Hindi Gay story – मेरी गाण्ड भी मारी और …-1

Hindi Gay story – मेरी गाण्ड भी मारी और …-1

प्रेषक : मंगू जी

सब Hindi Gay story lovers लोगों को मंगू जी का प्रणाम ! मैं अपनी कहानी बता रहा हूँ। मैंने अपनी अड़तालीस साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था।

मैं अपने काम के सिलसिले में अहमदाबाद गया था और वहाँ से लौटते वक्त की बात है, ट्रेन में बहुत भीड़ थी और मुझे ऊपर वाली सीट पर बैठने की जगह मिली। गुजरात छूटने पर ट्रेन में भीड़ कम हुई और मैं ऊपर ही लेट गया। न जाने कब वसई आया और ट्रेन में कुछ लोग चढ़े ! एक यू पी वाले भाई ऊपर आकर मेरे बाजू में बैठ गए। तब तक ठीक था। मैं निद्रा की अवस्था में था और उस व्यक्ति ने अपना हाथ का पंजा मेरी जांघ पर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लौड़े की तरफ बढ़ाया। रात का समय था, लोग पूरी तरह सो चुके थे और भीड़ भी कम हुई थी। मैं थोड़ा सा सिकुड़ गया तो उसने हाथ से इशारा किया कि कोई बात नहीं, पड़े रहो !

मैंने वैसा ही किया तो उसने सहलाना और तेज कर दिया। मैंने अपनी 48 साल की उम्र में ऐसा अनुभव नहीं किया था, क्या बताऊँ, अच्छा भी लग रहा था और थोड़ी हिचकिचाहट भी हुई। वह समझ गया कि क्या करना है। उसने मुस्कुराते हुए देखा और इशारे से कहा- पड़े रहो ! मज़ा आएगा !

और सही कहूँ तो वो था तो अच्छा अनुभव ! एक पुरुष मेरे लौड़े से इस तरह खेले, यह कोई मामूली उपलब्धि नहीं है। मैं मन ही मन में मचलने लगा और सोचा कि कब वह मेरा लौड़ा मुँह में ले ले ! वह व्यक्ति बड़ा समझदार था, उसने मेरी पैंट की चेन खोल दी और देख कर दंग ही रह गया, कहा- अबे गांडू ! ऐसा लौड़ा क्यों हमसे छुपाते हो ? कैसा धनुष की तरह है (दोस्तों मेरा लौड़ा थोड़ा टेढ़ा है !) मुझे आज सही मज़ा आएगा ! कहते हुए धीरे से मुँह में लिया और लॉलीपॉप की तरह बड़े मजे से चाटता रहा और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी।

मैंने पूरे मज़े लेना चाहा और उसके कानो में कहा- अरे, कोई सुनसान डिब्बा देख कर आओ !

और उसने बड़ी समझदारी दिखाई और थोड़ी ही देर में आकर कहा- चलो व्यवस्था हो गई है।

हकीकत में उसने टी टी को पटाया था और हम लोग फर्स्ट क्लास के डिब्बे में बंद कमरे में पहुँच गए। मै बड़ा खुश हुआ, सोचा, आज तक किसी ने मेरी गांड नहीं मारी थी और आज यह भी सपना पूरा होगा। मेरे हाथ-पैर गर्म हो गए। मैं चाहता था कि वो मुझे पूरे सफ़र में चाटता रहे। उसने मुझे सही तरीके से लेटने के लिए कहा और मैंने पूरी तैयारी के साथ वैसा ही किया। उसने मेरे पूरे कपड़े एक ही झटके में निकाल दिए और मेरा पूरा बदन औरतों के जैसे चाटने लगा। क्या कहूँ लिखते वक्त भी रोम रोम मचलता है।

सच कहूँ, ऐसा रोज़ हो ! क्या करूँ, कोई सामने से प्रस्ताव तो रखे, मैं तैयार हूँ !

ओ के !

तो उसके मुझे चाट लेने के बाद मैं चाहता था कि जल्दी से वह नंगा हो जाए और मुझे भी उसका लौड़ा भी चूसने दे पर वह बड़ा चालाक था, उसे मुझसे पहले मज़ा करना था, मैंने भी फिर थोड़ी सी नाराजगी के साथ कहा- बस आप मुझे कुछ नहीं दोगे तो मैं चला अपनी सीट पर !

फिर क्या था, उसने भी एक ही झटके में कपड़े उतार दिए और कहा- लो हम तुम्हारे हवाले हो रहे हैं मेरे लंड मास्टर !

