी को हाय मेरा रजा रोज़ तुझ मरवाने आऊंगा इतना कस कर छोड़ रहा है तूँ साले असली मर्द है ! अहऽऽ ओहऽऽ मेरे आशिक !

जब मैं बोलता, उसका लौड़ा निकालना पड़ता !

उसने मेरे बालों को बुरी तरह से पकड़ लिया और जोर-जोर से मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। वो मुंह से बाहर नहीं आने दे रहा था, हलक में उतार देता, मैं खांसने लगता। उधर झटके पर झटका तेज़ होता गया और कुछ देर में उसने पिचकारी छोड़ दी। कंडोम उतार उसने गीला लौड़ा मुँह में डाल दिया और मैंने साफ़ कर दिया।

आजा मेरे राजा ! तेरी बारी है अब ! उस पर भी कंडोम लगा दिया और उसके सामने घोड़ी बन गया। उसने पीछे आकर डाल दिया- अह उह उह अह मार साले मार मेरी ऐसा जुगाड़ कभी नहीं मिलेगा और ना मिला होगा !

जुगाड़ हूँ मैं पक्का जुगाड़ हूँ ! मैंने कहा- अपने नीचे डाल ले ! मुझे अच्छा लगता है किसी मर्द के नीचे लेट कर उसके बदन से चिपक कर लौडे का स्वाद लेता हूँ !

उसने सीधा लिटा दिया और टाँगे चौड़ी करवा कर डाल दिया अन्दर ! और मैं अपना मम्मा उसके मुँह के पास लाया तो वो मुँह में डाल निपल को जुबान से छेड़ता तो मेरी मस्ती का आलम न रहता। मैं चूतड उठा उठा मरवाने लगा- हाय, साले ! मेरी माँ चोद दे ! बहन चोद दे ! मेरी फाड़ डाल ! फाड़ डाल ! हाँ फाड़ ! फाड़ !

ऐसे बातें सुन उसका जोश बढ़ा और वो तेज़ तेज़ धक्के लगा, उसका काम भी तमाम हो गया, उसका भी निकाल साफ़ किया।

और कपड़े पहनते हुए कहा- आते-जाते गांड मरवाने आऊंगा !

दोस्तो, यह थी मेरी नवीनतम चुदाई !

सभी पाठकों की शिकायत थी की अगली चुदाई क्यूँ नहीं लिख रहा ! सो कैसी लगी बताना !

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