Hindi Gay sex story – सौतेले बाप और चाचा की चुदाई

मैं रामू 18 साल का तंदरुस्त जवान हूँ। हम लोग यू पी के एक गाँव मे रहते हैं। जब मैं 10 साल का था मेरे बापू का देहांत हो गया। और माँ ने ३५ साल के एक गरीब आदमी से दूसरी शादी कर ली । हम लोग खेती करके अपना दिन गुजारते थे। मैं ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं होने से माँ ने घर के पास एक छोटी इस किराने की दुकान खोल ली।जब मैं 15 साल का हुआ तो माँ का अचानक देहांत हो गया। अब घर मैं केवल मैं और मेरे सौतेले बापू रहते थे। घर का इकलौता बेटा होने से बापू मुझे बहुत प्यार करता था । यह हादसा करीब एक महीने पहले का है। मेरा बापू थोड़ा सांवला हैं और उसकी उमर 31 साल है। उसकी गांड काफी सेक्सी है । मैने कई बार उसको नहाते हुये नंगा देखा था।
माँ के देहांत के बाद हम बापू बेटे ही घर में रहते थे और अकेलापन महसूस करते थे। दुकान में रहने के कारण हम लोग खेती नहीं कर पाते थे इसलिये खेत तो हमने दूसरे को जुताई के लिये दे दिया। मैं सुबह 7 बजे से दोपहर 12:30 बजे दुकान में बैठता था और 12:30 से 03:00 बजे तक घर में रहता था और फिर 3 बजे दुकान खोल कर कभी 06:30 या 07:00 दुकान बंद कर घर चला जता था। जब मुझे दुकान का माल खरीदने शहर जाना पड़ता था तो बापू दुकान पर बैठता था।
एक दिन बापू ने दोपहर को खाना खाते समय मुझसे पूछा, रामू बेटे अगर तुमे ऐतराज़ ना हो तो क्या मैं अपने छोटे भाई को यहाँ बुला लूं, क्योंकि वो गाँव में अकेला रहता है और यहाँ आने से हमारा अकेलापन दूर हो जायेगा। मैने कहा, ” कोई बात नही बापू आप चाचा को यहाँ बूला लो।”

अगले हफ्ते चाचा हमारे घर पहुँच गया। वो करीब २० साल का था। वो भी सेक्सी और सांवला था और उनका बदन काफी मज़बूत था।
जाड़े का समय था इसलिये सुबह दुकान देर से खोलता था और शाम को जल्दी बंद कर देता था

घर पर बापू और चाचा दोनो कुरता और पजामा पहनते थे, और रात को सोते समय कुरता खोल देते थे और केवल पजामा और बनियान पहन कर सोते थे । मैं सोते समय केवल अंडरवियर और लुंगी पहन कर सोता था। एक दिन सुबह मेरी आँख खुली तो देखा चाचा मेरे कमरे में था और मेरी की कि तरफ़ आँखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था। मैने झट से आँखें बंद कर की ताकि वो समझे कि मैं अभी तक सो रहा हूँ। मैने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा होकर अंडरवियर से बाहर निकल गया था और लुंगी थोड़ी सरकी हुई थी इसलिये मेरा मोटा गोरा लंड करीब 8 इंच लंबा और काफी मोटा था उसे चाचा आँखें फाड़ फाड़ कर देख रहा था।
कुछ देर इसी तरह देखने के बाद वो कमरे से बाहर चला गया। तब मैं ने उठ कर मेरा मोटा लंड अंडरवियर के अंदर किया और लुंगी ठीक करके मूतने चला गया। नहा धो कर जब हम सब मिलकर नाश्ता कर रहे थे चाचा बार बार मेरे लुंगी की और देख रहा था। शायद वो इस ताक में था कि लंड के दर्शन हो जाए। जाड़े के दिनो में हम दुकान 12 बजे खोलते थे। इसलिये मैं बाहर आकर छत पर बैठ कर धूप का आनंद ले रहा था। बाहर एक छोटा सा पार्टीशन था जिसमें हम लोग पेशाब वगैरह करते थे।  थोड़ी देर बाद मैने देखा कि चाचा आया और पेशाब करने चला गया। उसने पार्टीशन में जाकर अपना कुरता कमर तक ऊंचा किया और इस तरह खड़ा था कि चाचा की गांड मुझे साफ़ दिखाई दे रही थी । चाचा का सिर नीचे था और मेरी नज़र उनकी गांड पर थी । पेशाब करने के बाद चाचा करीब 5-10 मिनट उसी तरह खडा रहा और अपने दाहिने हाथ से गांड को सहला रहा था। यह सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, और जब चाचा उठा तो मैने नज़र घुमा ली। मेरे पास से गुजरते हुए चाचा ने पूछा “क्या आज दुकान नहीं खोलनी हैं।”
मैने कहा, “बस चाचा 10 मिनट मे जाकर दुकान खोलता हूँ।”
और मैं दुकान खोलने चला गया।

