चुदाई गे कहानी नौकर के साथ मज़े की: 1

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चुदाई गे कहानी: नमस्कार दोस्तों। short वयस्क कहानी लिखने में ये मेरा पहला अनुभव है। मेरी कोशिश है कि २ भागों में इसे संपूर्ण करूँ। आशा करता हूँ आप इसे पसंद करेंगे।

ये कहानी २०२२ की जनवरी में शुरू होती है। सुनील एक MNC में Managing Director है। २९ साल की उम्र में अपनी क़ाबिलियत और मेहनत से उसने ये position हासिल की थी। अपने ४ बेडरूम के आलीशान अपार्टमेंट में वो रहता था। हट्टा कट्टा और बेहद खूबसूरत शक्ल और बदन का मालिक था।

उस के पास वो सभी चीज़े थी जो एक सफल आदमी के पास होनी चाहिएँ, पर फिर भी वो दुखी था। २०२१ की कोविड लहर में उसकी पत्नी रेणु की मृत्यु हो गई। उस के बाद से सुनील ने ख़ुद को नौकरी में डूबा लिया और future में प्रेम की कोई आशा नहीं रखी। इतने हैंडसम आदमी को काफ़ी लड़कियाँ लाइन मारती थी। पर सुनील को कोई interest नहीं था।

हाँ तो २०२२, २६ जनवरी को बुधवार का दिन था और गणतंत्र दिवस होने के कारण सुनील का ऑफिस बंद था। सुबह के क़रीब ११ बजे उस के घर की घंटी बजी। सुनील ने दरवाज़ा खोला तो देखा कि उसकी स्वर्गीय पत्नी का छोटा भाई गौरव था। उस के साथ एक और लड़का भी था।

सुनील : अरे गौरव! तुम यहाँ ! अरे अंदर आओ बैठो! बहुत अच्छा लगा तुम्हें देख कर!

गौरव : नमस्ते जीजा जी। Sorry आपको फ़ोन किए बिना ही चला आया! ये फैज़ल है। फैज़ल जीजाजी से नमस्ते करो

फैज़ल: सलाम सर।

सुनील: ओहो गौरव ये तुम्हारा ही घर है। तुम कभी भी आ सकते हो! नमस्ते फैज़ल। तुम दोनों रुको मैं चाय बना के लाता हूँ फिर आराम से बातें करेंगे।

गौरव : जीजाजी आप फैज़ल को किचन बता दीजिए ये चाय बना लेगा। ठीक है ना फैज़ल।

सुनील थोड़ा सोचता है और फिर-

सुनील: अच्छा ठीक है। आओ मैं तुम्हें बता देता हूँ।

सुनील ने फ़ैसल को किचन में ले जा के समझा दिया कि कहाँ पर क्या रखा है और फर गौरव के पास आ कर बैठ गया।

१५ मिनट बाद फैज़ल चाय के साथ पकौड़े भी ले आया।

सुनील: अरे वाह! ठंड के दिन चाय और पकौड़े!

फैज़ल किचन में जा कर सफ़ाई करने लगा और गौरव और सुनील आराम से बातें करने लगे।

गौरव : जीजाजी कैसे लगे पकौड़े?
सुनील: सच बताऊँ यार, तेरी दीदी की याद आ गई। ऐसे ही पकौड़े बनती थी। वही स्वाद।

गौरव: वो इसीलिए की दीदी को माँ ने खाना पकाना सिखाया था और फैज़ल को भी उन्होंने ही घर के कामों में train किया है। इसे में इसी लिये यहाँ लाया हूँ। आप इसे अपने घर पर हेल्पर बना के रख लो। पूरा घर सम्भाल लेगा।

और आप चिंता ना करें। ये हमारे ड्राइवर दिलनवाज़ का छोटा बेटा है। बचपन से ही हमारे घर खेला है। graduation के बाद इसे कोई काम पसंद नहीं आया पर माँ ने इसे पिछले ३-४ साल में सब कुछ सीखा दिया है। उन्हीं ने इसे आप के पास आपकी सेवा के लिए भेजा है। आप के पास रहेगा, जो तनख़ाह आप देना चाहें दे देना।

सुनील: अगर माँ ने ऐसा कहा है तो मैं मना नहीं कर सकता। कुछ समय रख कर देख लेते हैं। कोई दिक़्क़त हुई तो तुम्हें बता दूँगा।

इस के बाद गौरव ने फैज़ल को सब समझाया और लंच करने के बाद चला गया। सुनील ने एक बेडरूम फैज़ल को दे दिया।

कुछ दिनों में ही फैज़ल ने सच में पूरा घर ऐसा सम्भाला की सुनील की बीवी भी अपने नौकरों के साथ नहीं रख पाती थी। सफ़ाई, खाना, शॉपिंग सब कुछ perfect।