उसका लौड़ा नुकीली पेंसिल की तरह था। फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए। मैं उसका और वह मेरा लौड़ा चूसने लगे। दस मिनट के बाद उसने कहा- चलो, अब गांड मारने की शुरुआत करें !

मैं तैयार था, उसने तुरंत मुँह फेरा और कहा- पहले तुम मेरी गांड मारो !

मैंने कहा- नहीं पहले मेरी मारो !

तब उसने कहा- नहीं, शुरुआत मैंने की है तो मेरा पहला नंबर !

फिर क्या करता ? गांड मारने के पहले मैंने उसके निपल दबा दिए तो वह ख़ुशी से झूम उठा, कहा- अरे यार तुम तो गांड मारने के मास्टर बनोगे ! यह सब कहाँ से सीखा ?

मैंने कहा- बस यूं ही दिल हुआ !

तो उसने तेजी से मुँह पलट कर मेरे निपल मुँह में लिए और औरतों के निपल की तरह मेरे निपल से खेलने लगा और मेरे निपल एकदम कड़क हो गए। मैं और रोमांचित हुआ और लगा बस यह सिलसिला यूँ ही चलता रहे। उसने झटके से मुँह पलटा- अरे यार गांड तड़प रही है, जल्दी से गांड में अपना लौड़ा डाल दो ! मेरी गांड में अब सहन नहीं होती यह दूरी !

उसने मुझे क्रीम दी और कहा- अपने लौड़े पर लगाओ और उंगली से मेरी गांड के अंदर भी लगाओ !

मैंने क्रीम लगा दी और उसे घोड़े की मुद्रा में करके जीवन का पहला अनुभव लेते हुए उसकी गांड में लौड़ा एक ही पल में घुसेड़ दिया। वह कराह उठा, कहा- यार, गांड मारनी भी नहीं आती ?

क्योंकि गांड मारने का अनुभव जो नहीं था।

उसने कहा- तेरा लौड़ा कितना कमनसीब है, चल अब डाल आहिस्ता से !

मैंने वैसे ही किया। थोड़ी देर मशक्कत करने के बाद मुझे समझ में आया कि कैसे गांड मारनी है। मैंने ऐसी मस्त गांड मारी कि वह बहुत खुश हुआ, कहा- यार, तू भी सीख गया है ना?

मैंने खुशी से हाँ कहा। न जाने मैं क्यों उतावला हो रहा था अपनी गांड मरवाने के लिए ! अपने जीवन में बहुत बार लोगों को गांड मारने वाली गाली देते हुए सुना था और आज सचमुच में ऐसा मस्त पेंसिल की नोक वाला लौड़ा मेरी गांड मारेगा, मैं बहुत उतावला हो रहा था।

वो बड़ी देर मेरे लौड़े से खेला और उसे देख कर बोला- यार ऐसा लौड़ा नसीब वालों को मिलता है।

यह कहकर दोबारा मुँह में डाल दिया और बड़ी इज्जत से गोलियों को चूसने लगा। फिर उसने कहा- अब मैं तुझे नहीं तड़फ़ाऊंगा।

उसने मुझे पलटने को कहा। मैंने घोड़े का पोज़ लिया, वह बड़ा खुश हुआ, मेरा मुँह डिब्बे की खिड़की की तरफ था और मैं तैयार था उसको चढ़वाने के लिए, यू पी वाला तो बस मेरी गांड मारने के लिए बेताब था।

उसने बिना क्रीम लगाये गांड में लौड़ा घुसेड़ना चालू किया। मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था।

उसने कहा- नए लोगो को क्रीम लगाए बिना गांड मरवानी चाहिए ! इससे गांड को आदत हो जाती है मरवाने के लिए !

और उसने पूरा लौड़ा घुसेड़ दिया और चालू कर दी उसने अपने लौड़े की रेलगाड़ी। बड़ा मज़ा आने लगा। वह गांडू इस कदर मेरी गांड मार रहा था जैसे कितने साल से भूखा था, मगर उसका पानी नहीं छुट रहा था। करीब बीस मिनट से मैं उससे चुद रहा था और फिर उसने मेरी गांड में पूरा पानी छोड़ दिया।

तभी दरवाज़ा खुला, मैं और वो एकदम चौंक गए क्योंकि दरवाज़े पर एक मस्त औरत खड़ी थी और हमारा खेल देख रही थी।

उसने कहा- यह क्या चल रहा है?

आगे की कहानी दूसरे भाग में पढ़िए।

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