शाम को दुकान से जब घर आया तो चाचा फिर मेरे सामने पेशाब करने चला गया और सुबह की तरह पेशाब करके अपने गांड को सहलाने लगा ।
थोड़ी देर बाद मैं बाहर घूमने निकल गया. बापू बोला “बेटा जल्दी आ जाना जाड़े का समय हैं।”
मैने कहा “ठीक है बापू । “और निकल गया।

रास्ते मैं मेरे दिमाग में केवल चाचा की गांड ही गांड घूम रही थी । मैं कभी कभी एक पौवा देसी शराब पिया करता था ,हलकी.. आदत नहीं थी .महीने दो महीने में एक आध बार पी लिया करता था। आज मेरे दिमाग में केवल गांड ही गांड घूम रही थी इसलिये मैंने देसी ठेके पर डेढ़ पौवा पी लिया और चुपचाप घर की ओर चल पड़ा । मेरे पीने के बारे में मेरा बापू जानता था इसलिये कुछ नहीं बोलता था। क्योंकि मैं पी कर चुप चाप सो जाता था। रात करीब 9 बजे हम सबने मिलकर खाना खया। खाना खाने के बाद बापू घर के काम में लग गया और मैं और चाचा खाट पर बैठ कर बातें कर रहे थे। थोड़ी देर बाद बापू भी आ गया और बातें करने लगा। चाचा ने कहा “चलो कमरे में चलते हैं.. वहीँ बातें करेंगे क्योंकि बाहर ठण्ड लग रही है।” इसलिये हम सब कमरे में आ गए । बापू ने चाचा और अपना बिस्तर ज़मीन पर लगाया और हम सब नीचे बैठ कर बातें करने लगे। बातों बातों में चाचा ने कहा, “रामू आज तू हमारे साथ ही सो जा,”
मैं चाचा और बापू के बीच सो गया. मेरे दाहिने तरफ़ बापू सो रहा था और बाएं तरफ़ चाचा ।
शराब के नशे के कारण पता नहीं चला मुझे कब नींद आ गई । करीब 1 बजे मुझे पेशाब लगा.मैने आँख खोली तो बगल से हाआ हूऊऊऊऊ आआआआआ की धीमी आवाज़ सुनाई दी. मैने महसूस किया कि यह तो बापू की फुसफुसहत थी इसलिये मैंने धीरे से बापू की ओर देखा. बापू को देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई । बापू अपनी  लुंगी को कमर तक ऊपर करके बाएं हाथ से लंड सहला रहा था जबकी दाहिने हाथ की अंगुलियाँ गांड के अंदर बाहर कर रही । इसी तरह करीब 10 मिनट बाद वो लुंगी नीचे कर के सो गया. शायद उसका वीर्य गिर गया होगा।