वैसे बताता चलूँ, फैज़ल भी दिखने में कोई कम नहीं था। २३ साल उम्र, गोरा, सुडौल शरीर, गुलाबी होंठ और भारी हुई गाँड़।

फ़ैसल का अच्छा काम देख कर सुनील ने उसे घर के सदस्य की तरह ही आज़ादी दी। दोनों के दिन अच्छे कट रहे थे। इसी तरह ६ महीने गुज़र गए।

एक दिन सुनील अपने काम से घर जल्दी आ गया और सीधे अपने कमरे में चला गया, नहाया और फिर किचन में जा कर fridge में कुछ खाने का ढूँढने लगा। फिर उसने सोचा फैज़ल से नाश्ता बनवाऊँगा और फैज़ल के कमरे की तरफ़ चल दिया।

उस के कमरे का दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ था। सुनील ने अंदर झांका तो उसने जो देखा उस से उसके होश उड़ गए।

फैज़ल बिस्तर पर पूरा नंगा लेता हुआ था। एक हाथ से अपने निप्पल चीकोट रहा था और दूसरे हाथ की ३ उँगलियाँ गाँड़ में डाल कर ज़ोर से हिला रहा था। यही केरते हुआ बड़बड़ा भी रहा था।

फैज़ल: आह उफ़्फ़ मेरे सरताज़ मेरे मालिक… आह सुनील सर मारो मेरी गाँड़ मारो चोद डालो मुझे … आह कब तक तरसाओगे मालिक। अपना बना लो मेरे राजा उफ़

सुनील ये सब सुन कर चौक गया और उसले पैर अपने कमरे में लौट गया और अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया। उसके दिमाग़ में बहुत कुछ घूम रहा था। वैसे उसे गे लोगो से कोई दिक़्क़त नहीं थी। पर अपने घर में अपने नौकर के मुँह से अपने बारे में इस तरह की बातें सुन कर उसे अजीब लग रहा था।

उसे नहीं पता था कि उसका नौकर उस के बारे में सोच कर गाँड़ में उँगली करता है, शायद मुट्ठ भी मारता ही होगा।

सुनील ने सोचा कि अभी लड़का जवान है, उसे अपनी उम्र के लोगो के साथ घूमना चाहिए। वो फैज़ल ने बात करेगा। ये सब सोचने के बाद भी सुनील के अंदर कुछ वासना जागी। उसका लौड़ा भी खड़ा हुआ था। उसने अपने कंप्यूटर में पोर्न लगा के मुट्ठ मारी।

रात को डिनर के समय सुनील कमरे से बाहर आया और खाना खा के टीवी देखने लगा। उसने फैज़ल को डबल व्हिस्की का पैक बनाने का बोला। जब फैज़ल ड्रिंक ले के आया तो सुनील ने उस से बात करने का सोचा।

सुनील: फैज़ल आओ बैठो, ये बताओ तुम्हें यहाँ कैसा लग रहा है। सब ठीक है ना? किसी चीज़ की तकलीफ़ तो नहीं है?

फैज़ल इस सवाल से चौंका। सुनील ने पहले कभी ऐसा नहीं पूछा था।

फैज़ल: हाँ जी सर! मुझे किसी चीज़ की कमी नहीं। आप मेरा बहुत ख़याल रखते हैं। मैं खुशनसीब हूँ की मुझे आप जैसा मालिक मिला जो इतना सोचता है और मुझे अपने घर का सदस्य ही समझता है।

सुनील: चलो अच्छी बात है। मैं सोच रहा था कि तुम्हें बिल्डिंग के बाक़ी लोगों के साथ घुलमिलना चाहिए। तुम्हारी age के बहुत लोग हैं यहाँ। अभी तुम जवान हो, थोड़ी मस्ती भी करना चाहिए ना तुम्हें। सारा दिन घर में रहते हो। थोड़ा घूमो फिरो।

फैज़ल को अब लगा कि शायद सुनील ने उसे आज देख लिया है तभी उसकी जवानी और मस्ती का इलाज ढूँढ रहे हैं।

फैज़ल: आप मेरी इतनी फ़िक्र करते हैं। लेकिन आज अचानक आपको ऐसा क्यों लगा कि मुझे बाहर जाना चाहिये। आप भी तो जवान हैं, खूबसूरत हैं पर आप भी सिर्फ़ ऑफिस या घर पर रहते हैं। आपको भी मस्ती करनी चाहिए ना।

सुनील: अरे मैं तो अब अकेला ही ठीक हूँ। मैंने अपनी बीवी के साथ सारे शौक़ पूरे कर लिये। अपने कॉलेज में भी खूब मज़े किए। अब तो अपना हाथ जगन्नाथ हा हा हा!