थोड़ी देर बाद मैं उठ कर पेशाब करने चला गया और पेशाब करके वापस आकर चाचा और बापू के बीच सो गया।
अब मेरी नज़र बार बार बापू पर थी और नींद नहीं आ रहा थी । इसलिये मैं चाचा की तरफ़ करवट लेकर सो गया। लेकिन फिर भी मुझे नींद नहीं आ रही थी , क्योंकि चाचा की ओर सोने के कारण अब मेरे दिमाग में चाचा की गांड नाच रही थी । मैं कशमकश में था और इसी तरह करीब एक घंटा बीत गया। अचानक मेरी नज़र चाचा के चूतड़ पर पड़ी. मैने देखा कि उनका लुंगी घुटनों से थोड़ा ऊपर उठी थी , अचानक मेरे शराबी दिमाग में शैतान जाग उठा. मैं उठा और तेल के शीशी ले आया और चाचा के पास मुंह करके खूब सारा तेल मेरे सुपाड़े पर और लंड के जड़ तक लगाया। फिर धीरे से चाचा की लुंगी उठा के ऊपर कर दिया। चाचा का मुंह दूसरी तरफ़ था इसलिये उनकी गांड के थोड़े दर्शन हो गए । अब मैने हिम्मत करके अपने लंड का सूपड़ा केवल चाचा की गांड के मुंह के पास रखा, मैने महसूस किया की चाचा आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड को मेरे लंड के पास कर रहा है।  मैं समझ गया कि शायद चाचा चुदने के मूड में हैं। इसलिये मैने भी अपने कमर का धक्का उनकी गांड पर डाला जिससे मेरा सूपड़ा चाचा की गांड में घुस गया। और उनके मुंह से हलकी चीख निकली “हय…रामू आहिस्ता डाल क्योंकि तेरा लंड काफी बड़ा और मोटा है.. धीरे धीरे करो, ”
कह कर चाचा उल्टा लेट गया और अपनी लुंगी कमर तक ऊंचा कर दिया, अब मैं चाचा के ऊपर चढ़ कर धीरे धीरे अपना लंड घुसा रहा था। जैसे जैसे लंड अंदर जाता था वो उह्हह्हह्हह्हहफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़  आआआआऐ की आवाजें निकालने लगा। मैं अपना लंड अंदर बाहर करने लगा
और जोर जोर से चाचा की गांड मार कर फाड़ने लगा और चाचा भी अपने चुत्तर उठा उठा कर मेरा साथ दे रहा था। करीब मैं 15-20 मिनट उनकी गांड पर अपना मोटा तगड़ा हथियार अंदर बाहर कर रहा था .इसी बीच मैने महसूस किया कि बापू हमारी इस क्रिया को लेटे लेटे देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था, जब मेरा भाई अपने भतीजे से चुदवा सकता है तो क्योंकि ना मैं भी गंगा में डुबकी लगा लूं , कब तक मैं अपने हाथों का इस्तेमाल करता रहूँगा ? आखिर यह मेरा सगा बेटा थोड़ी है, और उठ कर उसने अपना लुंगी खोल दिया और अपना लंड चाचा के मुंह पर रख कर लगाने लगा, पहले तो चाचा सकपका गया फिर समझ गया की उसका भाई भी प्यासा है और अपने सौतेले बेटे का लंड खाना चाहता है, फिर चाचा बापू की गांड में जीभ डालकर जीभ से चोदने लगा, इसी दरमियान चाचा जहर गया और कहने लगा” बस रामू बस अब सहा नहीं जाता हैं, ”
मैने कहा, “बस चाचा 5 मिनट और। ”
5 मिनट बाद मेरा सारा वीर्य चाचा की गांड में जा गिरा।

अब चाचा थक कर लेट गया, बापू ने कहा “चलो बिस्तर में चलते हैं वहीँ तुम मुझे चोदना।”

हम दोनो बिस्तर पर आ गए , मेरा लंड अभी सिकुड़ा हुआ था इसलिये बापू ने लंड को लेकर मुंह मे चूसना सुरु किया और मैं भी 69 की पोजीशन में उनकी गांड चाटने लगा। यह क्रिया करीब 10 मिनट करते रहे और मेरा लंड तन कर विशालकाय हो गया, अब मैने बापू की गांड के नीचे अपने तकिया लगाया और उनकी दोनो टांगों को मेरे कंधे पर रख कर लंड पेलने लगा. सूपड़ा जाते ही बोला ” कितना मोटा है रे तेरा लंड ..खूब मज़ा आयेगा”
और फिर मैं बापू को जोर जोर से चोद रहा था. वो भी मेरा खूब साथ दे रहा था। पूरे कमरे में पाच पाच की आवाज़ आ रही थी । हम करीब 1 घंटे कई कई स्टाइल में चोदते रहे .बापू को काफी मज़ा आया।

अब रोज मैं दोपहर को चाचा को चोदता था और बापू तो रात में मध्य रात्रि तक चोदता था।

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