फैज़ल: बुरा ना माने तो छोटे मुँह बड़ी बात मैं सिर्फ़ इतना कहूँगा कि आप अभी जवान हैं, कितनी ही खुदसूरत लड़कियाँ आप के सामने ख़ुद को लिटा देंगी। लड़कियाँ ही नहीं लड़के भी …..। आप मौक़ा दे के देखें।

सुनील अपना ड्रिंक पी रहा था और फैज़ल की बातें सुन रहा था। उसने सोचा कि ये तो मेरा लॉजिक मुझी पर चला रहा है। अभी बात आगे नहीं बढ़ाते हैं।

सुनील: तू भी बदमाश है। चल मेरे लिये एक और ड्रिंक ले आ और फिर किचन समेट के आ जा। कोई नयी मूवी लगाते हैं।

फैज़ल ने इस बार सुनील का ड्रिंक काफ़ी तगड़ा बनाया। उसे ड्रिंक दे के वो काम करने लगा और फिर अपने पामरे में जा के उसने एक बड़ी सेक्सी सी शोर्ट पहनी जिस्म उसकी गोरी चिकनी टांगें दिख रही थी।

उस के ऊपर उसने एक पतली सी टैंक टॉप (सेक्सी बनियान) पहनी सीमे उसका शरीर चमक रहा था। हल्का सा परफ्यूम लगाया और फिर सुनील के पास जा कर बैठ गया।

सुनील ने उसे देखा तो उसके लाउड में हरकत हुई। उसने सोचा “ यार ये नंगा था तब भी लौड़ा खड़ा किया और अब माल बन के आया है तो फिर खड़ा करेगा। साले ने हरकत करी तो यही चोद डालूँगा“

सुनील ने अपना ड्रिंक लेते हुए (जो अब उसे चड़ने लगी थी) इंटरनेट से एक रोमांटिक मूवी लगाई। मूवी अच्छी थी। फैज़ल धीरे धीरे सुनील के पास आ कर बैठ गया था। मूवी में बहुत सारे सेक्सी सीन थे। फैज़ल अब चुदासी हो गया।

उसने हिम्मत कर के अपना एक हाथ सुनील की छाती पर रख दिया और सहलाने लगा। सुनील पर भी शराब का बेहद असर था और फैज़ल के कोमल हाथों के स्पर्श से उसका पहले से खड़ा लंड और सख़्त हो गया। उसने फैज़ल के आखों में देखा और उसके होठों पर होठ रख दिये।

फैज़ल को जैसे जन्नत मिल गई। जिस मर्द की सपने वो इतने महीनों से देख रहा था आज वो उससे किस कर रहा था। उसके सुनील का साथ दिया और अपना मुँह थोड़ा सा खोल दिया और दोनों फ़्रेंच किस करने लगे।

सुनील ने अपनी जीभ फैज़ल के मुँह में डाल दी और उसका मुँह अंदर से चाटने लगा। फैज़ल सुनील की जीभ को चूसने लगा।

सुनील ने फैज़ल को अपनी चौड़ी बाहों में भर कर दबा दिया।

सुनील: साले बहुत चुदासी है रे तू! क्यों मुझे रिझा रहा है!

फैज़ल: मेरे मालिक। आप की हर ज़रूरत को मैं पूरा करना चाहता हूँ। मेरे जिस्म को अपना बना लीजिए।

फैज़ल की छाती दबाते हुए सुनील बोला

चुदाई गे कहानी एक मज़ेदार चुदाई की नौकर के साथ

सुनील: तू पहला मर्द है जिसे मैंने चूमा है। तू याद रख फैज़ल। मैं चुदाई में जानवर बन जाता हूँ। तू सहन कर पाएगा?

फैज़ल: जी आप जैसा चाहें वैसे करें। अपने सपनों में तो आप से ज़बरदस्ती बहराहमी से चुदाई करवा चुका हूँ।

सुनील ने फैज़ल की टैंक टॉप उतार फैकी और उसके गुलाबी निप्पल चूसने लगा।

फैज़ल दर्द से चिल्लाया आह …

सुनील: चुप बहनचोद राँड । पहले मटक के, अपनी जवानी दिखा के रिझाता है और अब नख़रे करता है। आज रात भर तेरे गोरे गुलाबी बदन को रौंदूँगा चल अब मेरे बिस्तर पर मस्ती करेंगे।

सुनील फैज़ल को अपनी गॉड में ही उठा कर अपने कमरे में ले गया और अपने बेड पर उसे फेंक दिया।

फैज़ल उत्तेजित भी था और डर भी रहा था।

— भाग १ संपूर्ण —

लेखक : अनंत कल्पना ([email protected])

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